#विधवानारी#विधवा ये पंक्तियाँ लिखी है मैंने एक उस स्त्री को ध्यान में रखते हुए जिसकी उम्र लगभग ३५ वर्ष रही होगी, उसकी ५ बेटियाँ है उसके पति की कैंसर से मृत्यु हो गई है कुछ साल पहले , उसने दूसरी शादी नहीं की ये सोचकर कहीं उसकी बेटियों की ज़िंदगी बर्बाद न हो जाए । उसका दर्द बहुत गहरा है मगर वो खुलकर रो भी नहीं सकती सिर्फ़ इस वजह से कि कहीं उसकी बेटियाँ कमजोर न पड़ जाए ।
ऐसी इस संसार में न जाने कितनी औरतें हैं जिनके पति के जाने के बाद घुट-घुट कर अपना सारा जीवन गुज़ारती हैं ।
ये पंक्तियाँ मैंने उपर वाले से शिकायत करते हुए लिखी हैं, इनका शीर्षक है :-
क्यूँ छीन लेता है, सुहाग स्त्रियों के… #Poetry
Ravindra Singh
#lalishq साड़ी में लिपटी हुई स्त्री…
वो साड़ी में लिपटी हुई स्त्री,
मुझे बहुत आकर्षित कर रही थी ,
मुझसे रह न गया ,
मैंने कह ही दिया…
तुम्हारा रूप,