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madhurisharma2446
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Madhvi Haritas

house wife

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Madhvi Haritas

दिल रात की तनहाई मे यादो मे खेलता है, 
कितना कुछ सहता है कितना कुछ झेलता है ,
Goodnight कहने से क्या सच मे रात अच्छी होती हैं, 
ना चाहने पर भी आँखें कितना रोती है, 


Any way 
Goodnight goodnight 

#candle

goodnight #candle

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Madhvi Haritas

ये निगाहे अब कुछ और देखना नहीं चाहती, ये तुम्हारी राह तकती है, 
तुम से छुप कर तुम्हारे सामने ना जाने कितनी दफा बरसती है,
नही आरज़ू इन्हें जन्नत के नजारे की, जरा सा प्यार कर लो देखो ना ये कितना तरसती है , 
ठंडे रिश्तो के घेरे में, ज़रा सी गरमाहट चाहती है,
कुछ पल प्यार से देखो, क्या ये ज्यादा चाहती है, 
रोज़ मेरे फोन की स्क्रीन को आंसुओ से भीगोती है, 
तुम्ही समझा दो इन्हें, ये मेरी नहीं सुनती है, 
जुबां का काम आजकल उंगलियां करती  है, 
तुम इनकी खामोशी समझो ये भी क्या जिद करती है 

पागल है ना ये, 

माधवी हरितस पागल है ना ये?

पागल है ना ये?

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Madhvi Haritas

तेरे जीवन के पतझड़ में, हम बहार बन जाते, 
गुमसुम तेरी रातो का, हम हंसी ख्वाब बन जाते, 
गर मुमकिन होता हमारा कर पाना,तो कुछ यूँ करते, 
तेरी उदासिया ले अपनी झोली में,
 जान ...
हम खुशी का सैलाब बन जाते, हम खुशी का सैलाब बन जाते 

माधवी हरितस, हम खुशी का सैलाब बन जाते

हम खुशी का सैलाब बन जाते

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Madhvi Haritas

तुम से मिल कर ये जाना, मैं खुद से मिली हूँ, 
फिर पंख फैला , गगन छूने चली हूँ, 
हो गयी थी जो तस्वीर बेरंग कभी की ,-2
उस तस्वीर मे रंग भरने चली हूँ ,

देखती हूँ स्वयं में तुमको सनम, 
मैं तुमको निगाह मे छुपाने चली हूँ, 
तन मिले ना मिले हमको परवाह नहीं -2
मैं रूह को रूह से मिलाने चली हूँ, 

यूँ तो महफिल मे होते है सब साथ मे, 
मै तनहाई में साथ देने चली हूँ, 
रोशनी मे तो साया भी साथ होता सनम -2 
हो अंधेरा तो दीपक जलाने चली हूँ, 

बंध गया जो ये बंधन परिणय सनम 
मैं सप्तवर्णी में इसको बनाने चली हूँ 
कोई रहे ना रहे कभी साथ तेरे 
हर कदम पर मैं साथ निभाने चली हूँ, 

माधवी हरितस तुम से मिल कर ये जाना

तुम से मिल कर ये जाना

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Madhvi Haritas

पंख फैला ज़रा छूने दो अम्बर को, 
चाँद को आँचल मे बाँध कर लाना है, 
बाहो मे भर लेनी है ये बिखरी चाँदनी, 
ये चाँद भी आगोश मे घुलने को दीवना है,

माधवी हरितस पंख

पंख

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Madhvi Haritas

तुम बहुत याद आते हो 


सुनो ना 
तुम दूर हो कर भी सामने लगते हो, 
मगर आज कल बहुत याद आते हो, 
बहुत रोक कर भी खुद को सह नही पाती ,
इस तरह क्यू मुझे आजमाते हो ,
"जान"तुम आजकल बहुत याद आते हो, 

ये कल्पना हकिकत क्यूँ नहीं बन जाती, 
जिसमे तुम मुझे रसोई मे छेड़ कर जाते हो, 
रोज़ यूँ तुम्हारा किसी बात पर रूला देना, 
फिर पीछे से आकर गले लागाते हो, 
"जान"तुम आजकल बहुत याद आते हो, 

हर सुबहा की पहली किरण जब कमरे में आती हैं, 
तुम रात भर का ख्वाब मेरी पलको पर रख जाते हो, 
तुम्हारे ख्यालो मे जागती हूँ मैं दिन भर बन बावरी ,
और तुम यूँ दूर रहकर मुझे तड़पाते हो, 
"जान"तुम आजकल बहुत याद आते हो, 

हर रात तुम मे सोकर जब सुबहा खुद को जगाती हूँ, 
कितनी रात बची दिन मे ये अनुमान लगाती हूँ, 
तुम सर्दी की ठंडी रातो मे क्यूँ अग्न लगाते हो, 
मेरी सांसो पर अपनी सांसो का साया रख जाते हो, 
"जान"तुम आजकल बहुत याद आते हो, 

इस तरह क्यू मुझे आजमाते हो ,
फिर पीछे से आकर गले लागाते हो, 
यूँ  दूर रहकर मुझे तड़पाते हो, 
मेरी सांसो पर अपनी सांसो का साया रख जाते हो, 
"जान"तुम आजकल बहुत याद आते हो, 
तुम सच मे बहुत याद आते हो 

माधवी हरितस तुम बहुत याद आते हो 

#Love

तुम बहुत याद आते हो #Love

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Madhvi Haritas

जब हम मिलेंगे 

मैं अक्सर सोचती हूँ ये बैठी हुयी, बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 
मैं अक्सर सोचती हूँ ये बैठी हुयी, बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 
कितने होगें हम उत्सुक मिलन के लिए, -2 
जिस पल हम अपने घरो से चलेगें 
मैं अक्सर सोचती हूँ ये बैठी हुयी, बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 

हम मिलेंगे कही किसी राह बाट मे, 
या मिलेंगे हम यूँही बाजार में ,
कितनी बैचेनी होगी दिलो मे भरी,-2
कितने एहसास मन मे रह रह उठेंगें, 
मैं अक्सर सोचती हूँ ये बैठी हुयी, बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 

 होगी ना देरी एक पल की भी, -2
बाहो मे जब हम खोये रहेंगे 
क्या अधरो से शब्दों के फूल के खिलेगें
या नयनो से अश्रु के झरने बहेगें 
मैं अक्सर सोचती हूँ ये बैठी हुयी, बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 

जिस पल हाथो मे हाथो को थाम हुये ,
दो खामोश दिल संवाद करेंगे ,-2
दूर धरती के कांधे पे झुक जाये अम्बर -2
धरा के सुमन यों गगन मे खिलेगें 
मैं अक्सर सोचती हूँ ये बैठी हुयी, बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 

कितना मोहक हो जायेगा सारा आलम, 
कितना नाजुक है प्रेम ,और कितना पावन, 
कैसे पुनः हम चलेंगे अलग-2
गले मिलकर जो रोये थे, अब कैसे रहेंगे 
मैं अक्सर सोचती हूँ ये बैठी हुयी, बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 

मैं अक्सर सोचती हूँ ये बैठी हुयी, बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 
 बोलो क्या होगा जब हम मिलेंगे, 

माधवी हरितस जब हम मिलेंगे 
#HBDShastriJi

जब हम मिलेंगे #HBDShastriJi

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Madhvi Haritas

रात अभी जवान हुई है, चाँद की बदरी से पहचान हुई है, अभी खेल रहे है अल्हड़पन पन में, ज़रा ठहरो देखो मंद सुगंधित पवन चली है, अम्बर के वो गले मिली हैं आगोश मे आकर चाँद खिला हैं ,ये तारो से संदेश मिला हैं, धीरे धीरे प्रीत बढ़ रही, उड़ी पतंग आकाश चढ़ रही, हौले से दिल अपना भी मचला है, क्या तुमको भी तारो से संदेश मिला हैं 

माधवी हरितस रात अभी जवान हुई है

रात अभी जवान हुई है

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Madhvi Haritas

चलो जान सपने मे मिल के, 
  बाते करे आज दिल की ,
कितने पहरे है बाहर देखो 
  मन में होती हैं एक हलचल सी ,

बहुत तंग दिल हैं ये दुनिया 
  बाहर मिलने ना देगी ,
जो फूल खिले मन के भीतर 
  उनहे बाहर ये खिलने ना देगी 
बहुत तेज़ हैं नजरे सबकी 
  खबर रखते हैं पल पल की
बाते करे आज दिल की,

चलो जान सपने मे मिल के, 
  बाते करे आज दिल की ,
कितने पहरे है बाहर देखो 
  मन में होती हैं एक हलचल सी ,
नयनो की डगर के सहारे 
  मेरे ख्वाबो को तुम खटखटाना 
मै राह तकती हे तेरी 
  जान और ना देर लगाना 
बड़ी नाजुक सी राह हैं ये
 डोरी है मलमल की 
बाते करे आज दिल की ,

चलो जान सपने मे मिल के, 
  बाते करे आज दिल की ,
कितने पहरे है बाहर देखो 
  मन में होती हैं एक हलचल सी ,

ख्वाबो की देहलीज पर तुम 
  जब अपने कदम को रखोगे 
मेरी जान उस पल तुम मुझको
 बाहो मे अपनी भरोगे
देखना जान तुम भी 
  उस पल को याद करोगे

अधरो से कहना ना कुछ भी 
  नयनो मे बहते होंगी
मौन सुन लेगा मौन को यूं
 सांसो से सांसे मिलेगी 
बाते करे आज दिल की, 

चलो जान सपने मे मिल के, 
  बाते करे आज दिल की ,
कितने पहरे है बाहर देखो 
  मन में होती हैं एक हलचल सी ,
हाथ मे हाथो को थामे 
  दो मन ऐसे मिलेंगे 
 धरती पे बरसेगा अम्बर 
  सारे फूल चमन के खिलेंगे
ऐसे बढ़ जायेगी प्रीत अपनी 
  नयनो से बरसात होगी
चलो बाते करे आज दिल की 

चलो जान सपने मे मिल के, 
  बाते करे आज दिल की ,
कितने पहरे है बाहर देखो 
  मन में होती हैं एक हलचल सी ,

माधवी हरितस सपने मे मिल के 

#HBDShastriJi

सपने मे मिल के #HBDShastriJi

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Madhvi Haritas

हर ठोह पर, हर मोड़ पे, हर हाल में तेरा साथ देने की कसम खायी है, 
धड़कनो की दरकार भी ना रही, इस कदर तेरी चाहत दिल में समायी है,
ख्वाब, जान, सांसे, इश्क, खुदा किस नाम से बुलाए तुझे, 
मुझे हर दुआ के बदले में जो मिली, तू वो इबादत की कमाई हैं 
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माधवी हरितस #HBDShastriJi
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