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vinayshukla7820
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Vinay Shukla

poetry love

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Vinay Shukla

कभी ठहरना कहीं तो सोचना
क्या सच में हम एक दूसरे से मोहब्बत नही करते
क्या रह पाते है हम एक दूसरे से मिले बगैर
क्या आता है सुकून हमको बिना देखे 
मगर रहना पड़ रहा है ना 
यही बात जो है दिल को खाए जा रही है
क्या कोई इसीलिए प्यार करता है 
क्या इसीलिए एक दूसरे पर जान छिड़कता है कोई
इसका जवाब ढूंढ रहा हूं 
बैठा रहता हूं किसी कोने में अपने दिल की आवाज़ सुनने को
मगर ये मेरा दिल अब है कहा मेरे पास जो सुनाई दे
अक्सर तुम कहते थे ना बहुत से लोग हैं मेरे पास
शायद गलत थे तुम 
बहुत से लोग भी तुमसे ही बनते थे
तुम्हारे साथ होने से ही उनसे भी सुकून आता था
तुम्हारे पास होने का मेरे साथ होने का अहसास ही 
मुझे तमाम लोगो के साथ बात करने का हौसला देता था
देखो ना अब तुम नही हो मेरे पास
तो कितना अकेला हूं कहीं जी ही नही लग रहा
उन तमाम यारियों का कोई फलसफा ही नही है
कितना उदास है मन कितना बेचैन है लगता है जैसे
कोई बसा बसाया शहर है जो उजड़ गया है

©Vinay Shukla
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Vinay Shukla

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Vinay Shukla

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Vinay Shukla

#nojothindi #no #shayri #Video
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Vinay Shukla

गुजार दिए होंगे तुमने कई दिन महीने साल
जो काट ना सकोगे वो एक रात मै हूं 

की होंगी गुफ्तगू तुमने कई दफा कई लोगो से
दिल पर  जो लगेगी वो एक बात मै हूं

भीड़ में भी जब तन्हा खुद को तुम पाओगे न
तो अपनेपन का अहसास जो करा दे वो एक साथ मै हूं

बिताए होंगे तुमने कई हसीन पल सबके साथ में
जो भूला नहीं पाओगे वो एक याद मै हूं एहसास # विनय शुक्ला

एहसास # विनय शुक्ला

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Vinay Shukla

बरसों बाद दिखा वो चेहरा , वहीं हंसी वो रंग सुनहरा
वही बचपना वही शरारत वही कहकहे वही वो पहरा
बहुत ख़ुश थी वो जैसे कोई रिश्ता ही न रहा हो मुझसे
ना कोई शिकन न कोई ग़म कुछ कह भी ना सका उससे
ना उसकी आंखो में देखा ना अपनी दासता सुनाई
ना मोहब्बत की बातें ना हुई वजह बेवफ़ाई
वही थी आवाज उसकी वही थी वो लरजिश
मेरे भी कदमों में थी वो ही बंदिश
यार ऐसे तो न थे तुम तेरे दिल में दया थी
प्यार था मै तेरा ये तेरी बया थी
फिर अचानक तू कैसे ऐसे हो गई
मोहब्बत फिर मेरी कहां खो गई
ना जी पाऊंगा तुम बिन तुझसे कहा है
तुझे क्या पता मैंने कितना सहा है
लिखता रहता हूं हरपल तेरी ही यांदे
बिन तेरे आंसू ये मुझको रूला दे
तेरे पावो में जो कुछ भी ज़ख्म गम है
मोहब्बत भरे लब ही उनका मरहम हैं

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Vinay Shukla

प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया ही नहीं
कैसा बादल है वो जिसका कोई साया ही नहीं
बेरुखी इससे बड़ी और भला क्या होगी मेरे लिए
एक मुद्दत से उसने हमें सताया भी नहीं ।
रोज आता है वो दर ए दिल पर दस्तक देने
सितम ये है कि वो बाहों में कभी आया ही नहीं
सुन लिया है कैसे खुदा जाने जमाने भर ने
फ़साना वो जिसे हमने कभी सुनाया ही नहीं
हम तो शायर है और वो एक आम शख्स 
उसने  भी चाहा तो मुझे पर शायद बताया ही नहीं vinay Shukla poetry@ LoVe

vinay Shukla poetry@ LoVe #कविता

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Vinay Shukla

महीनों बाद आज रूत मददगार भी है 
आओ मिलो ना आज इतवार भी है विनय शुक्ला जीवन एक रंगमंच

विनय शुक्ला जीवन एक रंगमंच

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Vinay Shukla

मां किसी और के लिए तुझे भूल जाऊ मै
मुझे मेरा रब भी इजाजत देता नहीं
मां तुझे तकलीफों में छोड़ किसी तीरथ पर जाऊ मै
ये जमीर मेरा मुझसे कभी कहता नहीं
मां तुमसे जीवन मिला है पहचान मिला है मुझको
तेरे अलावा यथार्थ कही मुझे नजर आता नहीं
मां तुझमें ही सृष्टि को देखता हूं मै
तेरे बगैर मै एक पल जी पाता नहीं
मां मै अभिमान करू तो सिर्फ तुम पर करू
हकीकत जीवन के सिवा तेरे कोई बताता नहीं
मां भटकने लगु राहों से तो संभाल लेना तू मुझे
क्योंकि लौटकर श्मशान से दौलतमंद भी आता नहीं मातृत्व प्रेम @विनय शुक्ला

मातृत्व प्रेम @विनय शुक्ला #कविता

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Vinay Shukla

कुछ जीत लिखूं या हार लिखूं या दिल का सारा प्यार लिखूं
कुछ अपनों के जज़्बात लिखूं या सपनों का सौगात लिखूं
मै खिलता सूरज आज लिखूं या तेरा चेहरा चांद गुलाब लिखूं
वो तेरे घर का शाम लिखूं या तेरी वो मुस्कान लिखूं
वो डूबते सूरज को देखूं या उगते फूल की सांस लिखूं
वो चाय के कप को लिख दू या छु लेना तेरा हाथ लिखूं
वो पहली पहली प्यास लिखूं या निश्छल पहला प्यार लिखूं
वो कपडे गुलाबी लिखूं या वों खिड़की रोशनदान लिखूं
दरखतो में तेरा छिपना लिखूं या  तन चंदन के समान लिखूं
मै तुझको अपने पास लिखूं या दूरी का एहसास लिखूं
तेरा याद मुझे ना करना लिखूं या तेरे फोन काल पे मरना लिखूं
तेरी वर्षों की ख़ामोशी लिखूं या अपनी उदासी यार लिखूं
सागर सा गहरा हो जाऊ या अम्बर सा विस्तार लिखूं
मौसम की बारिश में भिगु या आंखो की बरसात लिखूं
बोल ना रानी क्या क्या लिख दू कैसे दिल के उद्गार लिखूं
दिल कहता है मै बस तुमको प्यार प्यार बस प्यार लिखूं उसकी यादे भाग - 1 विनय शुक्ला

उसकी यादे भाग - 1 विनय शुक्ला

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