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jitendramishra5937
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भोले बाबा

here is bhole baba that gives solution of bad effects any constellations falling on your body . how to improve your confidence and throw out your fear you can't do anything. My charge is only to awaken faith in shiva so that the effect of kala is reduced. ऊं

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भोले बाबा

भक्ति किसी फल का इंतजार नहीं करती
 पूजा और साधना फल का इंतजार करवाती हैं

 इसलिए भक्ति जीव के कर्म बंधन को काटती है 
और 
पूजा और साधना कर्म बंधन में सुधार करती है 
इसीलिए भक्ति किसी बंधन में बंधी नहीं होती इसीलिए ध्यान इसका आधार होता है 
जबकि पूजा और 
साधना का एक निश्चित तरीका होता है

©भोले बाबा #shiva

14 Love

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भोले बाबा

शब्द भोजन की तरह होते हैं
 जिसे परोसने  के पहले चख लीजिए 
अगर खुद को स्वाद ना लगे तो दूसरों को मत परोसिए 
ताकि खुद 
अगर कभी
 उस खाने को खाना पड़े तो परेशानी ना हो

©भोले बाबा #shiva

16 Love

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भोले बाबा

नासमझी ही  होती है 
समझ  जीवन की 
समझदारी तो केवल

 मतलब के लिए  रिश्ते निभाती है

©भोले बाबा #shiva

15 Love

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भोले बाबा

बल्ला चाहे कितना भी मजबूत क्यों ना हो  
ये खेलने वाले के ऊपर है
 कि वह बाॅल को खेलता कैसा है 

कोई मजबूत बल्ले को तरसते हैं
 तो कोई खुद की ताकत को

©भोले बाबा #shiva

14 Love

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भोले बाबा

जीव के तीन शस्त्र
पहला मन जो कभी शांत नहीं होता दूसरा दिमाग  जो केवल अपने लिए सोचता है और तीसरी आत्मा जो दोनों को संतुलित करती है जो बुद्धि की सहायक होती है इसीलिए मन को आकर्षित करती है और मन को सही विचार प्रेषित करती है दिमाग और मन में जिसका पलडा भारी होता है वह जीत जाता है और जीव उसी के हिसाब से कर्म करता है अगर जब आत्मा का पहला जन्म होता है तब से अब तक न जाने कितने विचार जीव ने  किए होंगे और ना जाने  कितने छोडे  होंगे इसलिए मन में विचार लगातार चलते रहते हैं  आत्मा संतुलित करती है इसी कारण से जीव  विचारों से बाहर आ पाता है
और अपने जीवन को सुचारू रूप से चला पाता है 
यह जीवन की प्रक्रिया सभी जीवो के लिए समान होती है

©भोले बाबा #shiva

19 Love

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भोले बाबा

पंच भूतों से निर्मित शरीर में  जीव का छल  उसकी इच्छाओं और हठ और उसकी स्वयं  की सोच से निर्मित होता है 
हर एक जीव की आत्मा मोक्ष प्राप्ति की इच्छुक होती है जिसके लिए जीव का जन्म होता है परंतु जीव वह कर्म करता है जिससे उसका शरीर संतुष्ट होता है ना  कि आत्मा और यही उसके कई योनियों में  जन्म लेने का कारक बनती है क्योंकि
 शरीर कभी संतुष्ट नही होता एक इच्छा के बाद
 तुरंत
 दूसरी इच्छा प्रविष्ट हो जाती है 
जिस प्रकार शांत  जल में गहराई में 
रखी वस्तु को देखा जा सकता है लहरों में नहीं

©भोले बाबा #shiva

16 Love

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भोले बाबा

विश्वास और भक्ति के बीच की रेखा बहुत महीन होती है जो कई बार टूटती है और कई बार बनती है 
भक्ति के लिए केवल भक्ति की आवश्यकता होती है जबकि विश्वास के लिए कारण की उपलब्धता आवश्यक होती है कारण की पूर्णता से उत्पन्न हुई भक्ति 
इसलिए 
 जीव को कभी  भक्ति की ओर नहीं ले जाती केवल इच्छाओं की पूर्ति की ओर लाकर खड़ा कर देती है 
यहीं से जीव की भक्ति शुरू होती है और यहीं से खत्म भी हो जाती है

©भोले बाबा #shiva

21 Love

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भोले बाबा

दूसरे के मन की करते रहो तो कोई शिकायत नहीं होती 
एक बार अपने मन की कर कर देख लो सारी शिकायतें उसी वक्त  शुरु हो जाऐंगी

©भोले बाबा #shiva

14 Love

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भोले बाबा

जीव  की  वास्तविक सुंदरता उसके किए गए कर्मों के आधार पर बढ़ती  है  
 इस वास्तविक सुंदरता में जीव का चेहरा महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि  उसका कर्म महत्वपूर्ण होता है 
कर्म अच्छे हो तो जीव चाहे जैसा भी हो
 सुंदरता  का आभास करा ही देता  है

©भोले बाबा #shiva

10 Love

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भोले बाबा

जिंदगी तो सभी के लिए एक रंगीन किताब है 
सफर और मंजिलों का एक अनोखा हिसाब है 
कोई यहां हर पन्ने को दिल से पढ़ रहा है तो कोई दिल  रखने के लिए पन्ने पलट रहा है
 पल तेरा है तू  चाहे जैसे जी
 यह सोच करके
जीवों का संसार चल रहा है

©भोले बाबा #shiva

17 Love

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