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viveksrivastavch3807
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कवितांचल (Viveksri)

अल्फ़ाज़,❤️ से

instagram.com/kavitanchal

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कवितांचल (Viveksri)

बस एक कसक, आँख पूरी भर गई,
बात इतनी कि, बात अधूरी रह गई,
बोलना चाहा भी तो सोचा कि बोलूं कैसे...
उनकी फितरत जैसे रूह की, कमजोरी बन गई।

©कवितांचल (Viveksri)
  #kavitanchal

27 Views

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कवितांचल (Viveksri)

बस एक कसक, आँख पूरी भर गई,
बात इतनी कि, बात अधूरी रह गई,
बोलना चाहा भी तो सोचा कि बोलूं कैसे...
उनकी फितरत जैसे रूह की, कमजोरी बन गई।

©कवितांचल (Viveksri)
  #kavitanchal

27 Views

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कवितांचल (Viveksri)

चार अंगुल का पेड़, सवा मन

©कवितांचल (Viveksri) #kavitanchal
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कवितांचल (Viveksri)

हरारतों में इतनी काबिलियत कहाँ, 
जिनके बहकावे में आयें, और कमाना छोड़ दें,
है तकल्लुफ़ जिंदगी से, और यही शिकायत मुझको, 
इन हादसों से कह दो, जिंदगी में आना छोड़ दें।

©कवितांचल (Viveksri) #kavitanchal #quotesdaily #nojohindi 

#Hope
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कवितांचल (Viveksri)

If you will be free, 
You will be remember,
If I'm your January, 
Then also be December

©कवितांचल (Viveksri) #Life 

#SuperBloodMoon
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कवितांचल (Viveksri)

सम्मान हमेशा  वक़्त बुरा है! कोई बात नहीं,
मेरे रो लेने से, तुम हंसना सिख लोगे,
राह कठिन है, ये नई बात नहीं है,
मैं पिता हूँ तुम्हारा, तुम चलना सीख लोगे,

जीतोगे तुम एकदिन, चांद की दुनिया को,
हर प्यादों के टक्कर से, तुम सम्भलना सीख लोगे।
और राह कठिन है, ये नई बात नहीं है,
मैं पिता हूँ तुम्हारा, तुम चलना सीख लोगे,

देखेंगे सूरज को हम, चांद की दीवारी से,
सूरज की लाली से, तुम चमकना सीख लोगे,
फिर, सितारों से होंगे संवाद तुम्हारे...
एक दिन शायद! तुम बदलना सीख लोगे,
और राह कठिन है, ये नई बात नहीं है,
मैं पिता हूँ तुम्हारा, तुम चलना सीख लोगे,

©कवितांचल (Viveksri) #father 

#PoetInYou
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कवितांचल (Viveksri)

करके दहन सारे शिकवे गीले,
कल की दुनिया रंगीन बनायें, 
फागुन का रंग चढ़े, तन-पन पे, 
आओ मिलके होली मनायें।
होली है!!!!!

©कवितांचल (Viveksri) #holi2021

11 Love

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कवितांचल (Viveksri)

प्रेम क्या है, ये पता नहीं मुझको...
एक खत तो लिया, पर लिखा ही नहीं...
अब, मतलब भी क्या, इस बन्द लिफाफे का,
उस दिल के पते का, जब पता ही नहीं।

©कवितांचल (Viveksri) #reading

7 Love

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कवितांचल (Viveksri)

फुरसत का हमें एक पल जो मिला,
गुरबत में चले, सिताबों के,
साँसे थम गईं, आंखे जम गईं,
एक खत जब मिला, किताबों से।

दिल को मिली तस्सली थोड़ी,
ख्वाबों से हो गई आँख मिचौली,
फिर वही याद आयी बात पुरानी,
वही चंचल मन, आदत बचकानी,
घिर आया वो लफ़्ज़ों का मंजर,
एहसासों का वो, सात समुन्दर,
शिथिल हुआ मन, बढ़ गया चिंतन,
रूबरू जब हुये, जज्बातों से,
साँसे थम गईं, आँखे जम गईं,
एक खत जब मिला, किताबों से।

बढ़ गयी धड़कने, बढ़ गयी आरजू,
फिर उसी चाँद से, हो गयी गुफ्तगूं,
खिल उठे तन बदन, भूल गए सब सितम,
मिट गई दूरियां, मिट गए सब भरम,
चल पड़ा कारवां, ढल गया फिर समां,
खुशमिजाज हम हुए, जब पढ़ी दास्तां।
शाम ढल गयी, हुई रात सुरमयी
ख़िदमत में चले, एहसासों के,
साँसे थम गईं, आँखे जम गईं,
एक खत जब मिला, किताबों से।

फुरसत का हमें एक पल जो मिला,
गुरबत में चले, सिताबों के,
साँसे थम गईं, आंखे जम गईं,
एक खत जब मिला, किताबों से।

©कवितांचल (Viveksri) #dryleaf
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कवितांचल (Viveksri)

इज़हार सुनो आज इजहार ए मुहब्बत का दिन है,
एक वादा, तुम मुझसे करोगे क्या?

रहूँ मैं अगर, तुम्हारा किताब बनकर,
तुम जीवन भर मुझको पढ़ोगे क्या?

और बिखर जाए पन्ने, अगर छूट के मुझसे,
क्या! सहेज के मुझको रखोगे क्या?

©कवितांचल (Viveksri) #dilkibaat

15 Love

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