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samdarshiprajama4396
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Samdarshi PrajaMandal

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Samdarshi PrajaMandal

हे जगदीश्वर तुम्हें प्रणाम
हे सर्वेश्वर तुम्हें प्रणाम ।
 जहां देखता हूं वहां तुम ही तुम हो ।
 झरनों में तुम हो, झीलों में तुम हो ।। 
 पृथ्वी  में तुम हो, शैलो में तुम हो
 सूरज में तुम हो, चंदा में तुम हो,
 जहां दृष्टि डालो वहां तुम ही तुम हो । 
जिधर देखता हूं उधर तुम ही तुम हो ।
 तारों में तुम हो, सितारों में तुम हो । 
देवों में तुम हो,
  दनुजो में तुम हो ।
 गंगा में तुम हो ,यमुना में तुम हो,
 हर मन में तुम हो, हर तन में तुम हो ,
धरा से गगन तक रमे तुम ही तुम हो । 
जिधर देखता हूं वहां तुम ही तुम हो ।। ग

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Samdarshi PrajaMandal

नव वर्ष का प्रारंभ है संपूर्ण नववर्ष जगत मानव के लिए बेहद मंगलमय हो । हम सब एक नए संकल्प के साथ, भाव, विचार, शब्द और अपने  सदकार्यों द्वारा पर्यावरण एवं सामाजिक समरसता को संपूर्ण रूप से बनाए रखेंगे । आज विकास चरम पर है, उस विकास में ही विनाश संपूर्ण रूप से परिलक्षित हो रहा है ।  पृथ्वी ग्रह तथा मानव जाति का अस्तित्व खतरे में है। हम सब विकास की अपेक्षा न कर प्रकृति के साथ अपने को जोड़ें तथा धरती मां एवं स्वयं की रक्षा करें। इस विचार भावना और कल्पना के साथ ।
 ॐ सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया जय हो

जय हो

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Samdarshi PrajaMandal

विचार दर्शन
नव वर्ष का प्रारंभ है संपूर्ण नववर्ष जगत मानव के लिए बेहद मंगलमय हो । हम सब एक नए संकल्प के साथ, भाव, विचार, शब्द और अपने  सदकार्यों द्वारा पर्यावरण एवं सामाजिक समरसता को संपूर्ण रूप से बनाए रखेंगे । आज विकास चरम पर है, उस विकास में ही विनाश संपूर्ण रूप से परिलक्षित हो रहा है ।  पृथ्वी ग्रह तथा मानव जाति का अस्तित्व खतरे में है। हम सब विकास की अपेक्षा न कर प्रकृति के साथ अपने को जोड़ें तथा धरती मां एवं स्वयं की रक्षा करें। इस विचार भावना और कल्पना के साथ ।
 ॐ सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया जय हो

जय हो

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Samdarshi PrajaMandal

नव वर्ष का प्रारंभ है संपूर्ण नववर्ष जगत मानव के लिए बेहद मंगलमय हो । हम सब एक नए संकल्प के साथ, भाव, विचार, शब्द और अपने  सदकार्यों द्वारा पर्यावरण एवं सामाजिक समरसता को संपूर्ण रूप से बनाए रखेंगे । आज विकास चरम पर है, उस विकास में ही विनाश संपूर्ण रूप से परिलक्षित हो रहा है ।  पृथ्वी ग्रह तथा मानव जाति का अस्तित्व खतरे में है। हम सब विकास की अपेक्षा न कर प्रकृति के साथ अपने को जोड़ें तथा धरती मां एवं स्वयं की रक्षा करें। इस विचार भावना और कल्पना के साथ ।
 ॐ सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया ढ

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Samdarshi PrajaMandal

स्वामी सत्यानंद जी समदर्शी द्वारा उद्धघोषित विचारक्रांति निऱूपण...

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Samdarshi PrajaMandal

मार्गदर्शन द्वारा स्वामी सत्यानंद जी समदर्शी

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Samdarshi PrajaMandal

मार्गदर्शन

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