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ajaykumarsingh8041
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Ajay kumar Singh

कभी तो ऐसी भी हवा चले कौन किसका है पता तो चले

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Ajay kumar Singh

# कविता बची रहेगी !

# कविता बची रहेगी !

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Ajay kumar Singh

'वादा रहा'

जबतक साँस रहेगी तन में 
सूरज होगा नील गगन में 
साथ रहेंगे संग तुम्हारे! 
चाँद-सितारे देंगें गवाही 
प्यार कभी भी कम न करेंगे 
दुख-सुख में संग रहूँ तुम्हारे 
आऊँ दौड़ा जब तू पुकारे 
इस रिश्ते को जो कहे दुनिया 
दिल से निभाऊँगा वचन मैं सारे 
मेरे हमदम तुझसे 'ये वादा रहा'। #Promise
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Ajay kumar Singh

#तकलीफ़
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Ajay kumar Singh

'2019 की आखिरी शाम'

ठंड की ठिठुरती साल की ये आखिरी शाम 
कुछ मायुस सी लग रही है, उदास मौसम में 
पूरे साल की स्मृतियाँ आँखों के सामने यू चल 
रही हैं- जैसे कोई छायाचित्र! 
एकाएक याद आ गई समूचे साल की 
स्मृतियाँ इस ठिठुरती शाम में
खट्टे-मीठे पलों को याद करके 
कभी उदास तो कभी खुश हो रहा है मन! 
भूली बिसरी यादें ताजा हो गई है 
एकबार फिर से जी रहा हूँ समूचे साल को 
क्या पाया, क्या खो दिया, क्या सहेज कर 
रख लिया इसी द्वंद्व से जूझ रहा है मन! 
इस साल छूट गया है इक रिश्ता अधूरा 
जिसके मुकम्मल होने की अब भी है आश 
इसी विश्वास के साथ आने वाले साल के 
स्वागत के लिए आश्वस्त हो रहा है मन 
कि जो पा न सका वो मुकाम अब हो जाए हाशिल। #2019 की आखिरी शाम

2019 की आखिरी शाम #कविता

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Ajay kumar Singh

भूली हुई इक याद का मंज़र 
अब भी खुद को दोहराता है!
बीते लम्हों को याद करके 
ये चेहरा कुछ खिल जाता है 
तुम्हारे साथ चाय की वो चुस्कियां, 
देर तक बातें करने की वो दिलचस्पियां 
अब बेशक याद बनकर रह गयी 
पर, फिर भी जब भी वो स्मृतियाँ 
याद आती है-दर्द में भी इन होठों पर 
मुस्कान छा जाती है!
भूली हुई इक याद का मंज़र 
अब भी खुद को दोहराता है। #भूली बिसरी यादें

#भूली बिसरी यादें

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Ajay kumar Singh

मंजिल के करीब हूँ बेशक
पर मेरा सफर अधूरा है 
तुम जो न हो साथ मेरे तो- 
हर इक ख्वाब अधूरा है 
बात नहीं होती अब बेशक- 
पर किस्सा मेरा अधूरा है 
तेरे आने से हो जाए मुकम्मल 
जो अभी जिंदगानी अधूरा है 
कर दो न मेरे ख्वाब पूरे-
तुम्हारे बिन मेरा 
शख्सियत अधूरा है । #मेरा सफ़र अधूरा है!

#मेरा सफ़र अधूरा है!

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Ajay kumar Singh

विरोध करने के बहुत से तरीके हैं! गाँधी के देश में विरोध प्रदर्शन के नाम पर इस तरह का उन्माद और उत्पात असहनीय है ।इस तरह के हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौर में गाँधी जैसे महात्मा की कमी आज यह देश महसूस कर रहा है । #हिंसा
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Ajay kumar Singh

'अधूरी कविता'

मैं अपने समय का एक अधूरा कवि!
जो शायद अब तक न हो सका मुकम्मल 
अपने माँ का सबसे छोटा बेटा 
जो खड़ा नहीं अबतक अपने पैरों पर 
इस तरह से माँ का अधूरा बेटा हूँ! 

अपने भाईयों पर आश्रित उनका नकारा भाई 
अपने भौजाईयों की बातें अनसुनी करने वाला 
उनका अनुशासनहीन देवर ! 

कुछ दोस्तों के लिए स्वार्थी, तो कुछ दोस्तों 
के लिए बुरे वक्त में सलाहकार 
ताल,लय,छंद से परे अपनी कविताओं में 
हूँ अधूरा एक गँवईं की तरह! 

जीवन के इस अधूरेपन में तलाशता 
अपने मुकम्मल होने के वजूद 
कविता के सानिध्य ने मुझे बचाए रखा है 
कविता ने मुझे हर रोज जिलाया है 
अपने अधूरे कविताओं के साथ 
लिखना चाहता हूँ कोई ऐसी कविता 
जो बनाए मुझे इक दिन मुकम्मल इंसान! 

            *****अजय अजय कुमार सिंह #अधूरी कविता

#अधूरी कविता

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Ajay kumar Singh

व्यर्थ जीवन बह रहा !अवसाद में मन रह रहा
 क्या कभी पुलकित न होगा,मेरे जीवन का बसंत 
मतलबी दुनिया में ,यहाँ सब रिश्ते मतलब के है 
स्वार्थसिद्धि तक ही बस मतलब है सबको आपसे 
काम होने के बाद हम यहाँ किसके हैं ? 
  ठोकरों के सिवा यहाँ हासिल नहीं कुछ भी हुआ 
हर ठोकर से सीखकर चलना मुझे तो आ गया! 
दर्द भी अपने ही हैं दर्द में हम जी रहे 
क्या कभी मिलेगा दर्द का हमदर्द भी 
चल रहा हूँ नित्य अकेला जूझकर कठिनाइयों से 
इस संग्राम के सफ़र में खुद हमसफ़र हम ही तो हैं 
व्यर्थ जीवन बह रहा अवसाद में मन रह रहा । जिंदगी बड़ी बेरूख सी है पर चलना तो जरूरी है

जिंदगी बड़ी बेरूख सी है पर चलना तो जरूरी है

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Ajay kumar Singh

हिम्मत कभी नहीं हारना

हिम्मत कभी नहीं हारना

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