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sushmanayyar7587
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sushma Nayyar

A writer and a painter by Passion

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sushma Nayyar

"ओम आकृति विधा"

साहित्य जगत में एक नवीन विधा का जन्म

वर्ण गणना के आधार पर काव्य में आकृति की रचना

विधा अन्वेषक _
 डॉ. ओमप्रकाश गुप्ता

©sushma Nayyar #Road
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sushma Nayyar

"ओम आकृति विधा"

साहित्य जगत में एक नवीन विधा का जन्म

वर्ण गणना के आधार पर काव्य में आकृति की रचना

विधा अन्वेषक _
 डॉ. ओमप्रकाश गुप्ता

©sushma Nayyar #ओमआकृतिविधा
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sushma Nayyar

अक्सर छूट जाता है एक मुट्ठी आसमान
कुछ ना कुछ रह जाता है अधूरा, पूरा नहीं होता यह जहान
अक्सर छूट जाता है एक मुट्ठी आसमान


संपूर्ण के अंदर भी परिपूर्ण छूट जाता है
खुली हवा में भी कभी-कभी सांँस घुट जाता है
रह जाता है अधूरा कोई ना कोई अरमान
अक्सर छूट जाता है एक मुट्ठी आसमान


यादों के दायरों में अक्सर कुछ ना कुछ खो जाता है
परछाइयों के अक्स में कुछ धुंधला नजर आता है
चोट पहुंँचाते हैं दिल को कुछ अनचाहे से फरमान
अक्सर छूट जाता है एक मुट्ठी आसमान


क्यों घरों के दायरे में मकान नजर आते है ?
क्यों कुछ रिश्ते छलने पर उतर आते हैं ?
अधूरे ही रह जाते हैं कभी-कभी कुछ पूरे से अरमान
अक्सर छूट जाता है एक मुट्ठी आसमान

अक्सर छूट जाता है एक मुट्ठी आसमान ।।


     ___ सुषमा नैय्यर

©sushma Nayyar #Mic

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sushma Nayyar

#आज अपने दिल पर हिंदुस्तान लिख#

#आज अपने दिल पर हिंदुस्तान लिख# #कविता

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sushma Nayyar

जफा ए जुनून बढ़ न जाए हमें फ़िक्र उसकी है

सड़कों पे हूजूम बढ़ न जाए हमें फ़िक्र उसकी है

कौन सही कौन गलत हम जानते नहीं

ये जो वक्त की पेशानी पर लिखा जा रहा है 

ये जो गुस्सा उबलकर बाहर आ रहा है

मुश्किल में आ न जाए वतन हमें फ़िक्र उसकी है

जुनून ए जंग दिखाई देता है हर एक तरफ

यह जुनून बढ़ न जाए हमें फ़िक्र उसकी है

अफ़सोस की अंदाजे अख्ज़ ले जाएगा किस तरह

अदा ए अत्फ़ का इल्म हमें आएगा कब तलक

शहीद होने की कवायद हरतरफ है तारी

शहादत के नाम पर कत्ल हो न जाए हमें फ़िक्र उसकी है

आकिबत आखिर क्या होगी, जीत किसकी हार किसकी होगी 

हो न जाए फ़ैसला कोई ग़लत हमें फ़िक्र उसकी है ।।

   ____सुषमा नैय्यर

Just written on d growing anger and protests on d roads in country जफा ए जुनून बढ़ न जाए हमें फ़िक्र उसकी है

सड़कों पे हूजूम बढ़ न जाए हमें फ़िक्र उसकी है

कौन सही कौन गलत हम जानते नहीं

ये जो वक्त की पेशानी पर लिखा जा रहा है

जफा ए जुनून बढ़ न जाए हमें फ़िक्र उसकी है सड़कों पे हूजूम बढ़ न जाए हमें फ़िक्र उसकी है कौन सही कौन गलत हम जानते नहीं ये जो वक्त की पेशानी पर लिखा जा रहा है

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sushma Nayyar

#train your subconscious mind#

#Train your subconscious mind#

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sushma Nayyar

#kahate kahate na itna kah Jana #

#Kahate kahate na itna kah Jana #

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sushma Nayyar

#aao chalo Chand ki galiyon Tak Ho aaye#

#Aao chalo Chand ki galiyon Tak Ho aaye#

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sushma Nayyar

# Baba mujhe dar lagta hai#

# Baba mujhe dar lagta hai#

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sushma Nayyar

बाबा मुझे डर लगता है ___

निकलती हूं घर से जब देर से कभी
बाबा मुझे डर लगता है ।
वो पान की दुकान पर खड़ा होकर मुझे घूरता है
बाबा मुझे डर लगता है ।

सोचती हूं पान की दुकान की तरफ से न जाऊंगी
पर जिस तरफ से भी जाती हूं 
घूरती नजरों को ही पाती हूं
वो सीटी बजा कर , गंदी गंदी बातें करता है
बाबा मुझे डर लगता है ।

सुना है शोहदे समूह बनाकर चलते हैं
चलती गाड़ी में गैंग रेप लड़कियों का करते हैं
वासना की भूख जब उन्हें लगती है 
तो कोई मासूम लड़की बलि चढ़ती है
क्या है दोष मेरा कोई मुझे बता सकता है ?
बाबा मुझे डर लगता है ।

सात माह की बच्ची पर जब
सत्तर साल का बुड्ढा झपटता है
हर दिन होते हैं किस्से ऐसे
बात कोई भी नहीं समझता है
बाबा मुझे डर लगता है ।

सुना है नाबालिग शोहदा कुछ भी कर सकता है
जान भी ले ले तो कानून उसका कुछ नहीं कर सकता है
ऐसे नाबालिग शोहदे गली-गली घूमते हैं
एक ऐसा ही नाबालिग शोहदा मुझे रोज घूरता है
बाबा मुझे डर लगता है ।।

     _____सुषमा नैय्यर बाबा मुझे डर लगता है ___

निकलती हूं घर से जब देर से कभी
बाबा मुझे डर लगता है ।
वो पान की दुकान पर खड़ा होकर मुझे घूरता है
बाबा मुझे डर लगता है ।

सोचती हूं पान की दुकान की तरफ से न जाऊंगी

बाबा मुझे डर लगता है ___ निकलती हूं घर से जब देर से कभी बाबा मुझे डर लगता है । वो पान की दुकान पर खड़ा होकर मुझे घूरता है बाबा मुझे डर लगता है । सोचती हूं पान की दुकान की तरफ से न जाऊंगी

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