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qaziazmatkamal0397
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Qazi Azmat Kamal

अच्छा सोचो अच्छा पाओ।

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Qazi Azmat Kamal

जो लोग मस्जिद में लोगों से कांधे से कांधा मिलाकर नहीं खड़े हो सकते उनसे मुश्किलों में साथ खड़े रहने की तम्मना रखना बेवकूफी के सिवा कुछ भी नहीं।
✍️ क़ाज़ी अज़मत कमाल

©Qazi Azmat Kamal
  motivation

motivation #Motivational

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Qazi Azmat Kamal

बड़े खुशहाल थे जो नफ़रत को बढ़ता देखकर।
शर्म उनको नहीं आती माहौल जलता देखकर।।

©Qazi Azmat Kamal #वर्तमान
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Qazi Azmat Kamal

ग़म न आएं कभी दुआ क्या है।
ज़िन्दा रहने का फ़लसफ़ा क्या है।।
ज़िन्दगी है तो मौत क्यों कर है।
ज़िन्दगी का ये माजरा क्या है।।
✍🏼क़ाज़ी अज़मत कमाल

©Qazi Azmat Kamal #alone

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Qazi Azmat Kamal

ग़ज़ल
ऐसा लगता है कुछ किया जाए।
रूठे लोगों से अब मिला जाए।।
सब मेरे साथ हैं मगर फिर भी।
बिन  तेरे  अब  नही रहा जाए।।
सब्र  की हद कोई  बताए ज़रा।
कब तलक ज़ुल्म ये सहा जाए।।
ज़िन्दा  रहने  को  ये ज़रूरी है।
इश्क़  रब से यहां किया जाए।।
थका  दिया  है  तेरी  बातों ने।
झूठ कब तक तेरा सुना जाए।।
✍🏼क़ाज़ी अज़मत कमाल

©Qazi Azmat Kamal #philosophy
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Qazi Azmat Kamal

-ग़ज़ल-
ज़रा सी बात पे अपनों से जो मिलते नहीं रहें।
उन्हीं  के  दरम्यां फिर कोई भी रिश्ते नहीं रहे।।
तेरे  वादों  ने मेरी ज़िंदगी को स्याह कर डाला।
मगर  ये सीख  पाई  अब  कोई वादे नहीं रहे।।
दिल  में  बसा  के तुमको  रंग प्यार का जाना।
फ़रेब  खाये  इतने हम के अब बच्चे नहीं रहे।।
कभी ज़मीर पे ख़ुद भी नज़र डाल कर देखो।
महसूस  ये  होगा  के तुम भी अच्छे नहीं रहे।।
कभी ग़मगीन बैठा हूँ तो कोई बात कर जाये।
बहुत ढूंढा मगर अब ऐसे कोई बच्चे नहीं रहे।।
ज़िन्दगी बेनूर हो जाती है ये जान लो अज़मत।
तुम्हारे  घर जो  कभी सरपरस्त  बूढ़े नहीं रहे।।
✍🏼क़ाज़ी अज़मत कमाल 25.03.2022

©Qazi Azmat Kamal #ग़ज़ल

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Qazi Azmat Kamal

~ग़ज़ल~
अरमां दिल के निकल गए।
दिन  कुछ  ऐसे  बदल गए।
इक  दूजे  की  नफ़रत  में।
खाक़  में  सारे  मिल  गए।।
जीना  अब  दुशवार  हुआ।
रिश्ते  भी   तो  छल  गए।।
दुनिया  ग़म  की  मंडी  है।
सोच के हम ये संभल गए।।
जब भी बचपन याद आया।
फूल  के  जैसे  खिल  गए।।
सोच के ख़ुश है ये अज़मत।
तुम  हमको  तो  मिल  गए।।
✍🏼क़ाज़ी अज़मत कमाल

©Qazi Azmat Kamal #ग़ज़ल
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Qazi Azmat Kamal

उम्र  गुज़री  तो  हमने  ये जाना।
अपनों  से  बारहा  मिलते जाना।।
संग  दुनिया  के  चलो ख़ूब मगर।
बात  मां  बाप की  सुनते  जाना।।
✍🏼क़ाज़ी अज़मत कमाल

©Qazi Azmat Kamal #ज़िन्दगी
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Qazi Azmat Kamal

भूल हमसे हुई ज़िन्दगी में यहां।
प्यार मिलता नही हर किसी में यहां।
यक़ी करना पड़े तो सम्भल के करो।
दिल में ईमां नहीं आदमी में यहां।।
✍️क़ाज़ी अज़मत कमाल

©Qazi Azmat Kamal #Thoughts

Thoughts #Shayari

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Qazi Azmat Kamal

ख़्वाब में आकर रात में तुम।
करती हो अक्सर छम छम।।
✍️क़ाज़ी अज़मत कमाल

ख़्वाब में आकर रात में तुम। करती हो अक्सर छम छम।। ✍️क़ाज़ी अज़मत कमाल #Shayari

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Qazi Azmat Kamal

संसार में तमाम ऐसी विचित्र और रहस्मयी चीज़े उपलब्ध हैं,जिन पर आसानी से विश्वास कर पाना संभव नहीं। ऐसा ही अभूतपूर्व और अविष्मरणीय रहस्य मुझमें विधमान है। यदि मैं सीधे शब्दों में आपसे कहूँ कि मुझे अपने जन्म और मौत के दिन का पूर्व से ही पता है..? तो क्या आप मेरी बातों पर यक़ीन करेंगे ..?? "कदाचित..नहीं"! पर ये बात शत प्रतिशत सही है। "जिस दुनिया में इंसान को एक पल की भी ख़बर नहीं" उसी दुनिया में मुझको अपने पल पल की ख़बर है। कब कहाँ क्या होने वाला है,उसका लेखा जोखा सब मेरे पास है! आपको मेरी ये बातें कपोल कल्पित सी लग रहीं होंगी! लेकिन ये सौ फीसद सच और सही हैं..! दुःख इस बात का है कि कुछ लोग मुझे अभिशाप मानते हैं तो कुछ लोग अपने जीवन का महत्वपूर्ण अंश। अपने अस्तित्व की सच्चाई बताने से पहले मैं अपने खट्टे मीठे अहसासों का अहसास आपके सामने रखना चाहता हूं ! क्या पता आप मेरी सच्चाई जानने के बाद मुझे नज़र से ही गिरा दें,मुझे नज़रंदाज़ कर दें ! 
         मेरी विडम्बना ये है कि लोग मेरे साथ सिर्फ खुशी के पल ही बिताना चाहते हैं। कष्ट का एक अंश भी पाकर इंसान मेरे सानिध्य को कोसने लगता है! पर मेरा इसमें कुसूर ही क्या है..! जीवन का अस्तित्व ही सुख और दुःख की मिट्टी से बना है...तो लोग दुःख के क्षणों में क्यों मुझे ही दोषी बना देते हैं..मुझे बहुत दुःख होता है, मैं इस असहनीय पीड़ा से बहुत ओत प्रोत हूँ ! क्यों लोग मुझे ही दुःख का भागीदार बना देते है। इस संसार में कौंन ऐसा व्यक्ति है जो दुःख के साथ जीवन जीना चाहता है.. यहां हर कोई जीवन को प्रसन्नचित और सुख से जीना चाहता है..   पर ये सम्भव है क्या..? नहीं न ..? पर जाने दो..क्या होगा अपने दुःख को आपके समक्ष रख कर! मेरा अंतिम समय आ गया है मैं जा रहा हूँ....जाने से पहले मैं आपको इतना तो बता ही दूं... कि सच में मुझे अपने जन्म और मृत्यु के समय का पता है ...अब से ठीक कुछ समय बाद मेरा अस्तित्व इस दुनिया से समाप्त हो जाएगा...और मेरे अस्तित्व समाप्त होने के क्षण ही मेरा नवीन जन्म होगा... यानी आज रात ठीक 12 बजे..."जी हां.." "मैं 2021 हूं...जो आज रात ठीक 12 बजे अपना नवीन जन्म लेकर 2022 का नामकरण कराकर आपके साथ आपका सानिध्य पाने के लिए प्रवेश करूँगा।☺️
    "नए साल 2022 की ढेर सारी शुभकामनाएं!"
    ✍️क़ाज़ी अज़मत कमाल

©Qazi Azmat Kamal #suspence
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