मेरे और तुम्हारे बीच ख़ामोशी की एक दीवार थी जिसपर हम अक्सर ख्यालों की कोई तस्वीर टांग दिया करते थे। मुझे कभी ये दीवार बोझिल नहीं लगी। ये दीवार हमारे दरमियाँ की खूबसूरत चुप्पियों की ईंट से बनी थी। मैं शायद ही कभी दीवार के उस पार झाँक कर तुम्हें देखने की कोशिश करती हूँ। पता नहीं क्यूँ लेकिन मुझे चुपचाप दीवार की ओट से लगकर बैठना और तुम्हारी ख़ामोशी सुनना पसंद है। मैं महसूस करती हूँ तुम्हारी हाथ की छुअन को जब उस पर तुम मेरा नाम लेकर कोई ईंट छूते हो।
प्रेम कितना आसान है ना तुम्हारे साथ! मैं स्वतंत्र #Night#yqbaba#yqdidi#yqhindi#dairy#yqquotes#aaina_rooh