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triptyshukla6773
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Tripty Shukla

I am an idiot

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Tripty Shukla

फ़ुर्सतें कभी खाली हाथ नहीं आतीं...

#thoughts #time #life #triptishukla

फ़ुर्सतें कभी खाली हाथ नहीं आतीं... thoughts #Time life #triptishukla #विचार

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Tripty Shukla

भरी दोपहर वीड चढ़ाकर बैठे हैं
वो मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे हैं

निकले थे कहके न वापस आएंगे
मौसम बदला वो फिर आकर बैठे हैं

घर को पीछे छोड़के जो दिल्ली आए
दिल में पूरा गांव बसाकर बैठे हैं

नींदें तो आंखों का बस एक पर्दा हैं
पर्दे भीतर ख्वाब सजाकर बैठे हैं

चांद ईद का बनके कोई बैठा है
लेकिन हम भी रात जगाकर बैठे हैं

सबको वो कहते रहते हैं दूर रहो
चार जगह से दिल तुड़वाकर बैठे हैं

दुनिया कहती रहती है तुम भूल गए
हम भी लगभग तुम्हें भुलाकर बैठे हैं

जाने किसकी याद में पागल फिरते हैं
जाने फिर से कौन गुनाह कर बैठे हैं

नींद कभी तो आए गहरी सी एक दिन
हम कबसे सब ख्वाब सुलाकर बैठे हैं

याद नहीं करने का वादा था लेकिन
हम यादों का बाग सजाकर बैठे हैं

दिल की बात करो तो थोड़ा धीरे से
दुनिया वाले कान लगाकर बैठे हैं

बहर काफ़िया ढूंढ रहे हो क्या तुम भी?
हम तो बस कुछ रंग उड़ाकर बैठे हैं

(१:२२ त्रियामा, शुक्रवार, १० जुलाई २०२०)
©तृप्ति शुक्ला भरी दोपहर वीड चढ़ाकर बैठे हैं
वो मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे हैं

निकले थे कहके न वापस आएंगे
मौसम बदला वो फिर आकर बैठे हैं

घर को पीछे छोड़के जो दिल्ली आए
दिल में पूरा गांव बसाकर बैठे हैं

भरी दोपहर वीड चढ़ाकर बैठे हैं वो मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे हैं निकले थे कहके न वापस आएंगे मौसम बदला वो फिर आकर बैठे हैं घर को पीछे छोड़के जो दिल्ली आए दिल में पूरा गांव बसाकर बैठे हैं #शायरी

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Tripty Shukla

तुझपे ताउम्र जां लुटाने के, वो इरादे भुला दिए मैंने
तेरी यादें संभाल रखी हैं, और वादे भुला दिए मैंने

रात उस आसमां की चादर पे, एक बाजी बिछी थी तारों की
वो जो टूटे थे ख्वाब बनकर के, सारे प्यादे भुला दिए मैंने

नहीं हैं मुंतज़िर किसी की ये, नहीं पूछेंगी, भूल बैठे क्या?
नज़र-नज़र से जो किए थे कभी, वो तगादे भुला दिए मैंने
 
लोग आते हैं दवा बनकर के, ज़हर से दिल में उतर जाते हैं
दर्द आधे अभी भी हैं ज़िंदा, बाकी आधे भुला दिए मैंने

तुझसे अब राब्ता नहीं है तो, खत तेरे क्यों सहेज रखूं मैं
हमारे दरमियां जो किस्से थे तू भुला दे, भुला दिए मैंने

(9:36 अपराह्न, रविवार, 5 अप्रैल 20) रात उस आसमां की चादर पे, एक बाजी बिछी थी तारों की
वो जो टूटे थे ख्वाब बनकर के, सारे प्यादे भुला दिए मैंने

रात उस आसमां की चादर पे, एक बाजी बिछी थी तारों की वो जो टूटे थे ख्वाब बनकर के, सारे प्यादे भुला दिए मैंने

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Tripty Shukla

उसकी यादें उदास करती हैं
और बातें उदास करती हैं

स्याह रातों की मुझको आदत है
चांद रातें उदास करती हैं

ख्वाब रहते थे जिनमें भर-भरके 
अब वो आंखें उदास करती हैं

चलो छोड़ो भी मिलना-जुलना ये
मुलाकातें उदास करती हैं

दरमियाँ थीं जो दूरियाँ वो अब
पास आके उदास करती हैं

संग गुज़रे थे जिनसे गलियाँ वो
आते-जाते उदास करती हैं

उसको छूके जो हवाएँ आईं
इसी नाते उदास करती हैं

(21:17, मंगलवार, 14 जनवरी, 2020) उसकी यादें उदास करती हैं
और बातें उदास करती हैं

स्याह रातों की मुझको आदत है
चांद रातें उदास करती हैं

ख्वाब रहते थे जिनमें भर-भरके 
अब वो आंखें उदास करती हैं

उसकी यादें उदास करती हैं और बातें उदास करती हैं स्याह रातों की मुझको आदत है चांद रातें उदास करती हैं ख्वाब रहते थे जिनमें भर-भरके अब वो आंखें उदास करती हैं #शायरी

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Tripty Shukla

अबके जाओ भी तो जाने के बाद ना आना
इतने हो जाओ जुदा फिर के याद ना आना 

चलो इतना ही सही, बात मेरी रख तो लो
याद आना तो मगर बेमियाद ना आना

रात मुश्किल से सुकूं आके पास बैठा है
फिर कोई ख्वाब में लेके फ़साद ना आना

एक तेरी आखिरी हो जाए दीद, जाँ छूटे
एक दीदार दे, फिर नामुराद ना आना

वो मेरा ख्वाब तेरे बिन तड़प के टूट गया
अब भी चुभता है तेरा दिल-ए-शाद ना आना

(22:38 अपराह्न, 12 अक्टूबर 2019) अबके जाओ भी तो जाने के बाद ना आना
इतने हो जाओ जुदा फिर के याद ना आना 

चलो इतना ही सही, बात मेरी रख तो लो
याद आना तो मगर बेमियाद ना आना

रात मुश्किल से सुकूं आके पास बैठा है
फिर कोई ख्वाब में लेके फ़साद ना आना

अबके जाओ भी तो जाने के बाद ना आना इतने हो जाओ जुदा फिर के याद ना आना चलो इतना ही सही, बात मेरी रख तो लो याद आना तो मगर बेमियाद ना आना रात मुश्किल से सुकूं आके पास बैठा है फिर कोई ख्वाब में लेके फ़साद ना आना #शायरी

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Tripty Shukla

हूबहू तुम तो तुम्हीं जैसे नज़र आते हो
अमां छोड़ो, क्या ख़ाक इश्क फरमाते हो

ये कैसा दर्द है, तबसे दबाके बैठे हो
ज़रा सी बात पे, रह-रहके खिलखिलाते हो

दिल के मसले हैं, परेशान करके छोड़ेंगे
चले भी जाओ, यहां काहे जां फंसाते हो

तुमको भूला है कोई पहली दफ़ा लगता है
यही रिवाज है, क्यों इतना तिलमिलाते हो

एक दीदार ही काफी था जां निकलने को
मार ही डालोगे क्या, इतना मुस्कुराते हो हूबहू तुम तो तुम्हीं जैसे नज़र आते हो
अमां छोड़ो, क्या ख़ाक इश्क फरमाते हो

ये कैसा दर्द है, तबसे दबाके बैठे हो
ज़रा सी बात पे, रह-रहके खिलखिलाते हो

दिल के मसले हैं, परेशान करके छोड़ेंगे
चले भी जाओ, यहां काहे जां फंसाते हो

हूबहू तुम तो तुम्हीं जैसे नज़र आते हो अमां छोड़ो, क्या ख़ाक इश्क फरमाते हो ये कैसा दर्द है, तबसे दबाके बैठे हो ज़रा सी बात पे, रह-रहके खिलखिलाते हो दिल के मसले हैं, परेशान करके छोड़ेंगे चले भी जाओ, यहां काहे जां फंसाते हो #शायरी

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Tripty Shukla

दोस्त कहता है, मगर हद बना के चलता है
अजब शहर है तेरा, बच-बचा के चलता है

दिल ही टूटा है, भला इतने परेशां क्यों हो
फिर बहल जाएगा कि सब यहां पे चलता है

उसने पूछा था, मुझे भूल क्यों नहीं जाते
किसने पूछा था, ये सवाल अब मचलता है

जो भी वादे थे, सभी शौक से भुला दो तुम
ऐसी रस्मों पे भला किसका दम निकलता है

हुई मुद्दत कि खत किसी का फिर नहीं आया
यूं तो मिलता है गले, जब भी कोई मिलता है

सात जन्मों की कसम थी, मगर वो यूं बदले
जैसे हर साल कैलेंडर कोई बदलता है दोस्त कहता है, मगर हद बना के चलता है
अजब शहर है तेरा, बच-बचा के चलता है

दिल ही टूटा है, भला इतने परेशां क्यों हो
फिर बहल जाएगा कि सब यहां पे चलता है

उसने पूछा था, मुझे भूल क्यों नहीं जाते
किसने पूछा था, ये सवाल अब मचलता है

दोस्त कहता है, मगर हद बना के चलता है अजब शहर है तेरा, बच-बचा के चलता है दिल ही टूटा है, भला इतने परेशां क्यों हो फिर बहल जाएगा कि सब यहां पे चलता है उसने पूछा था, मुझे भूल क्यों नहीं जाते किसने पूछा था, ये सवाल अब मचलता है

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Tripty Shukla

चलो कि फिर उसी गली में जा ठहरते हैं
जहां से कहकहों के काफ़िले ग़ुज़रते हैं

बैठ जाती है शाम काम-धाम तज करके
रंग जब ज़िंदगी के भाल पे बिखरते हैं

वक्त की राह पे गुज़रे हैं मोड़ कुछ ऐसे
गुज़र गए हैं मगर दिल में बसर करते हैं

ख्वाहिशें हैं, यूं ही बेमौत दफन हैं कबसे
तू बता कैसे दुआओं में रंग भरते हैं

मिलेंगे फिर कभी, वादा किया, चले आए
मिले न फिर कभी, वनवे है, सफ़र करते हैं

सुना है आज भी मेरे शहर में रौनक है
दर-ओ-दीवार बोलते हैं, बात करते हैं

चलो कि फिर उसी गली में जा ठहरते हैं
जहां से कहकहों के काफ़िले ग़ुज़रते हैं

(२२:३१, ९ मार्च २०१९) #NojotoQuote चलो कि फिर उसी गली में जा ठहरते हैं
जहां से कहकहों के काफ़िले ग़ुज़रते हैं

बैठ जाती है शाम काम-धाम तज करके
रंग जब ज़िंदगी के भाल पे बिखरते हैं

वक्त की राह पे गुज़रे हैं मोड़ कुछ ऐसे
गुज़र गए हैं मगर दिल में बसर करते हैं

चलो कि फिर उसी गली में जा ठहरते हैं जहां से कहकहों के काफ़िले ग़ुज़रते हैं बैठ जाती है शाम काम-धाम तज करके रंग जब ज़िंदगी के भाल पे बिखरते हैं वक्त की राह पे गुज़रे हैं मोड़ कुछ ऐसे गुज़र गए हैं मगर दिल में बसर करते हैं

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Tripty Shukla

Tripty Shukla's Stories in 2018
#Throwback2018

Tripty Shukla की कहानियाँ 2018 में
#लम्हें2018 #Nojoto2018

Tripty Shukla's Stories in 2018 #Throwback2018 Tripty Shukla की कहानियाँ 2018 में #लम्हें2018 2018 #Nojoto2018

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Tripty Shukla

किसी के इंतज़ार में दिनों को रात करो
लफ़्ज़ की रूह में उतरो, खतों से बात करो

कहां अभी भी ज़िंदगी ठहर के बैठी है
पता लगाओ, ज़रा उससे मुलाकात करो

करी जो दुश्मनी तो एक बार भी न कहा
प्यार की बात में कहते हो, एहतियात करो

दगा का बोझ है, लादोगे, टूट जाओगे
रिटर्न गिफ्ट में दे दो, चलो निज़ात करो

वो एक शहर जो दिल में घर बनाके बैठा है
लौट आओ कि वहीं ज़िंदगी की रात करो

दबी हैं खिलखिलाहटें उमर की सलवट में
हैं मुंतज़िर कि फ़िर से कोई खुराफ़ात करो

(२१:३३, १० जनवरी १९) #NojotoQuote बात करो...  
किसी के इंतज़ार में दिनों को रात करो
लफ़्ज़ की रूह में उतरो, खतों से बात करो

कहां अभी भी ज़िंदगी ठहर के बैठी है
पता लगाओ, ज़रा उससे मुलाकात करो

करी जो दुश्मनी तो एक बार भी न कहा

बात करो... किसी के इंतज़ार में दिनों को रात करो लफ़्ज़ की रूह में उतरो, खतों से बात करो कहां अभी भी ज़िंदगी ठहर के बैठी है पता लगाओ, ज़रा उससे मुलाकात करो करी जो दुश्मनी तो एक बार भी न कहा #Poetry

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