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mirraza6010
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Mir Raza

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Mir Raza

रास्तों मे फर्क़ ना था, नजाने मंज़िल कैसे बदल गईं 
वो कहते थे कि इरादे नेक हैं मेरे, नजाने आशिकी कहाँ कम पड़ गई  #shayari

shayari

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Mir Raza

रास्तों मे फर्क़ ना था, नजाने मंज़िल कैसे बदल गई 
वो कहते थे इरादे नेक हैं मेरे, नजाने कहाँ आशिकी कम पड़ गई #shayari #writers

shayari writers

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Mir Raza

कुछ तुम मुझ पर लगाओ, कुछ हम तुम पर लगाएं...
ये ज़ख्म मरहम से नहीं, तो इल्ज़ाम से ही भर जाएं
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Mir Raza

खाया है मैंने चिरागों से कुछ इस कदर धोखा,
कि सालों से जल रहा हूँ मैं, मगर रोशनी नही होती
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Mir Raza

वाकई मेरे सामने है आज बड़ी मुश्किल
पहली बार ज़िंदगी में देखे एक दिल में कयी दिल
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Mir Raza

आदत मे था गैरों पर भरोसा करना,
 इस दुनिया ने सिखा दिया अपनों पे भी शक करना

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Mir Raza

आबो-हवा मे बहती सिसकियों से ये लगता है,
आज फ़िर किसी आशिक ने मेरी कहानी दोहराई है
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Mir Raza

आओ फ़िर नदी किनारे बैठें
शिकवे-शिकायतों से दूर,
आओ फ़िर नदी किनारे बैठें
वो झूठे वादे भूल, 
आओ फ़िर नदी किनारे बैठें
कुछ तुम कहना, हम कुछ नहीं कहेंगे, 
आओ फ़िर नदी किनारे बैठें 
ग़र तुझको हो अपनी नादानी का एहसास, 
हम चुप रहेंगे, 
आओ फ़िर नदी किनारे बैठें #poem

poem

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Mir Raza

मेरी माशूका कुछ इस तरह ग़रीब थी,
देने को कुछ ना मिला, तो धोका दे दिया...
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Mir Raza

तेरा जाना अच्छा ही रहा
वरना खुदगर्ज़ लोगों की पहचान कैसे होती
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