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deepaksharma8935
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#sadDeepak1992

Story Teller & poet

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#sadDeepak1992

llमाँ तू बड़ी महान हैll

तू है मेरी सृजनकर्ता, तू मेरी भगवान है।
माँ तू बड़ी महान है।
भीड़ भरी इस दुनिया में,तू ही मेरी पहचान है,
माँ तू बड़ी महान है।।

तूने अपनी खून की इक-इक बूंद से मुझको सींचा है,
तेरे निश्छल प्रेम के आगे,प्यार जगत का फीका है।
प्रेम का गहरा सागर है तू,करुणा की तू खान है।
माँ तू बड़ी महान है।।

जब-जब साथ मेरे होती तू, मैं उस पल मुस्काता हूँ,
पास तेरे न होने पे माँ, जाने क्यों घबराता हूँ।।

जिसके ऊपर साया माँ का,वही बड़ा धनवान है।
माँ तू बड़ी महान है।
माँ तू बड़ी महान है।।

नोट-ये कविता आप सभी की माँओं के लिए है।
यदि इस कविता ने ज़रा सा भी आपके दिल को छुआ हो तो
कृपया आप इसे अपना प्रेम-स्नेह ज़रूर दीजियेगा।
और आपको ये कविता कैसी लगी,अपनी कीमती राय नीचे
दिए गए कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखियेगा।
।।धन्यवाद।।

©#sadDeepak1992
  माँ तू बड़ी महान है।।

माँ तू बड़ी महान है।। #कविता

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#sadDeepak1992

।।मेरे दिल की शायरी।।
(जब दुनिया में आऊँ)

चैन भी तुम हो मेरे दिल का,तुम दिल की राहत हो,
रब से मांगी है जो मैंने,तुम वो ही चाहत हो।।

याद तुम्हें करता हूँ हर पल,ख्वाब तेरा है आंखों में,
खुश्बू  घुल गयी तेरे प्यार की,मेरी इन सांसो  में।।

रहे हमेशा संग तू मेरे,दुआ है मेरी रब से,
मिली हैं खुशियां मुझको सारी,मिली तू मुझको जब से।।

एक जनम नहीं जनम-जनम तक,प्यार तेरा मैं पाऊँ।

साथ मिले मुझको बस तेरा,जब दुनिया में आऊँ।।
साथ मिले मुझको बस तेरा,जब दुनिया में आऊँ।।

©#sadDeepak1992
  jab duniya mein aaun💘❤️

jab duniya mein aaun💘❤️ #कविता

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#sadDeepak1992

।।थोड़ी सी दरारें बाकी हैं।।
क्यों हुआ मैं उसका दीवाना, क्यों प्यार किया मैंने उससे?
 क्यों अपनी इकतरफा चाहत का,इज़हार किया मैंने उससे?

 उस वक़्त ख़बर न थी मुझको,ऐसा भी इक दिन आयेगा, दिल को राहत देने वाला
मेरे दिल को तड़पायेगा।

।उसके ख़ातिर जग छोड़ दिया,और तोड़ दिये रिश्ते सारे,

कुछ और दिखा न तब मुझको,बस वो ही लगते थे प्यारे।
अब प्यार रहा न जीवन में,बस तकरारें अब वाकी हैं।
भर चुके हैं दिल के जख्म सभी,थोड़ी सी दरारें बाकी हैं।

©#sadDeepak1992
  थोड़ी सी दरारें बाकी हैं।@saddeepak1992

थोड़ी सी दरारें बाकी हैं।@saddeepak1992 #कविता

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#sadDeepak1992

o priya o priya priya .

o priya o priya priya .

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#sadDeepak1992

आजा तू मेरी बाहों में,जी भर के तुझको प्यार करूँ!
अपनी चाहत की बारिश से,तुझपे मैं सनम बौछार करूँ।
इन तेरी नशीली आँखों ने,मुझको तो घायल कर डाला।
मदमस्त तेरी इन बातों ने,मुझको तो पागल कर डाला।
देदे तू इज़ाज़त अब मुझको,मैं आज समा जाऊं तुझमे।
तू भी अब छोड़ दे शर्मो-हया, तू भी खो जा बस अब मुझमे।
तेरे प्यार के गहरे सागर में,जी करता है मैं खो जाऊँ।
तेरी जुल्फों की छांव में,मैं खुद को भुलाके सो जाऊँ।
मैं तोहफा दूँ तुझको ऐसा,तुझे याद रहे वो जीवन भर,
अब सोच न ज्यादा तू दिलबर,आशिक पे अपने भरोसा कर।
खाता हूं कसम तेरे सर की,तुझे छोड़ कहीं न जाऊंगा।
करता हूँ प्यार तुझे दिल से,उसे मरते दम तक निभाउंगा।
करता हूँ प्यार तुझे दिल से,उसे मरते दम तक निभाउंगा।


कवि-दीपक शर्मा।

©#sadDeepak1992
  #hotshayri1992-meri chaht
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#sadDeepak1992

तुम फिर आना...
(अध्याय-1,भाग-06)

मिस्टर ब्रिगेंजा को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो जैसे वो किसी ज़रूरी कार्य मे व्यस्त हों।उन्हें ये ज़रा भी एहसास नहीं हुआ कि उनके ऑफिस में मिसेज माथुर और 10 साल के अनन्त के रूप में दो सख्स और भी मौजूद थे।लगभग 5 मिनट तक उनके ऑफिस में किसी शांति का वातावरण बना रहा।मिसेज माथुर ने भी मिस्टर ब्रिगेंजा को उनके काम के बीच मे डिस्टर्ब न करने में ही भलाई समझी।अचानक मिस्टर ब्रिगेंजा का ध्यान मिसेज माथुर की ओर आकर्षित किया स्कूल की बजने वाली उस बेल ने जो इशारा कर रही थी स्कूल के सभी बच्चों को की उनकी प्रेयर का समय शुरू हो चुका है।इस प्रकार अचानक से अपने ऑफिस में मिसेज माथुर को अपने सामने देख खुशी से मुस्कुरा उठे मिस्टर ब्रिगेंजा।
गुड मॉर्निंग मिसेज माथुर!हमारे इस स्कूल में मैं मिस्टर ब्रिगेंजा आपका तहे दिल से स्वागत करता हूं।अरे!आप खड़ी क्यों हैं??
ओ...ओ सॉरी मिसेज माथुर !मैं आपको देख नहीं पाया।दरअसल मैं अपने एक ज़रूरी कार्य मे व्यस्त था।मिस्टर ब्रिगेंजा के इस आदर भरे अनुग्रह का आभार प्रकट करते हुए सामने पड़ी एक लकड़ी की कुर्सी पर जा बैठीं मिसेज माथुर।
तो ये है आपका पोता जिसके बारे में आपने मुझे बताया था?
अनन्त को नीचे से ऊपर तक अजीब निगाह से देखते हुए मिसेज माथुर से पूछा मिस्टर ब्रिगेंजा ने।

"जी हाँ मिस्टर ब्रिगेंजा!यही है मेरा पोता अनन्त।और आज मैं  इसको आपके स्कूल में  इसीलिए लायी हूँ ताकि आज आप इसका एडमिसन अपने स्कूल में ले सकें।"
मिस्टर ब्रिगेंजा की ओर देखते हुए बोलीं मिसेज माथुर।उनके शब्दों में गंभीरता अलग ही झलक रही थी।

(To be continue)

©#sadDeepak1992
  #deepak1992(तुम फिर आना-एपिसोड-06

#deepak1992(तुम फिर आना-एपिसोड-06 #सस्पेंस

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#sadDeepak1992

तुम फिर आना...
(अध्याय-1,भाग-04)
मिसेज माथुर ने आज से पहले कभी भी अपने पोते अनन्त के साथ ऐसा बर्ताब नहीं किया था।परन्तु आज अनन्त पर उनके गुस्सा करने की सिर्फ और सिर्फ एक ही वजह थी वो वजह सिर्फ ये थी कि वो ये बिल्कुल भी नहीं चाहती थीं कि उनका इतने बर्षों का त्याग यूँ ही व्यर्थ न चला जाये।इस मतलब भरी दुनिया मे एक अकेली विधवा स्त्री का अपने साथ एक और ज़िन्दगी का गुजारा करना कितना मुश्किल होता है ये वे भलीभांति जानती थीं।मिस्टर माथुर और उनके बेटे और बहू के गुजरने के बाद उनकी माली हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि उन्हें पास में ही एक डांस स्कूल में डांस सिखाने के लिए नौकरी भी करनी पड़ी।पर ये काफी नहीं था।डांस स्कूल में मिलने वाली 3000 रुपये की तनख्वाह में उनका गुज़ारा करना बड़ा ही मुश्किल होता था।मगर उन्होंने बड़ी ही लगन और शालीनता के साथ अपना और अपने पोते अनन्त पेट पाला।जो स्थिति मिसेज माथुर की अब थी बैसी पहले बिल्कुल न थीं।एक बड़ा साइंटिस्ट होने के नाते मिस्टर माथुर के पास धन की कोई कमी न थी ।परन्तु एक दिन जब उन्हें एक ऐसी अद्भुत चीज की जानकारी हुई जो हमारी पौराणिक कथाओं से संबंध रखती थी।तो उन्होंने उसी दिन से अपने उसी प्रोजेक्ट पर काम करना शुरु कर दिया।उसमें आने वाला जितना भी ख़र्च होता था उसे वे खुद ही उठाते।मिस्टर माथुर का एक बेटा भी था आरब।उन्होंने आरब की पढ़ाई में भी बहुत सारा पैसा खर्च किया था ताकि वो उसे इस काबिल बना सकें ताकि बड़ा होकर वो भी उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट में उनकी मदद कर सके।

(To be Continue)

प्यारे दोस्तों!आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है,प्लीज कमेंट करके बताये।धन्यवाद।

©#sadDeepak1992
  Tum fir aana(episode-04)#deepqk1992

Tum fir aana(episode-04)#deepqk1992 #सस्पेंस

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#sadDeepak1992

तुम फिर आना...
(अध्याय-1-भाग-03)
मिसेज माथुर की उस क्रोध-भरी आवाज से अपने बिस्तर पे उछल पड़ा सोता हुआ अनन्त।आंखे खोलीं तो सामने उसकी दादी खडी थीं जो ग़ुस्से से उसी की ओर देख रहीं थीं।
"ये कोई वक़्त है तेरे सोने का अनन्त??
"तुझे ये अच्छी तरह से पता है कि कितनी मुश्किल से मैंने तेरा एडमिशन इस शहर के जाने-माने स्कूल में कराने के लिए वहां के प्रिंसिपल मिस्टर ब्रिगेंजा को राजी किया है।और एक तू है कि मेरी सारी मेहनत पर पानी फेरने पर तुला हुआ है।"
(आज से पहले अनन्त ने अपनी दादी का ऐसा स्वरूप पहले कभी नहीं देखा था।सिर्फ 4 साल का था वो जब उसने अपने माता-पिता और अपने दादाजी को खो दिया था।तब से उसे उसकी दादी ने ही पाला था।आज अपनी दादी का ऐसा स्वरूप देख हक्का-बक्का रह गया मासूम अनन्त।
मगर दादी...!
(मिसेज माथुर से कुछ कहना चाहता था अनन्त, परन्तु इससे पहले वो कुछ भी बोल पाता दोबारा फिर अनन्त पर भड़क उठीं मिसेज माथुर)
"अब क्या पूरा दिन यहीं खड़ा रहेगा?जा जल्दी से तैयार हो जा।तेरा टिफिन तैयार कर के रख दिया है मैंने टेबल पर।
(इससे पहले कि कुछ और बोलतीं मिसेज माथुर रॉकेट की भांति अपने कमरे से बाहर निकल गया अनन्त।

(To be continue)
प्यारे दोस्तों!आपको कहानी कैसी लग रही है please कमेंट करके ज़रूर बताएँ।धन्यवाद।

©#sadDeepak1992
  Tum fir aana-episode-03

Tum fir aana-episode-03 #सस्पेंस

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#sadDeepak1992

(तुम फिर आना...)
(अध्याय-१,भाग-२)
...उनके इस  क्रोध का कारण सिर्फ इतना ही था क्योंकि मिसेज 
माथुर ये नहीं चाहती थीं कि अपने आलस की वजह से उनका पोता अनन्त पहले ही दिन अपने स्कूल में देरी से पहुंचे।अनन्त जो कि अभी 10 साल का ही है,मगर मिसेज माथुर ने उसे कभी ये एहसास ही नही होने दिया कि वो एक बच्चा है।अनन्त के माता-पिता की एक हवाई-जहाज दुर्घटना में मौत होने के बाद मिस्टर माथुर और मिसेज माथुर बुरी तरह से टूट चुके थे।किसी तरह से अपने जबान बेटे और बहू की मौत का ग़म मिसेज माथुर तो सह गयीं परन्तु मिस्टर माथुर अपने बेटे की मौत का गम ज्यादा दिनों तक बर्दास्त न कर सके और एक रात वो अपने बेटे को याद  करते-करते इस दुनिया से अलविदा कह गये।अचानक से हुईं इन मौतों से मिसेज माथुर भी उस दिन पूरी तरह से टूट चुकी थीं।उस दिन मिस्टर माथुर की मौत के बाद मिसेज माथुर ने भी अपनी ज़िंदगी समाप्त करने का फैसला कर लिया था परन्तु अनन्त के मासूम चेहरे की मासूमियत ने उन्हें ऐसा न करने के लिए विवश कर डाला।
उन्हें अनन्त के उस मासूम चेहरे में अपने बेटे की छबि दिखने लगी थी।उस दिन उन्होंने ये फैसला कर लिया कि वो अनन्त को भी अपने पति और बेटे जैसा एक बड़ा साइंटिस्ट बनायेगीं।
क्योंकि जो सपना उनके पति यानी मिस्टर माथुर ने देखा था और जिसे पूरा करने के लिए ही  उसका बेटा अपनी बहू के साथ हबाई-जहाज से अमेरिका जा रहा था,वो एक अनहोनी की वजह से अधूरा रह गया था।उस सपने को पूरा करने की ठान चुकी थीं मिसेज माथुर।परन्तु ये इतना आसान भी नहीं था।
आज अनन्त को इतना निश्चिंत सोता हुआ देखकर मिसेज माथुर को ऐसा लगा जैसे उसका सपना चूर-चूर होने वाला हो।
(दोस्तों!स्टोरी कैसी लग ही है कमेंट करके ज़रूर बताना।)

(To be continue)

©#sadDeepak1992 Tum fir aana(Episode-2#sadDeepak

Tum fir aana(Episode-2sadDeepak

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#sadDeepak1992

  तुम फिर आना...
(अध्याय-1,भाग-1)
सुबह के 7 बज चुके थे,मगर अभी तक अनंत अपने बिस्तर से उठने का नाम ही नहीं ले रहा था।आज उसके स्कूल का पहला दिन था,परन्तु वो अपनी नींद में इस कदर खोया हुआ था मानो कि उसे किसी बात की कोई फिक्र ही न हो।सोते हुए उसके चेहरे पर आई हुई मुस्कान से ये साफ जाहिर हो रहा था मानो जैसे वो कोई बहुत ही अच्छा सा सपना देख रहा हो।
घड़ी की सुई भी अपने स्वाभव के अनुसार धीरे-धीरे आगे खिसकती जा रही थी।कि तभी अचानक से अनंत की बूढ़ी दादी मिसेज  माथुर जिनकी उम्र लगभग 55 बर्ष के करीब होगी,अंनत के कमरे में प्रविष्ट हुईं।
कमरे में घुसते ही उनकी नज़र सामने दीवार पर टंगी हुई घड़ी पर जा पहुंची जो अब 7:15 बजा चुकी थी।घड़ी को देखते ही अचानक से 
गुस्से में तमतमा उठीं मिसेज माथुर!
(To be continue...)

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