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tinujusta7773
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Jagdeep Justa

CEO JandJFilmProduction.Pvt.Ltd insta: @jagdeepjusta. fb: @jagdeepjusta.

www.jagdeepjustawikipedia.com

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Jagdeep Justa

मैं झूठ नहीं कहूंगा कि मुझे थकान नहीं होती,
 हां... थक जाता हूं कभी-कभी,

जब थकने लगते हैं पैर, दिन भर चलते चलते, 
तो किसी पेड़ के नीचे बैठकर, 
रुक जाता हूं कभी-कभी,

अपनों के ख्याल सुबह जल्दी उठा देते हैं, 
जो दुखने लगे आंखें नींद से,
 तो सो लेता हूं कभी-कभी,

हंसने के मौके जिंदगी में बड़े कम ही मिले मुझे,
 लेकिन बचपन की बातें याद करके, 
मुस्कुरा लेता हूं कभी-कभी,

न जाने इस भाग दौड़ में, कब ये जिंदगी साथ छोड़ दे,
 बस यही सोच कर, 
खुद के लिए जी लेता हूं कभी-कभी...

©Jagdeep Justa #retro

12 Love

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Jagdeep Justa

Village Life हट तो जाती है चीज़ जगह से, मगर, उसका निशान रह जाता है 
झूठ तो सुना देता है फैसला, बस, सच का बयान रह जाता है

मुदत्तों बाद लौटता है कोई, अपने गांव, अपनी गली, अपने घर 
बदल चुका है सब कुछ, बस खड़ा मकान रह जाता है

निकले घर से, तो दुनियां समझ आई, 
हर सफ़र पर अकेला इंसान रह जाता है

इंसानियत कम, यहां तो क़िरदार निभाते है, 
साथ में खड़ा तो बस भगवान रह जाता है

©Jagdeep Justa #villagelife
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Jagdeep Justa

एक वक्त होता है जब हम चाहते हैं दोस्त बनाना, 
लोगों के साथ जुड़ना, मिलना-जुलना, हंसना- खेलना। 
और फिर एक वक्त आता है 
जब हमें इन सारी चीजों से कुढ़न होने लगती है, 
अकेलापन सुकून देने लगता है।
 जिन्दगी के दौड़ में हम कब बदल जाते हैं 
हमें पता ही नहीं चलता।
 और फिर अतीत के पन्ने पलट के 
जब कभी खुद को देखते हैं 
तो अचंभित होते हुए खुद से
 ही सवाल करते हैं कि
 "क्या ये मैं ही हूं"..

©Jagdeep Justa #fisherman
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Jagdeep Justa

चलते चला मैं पर रुका नहीं,

गिर कर उठा मैं ऐसे

जैसे कुछ हुआ नहीं...

लगने लगा मैं बुरा,

सबको सही कभी लगा नहीं...

जंबा पे मेरे खामोशी, दिल में दर्द कभी छुपा नहीं...

रोता रहा मैं ऐसे जैसे आँखों से कुछ बहा नहीं...

अपना दर्द अपना होता है,

गैरों को तो कभी दिखा नहीं...

©Jagdeep Justa #mountainsnearme
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Jagdeep Justa

समय, विश्वास और सम्मान यह ऐसे पक्षी है...
 उड़ जाए तो वापस नहीं आते है।

कोई इंसान हमेशा एक जैसा नहीं रहता,
 वक्त हालात और लोग बदलने पर मजबुर कर देते है।

थोड़ा सा खुद के लिए भी जी लिया करो यह वो जमाना है 
जिसमें कोई नहीं कहेगा कि आप थक गए हो आराम कर लो...

गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है 
और इंसान मौका देख कर... 

बुराई ढूंढने का शौक है तो 
शुरुआत खुद से कीजिए दूसरों से नहीं...

©Jagdeep Justa #Apocalypse
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Jagdeep Justa

कोई तमाशा दिखा कर चला गया,
 कोई तमाशा बना कर चला गया
 किसी ने पिलाए आंसुओं के जाम
तो कोई जहर का पियाला पीला कर चला गया
 जब-जब हुई सुबह, मैंने कोशिश की फूलों की तरह खिलने की 
कोई मुझे तोड़ कर चला गया, 
कोई मुझे रोंद कर चला गया
 बार-बार कोशिश की, मैंने प्यार का घर बनाने की
 कोई दीवारे गिरा कर चला गया, 
कोई बुनियाद हिला कर चला गया
 बेठा रहा मैं सारी उम्र दिल लेकर मोहब्बत के बाजार में 
कोई बोली लगा कर चला गया, 
कोई खोटा सिक्का बता कर चला गया 
पता ही नहीं चला कब गुजर गई मेरी ज़िंदगी
 कोई एक पल हंसा कर चला गया, 
कोई दो पल रुला कर चला गया 
यूँ तो मैंने निभाए दिल से सभी रिश्ते
 कोई सच्चा बता कर चला गया, 
कोई झूठा बता कर चला गया #travelogue

11 Love

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Jagdeep Justa

मैं हर बिखरे हुए को जोड़ नहीं पाऊँगा 
मैं हर रूठे हुए को मना नहीं पाऊँगा 
मैं हर बिगड़ी को बना नहीं पाऊँगा 
लेकिन मुझे यकीन है कि सबके लिए
 एक रास्ता, एक शख्स, कोई वजह, एक संयोग होगा 
जो दर्द को कम करेगा या सहने की शक्ति को बढ़ायेगा
 मैं कई लोगों के साथ ऐसा कुछ होने तक साथ खड़ा रह सकता हूँ
 हम सब रह सकते हैं. 
एक दूसरे की उम्मीद बनकर

©Jagdeep Justa #woshaam
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Jagdeep Justa

सब एहसासों की एहतियात रखूँगा 
तुम कहो तो सही, मैं हर बात रखूँगा

इस गुलशन में फूल उदास रहते हैं 
एक कोने में कहीं, मैं जज़्बात रखूँगा

मेरे शहर में एक झील सूखी हुई है 
इन आखों में बसी, मैं बरसात रखूँगा

छोटी सी है दुनिया मेरे सपनों के आगे
 आसमान ना ज़मीं, मैं कायनात रखूँगा

मैं रहा हूँ तनहा कई साल ज़िंदगी में 
हर शख़्स के लिए, मैं मुलाक़ात रखूँगा

©Jagdeep Justa #GoldenHour

12 Love

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Jagdeep Justa

मेरा वक़्त जनवरी में ठहरा है कही 
देखते देखते अक्टूबर भी गुज़र रहा है...

गर्मियाँ रिश्तों में उतनी ही है 
अब भी मौसम का मिज़ाज सर्दिला होने लगा है...

ईमानदारी से कहूँ मैं नहीं चाहता वक़्त गुज़रे
 पर
 ज़िंदगी की तरह, वक़्त भी अपनी मर्ज़ी से चल रहा है...

तमाम लम्हों को जोड़ भी लूँ तो कुछ ख़ास हाथ नहीं 
कहने को ज़िंदगी का एक साल और जी लिया है...

हर साल होता है ना सब कुछ ये
और
 फिर हर साल की तरह, फिर से मन बैचेन हो रहा है...

©Jagdeep Justa #samay
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Jagdeep Justa

घर से दूर आकर भी घर को याद ना करना

 बेबस बेसहारा बन, समय बर्बाद ना करना...



कभी ना भूलना क्यूँ छोड़ घर मैं आया था 

कहीं मैं रो ना दूँ, डर कर माँ से बात ना करना...



लम्हों में गुज़रती है वैसे तों ज़िन्दगी

कभी भारी सा पढ़ता है एक रात का गुज़रना...



ये दिन रात की कोशिश तुम्हारी सब बदल देगी

कंधे पर रख के हाथ, फिर तुम अपने ख़्वाब के चलना...

©Jagdeep Justa #Sheher
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