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nirmalgupta7217
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Nirmal Gupta

young writter Story poet Student believe in my self #support Nirmal_kumar_gupta 25 is my id please follow me best students

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Nirmal Gupta

White लोगो की सोच में दुख बुरा होता है, जब भी दुख आता रुलाकर जाता है।
परंतु मेरी नजर में दुख अच्छा होता है, जब भी आता कुछ सीखा कर जाता है।

निर्मल कुमार गुप्ता ( Be postive)✨

©Nirmal Gupta #Buddha_purnima
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Nirmal Gupta

पैसे की खुशी तो कुछ समय तक होती है।
परंतु अपनो से मिली खुशी जीवन भर होती है।

समय और लोगो की कही बाते बुरी हो सकती पर दुनिया नही।
कुछ समय खराब आ सकता पर दौर नही।

निर्मल कुमार गुप्ता ( be positive)

©Nirmal Gupta
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Nirmal Gupta

White मुझे अब नींद की तलाश नही है।
रात को जागना ही अच्छा लगता है।

लोग रूढ़ जाते है मुझे, मुझे मनाना नही आता।
मुझे मौसम की तरह बदलना नही आता।

लोग कहते दिल है पत्थर का, इसे पिघलना नही आता।
निर्मल कुमार गुप्ता

©Nirmal Gupta #Buddha_purnima
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Nirmal Gupta

White खामोशियां धीरे धीरे छाने लगी है।
आसमा का नजारा भी बदल चुका है।
राते अब लंबी होने लगी है।
अच्छा,बुरा साफ दिखने लगा है।

©Nirmal Gupta #Romantic
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Nirmal Gupta

White मैं नही जानता की कितना  के लिए हूं खास ।
कुछ लोग ही रहते मेरे आसपास ।

अकेले पन का भी दर्द बहुत अजीब है।
दर्द तो होता है , पर आंख से आशु बाहर नही निकलते।
 निर्मल कुमार गुप्ता

©Nirmal Gupta
  #Night
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Nirmal Gupta

Beautiful Moon Night जब आप सत्य असत्य की पहचान कर लेते हैं, तब आपको पता चल जाता है की जीवन क्या है और क्या नही, और आपका हितैषी कौन है और कौन नही ।
( ढलती शाम)

निर्मल कुमार गुप्ता

©Nirmal Gupta
  #beautifulmoon
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Nirmal Gupta

छोटी सी जिंदगी है।
_________________

ना किसी से दोस्ती, ना दुश्मनी है किसी से।
सब खुश है अपनी अपनी जिंदगी से ।

रखा ही क्या है इस दुनिया में, क्या तेरा क्या मेरा।
लोग व्यस्त है अपनी जिंदगी में होते ही सवेरा।

कब तक जिंदगी किसे क्या पता।
अपने भी हो जाते है कुछ समय बाद लापता।

मत रखो मन में गंदगी ।
हस कर खुल कर जियो जिंदगी।
- निर्मल कुमार गुप्ता

©Nirmal Gupta #truecolors
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Nirmal Gupta

होली
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खिल उठता है मन फिर से।
हाथ जब रंगते है इनसे।
 
• ये होली के रंग सिर्फ रंग नही है।
ये है खुशी का पैगाम जो लाते है चेहरे पर मुस्कान।
होली के रंगों में अपनेपन का एक रंग भी है, धर्म जाति को देखे न ये नेह का संदेश लिए सबके ऊपर फबते रंग।

फागुन का त्योहार है होली, मथुरा की शान है होली।
जब ये रंग हवा में उड़ते है हर मन मस्त हो जाता है।
भूलकर सब रंग अपने , इस रंगों में रंग जाता है।

मुकुंज रंग रंगा निकुंज, प्रेम रंग रंगी राधा ।
भक्ति रंग मीरा मनुज, बंधु रंग श्याम शाखा साधा।
रंग तू भी निज जीवन, रहे ना कुछ अधूरा आधा।

कुछ रंग नीला ले बल से, उसमे एक रंग लाल साहस का ।
ले हरा रंग समृद्धि और विश्वास का।

मिला रंग पीला शांति और ज्ञान का।
मत भूल रंग केशरी त्याग और बलिदान का।

रंग भर गेरुआ जीवन में, नए सवेरे नये आस का, पर हर रंग से पहले सुभ्र धवल सा रंग मन हो।
जिस पर जो रंग चढ़े वो पावन हो, जैसी रंग बिरंगी होली वैसा ही रंगों से भरा अपना जीवन हो।

वो रंग क्या धूल जाए,तन पर लगे मन कोरा ही रह जाए।
रंग वो ना मिटे, जिसमे आत्मा रंग जाए।
क्यों पाक तुम्हारे कर्म नही, रंगों का कोई धर्म नही।
भगवा है इसका, हरा है उसका कहने में तुमको शर्म नही।

क्या मिला है तुमको बांट के इंसान को, क्या मिला है तुमको दंगे से।
इस होली पर सब एक हो जाओ, और सबको रंगों तिरंगे से।

हिन्दू -मुस्लिम हो अलग अलग, दिखते है बिरंगे से।
इस होली पर सब एक हो जाओ, और सबको रंगों तिरंगे से।

केसरिया, हरा एक साथ चले, रंग स्वेत शांति की बात चले।
फिर बने तिरंगा ये भारत का, दुश्मन को पता औकात चले।

होली की रंगों का कोई मुझमें रंग गया, एक लम्हा सा ही सही वो मुझमें थम गया।
कितना सुकून था उनकी बातो में, आज उनके साथ बिता हर लम्हा मेरी जिंदगानी बन गया।

होली दिवाली मनाया कर , तू खुश है तो मुस्कुराया कर।
मैं तुझे रंग लगाने को जिद करता हु, तू भी रंग लगाया कर

बचपन वाली होली -------

एक बार फिर होली आई है, फिर ढेर सारी यादें लाई है।

याद आती है बचपन की होली, जब गुब्बारों से खेला करते थे ।
पिचकारियों में रंग भरा करते थे, दोस्तो से रंगों के लिए झगड़ा किया करते थे।

ठहाके के साथ जिया करते थे।
तब बुरा ना मानो होली खेलकर किसी का दिल नहीं दिखाते थे, 
जो होली खेलना चाहता है सिर्फ उसी को रंग लगाया करते थे।

स्कूल के समय एक दिन पहले होली मनाया करते है।
और स्कूल के सबसे खडूस टीचर को रंग लगाया करते थे।

उस समय लोग उतना हाइपर नही हुआ करते थे।
होली को खूब एंजॉय किया करते थे।
 
आओ यारो इसी बहाने, दुश्मन को भी चले मनाने।
रंगों का त्योहार है होली, खुशियों का बौछार है होली।

- निर्मल कुमार गुप्ता

©Nirmal Gupta #Holi

Holi

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Nirmal Gupta

शायद मेरी अनुपस्थिति बहुत खली पिछले कुछ दिनों में।
मैं नही था घट बहुत कुछ गया उन दिनों में।
मैं अनजान बन गया।
और बहुत कुछ घट गया।

सबका बदला लूंगा चुन चुन के।
बचपन से आज बहुत बदल चुका हु मै।
क्या चाकू, क्या तलवार ।
सब है मेरे पास।
समझ नही पाया पाया मेरे बाप को कोई।
औकात दिखाऊंगा मैं उन सभी कोई को।

रखता हूं मैं पूरा हक।
हा मैं हूं उभरता हुआ लेखक।

©Nirmal Gupta #bachpan
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Nirmal Gupta

सब कुछ जान कर भी अनजान हूं।
सब समझ के भी मौन हूं।

रास्ता खत्म हो जाने पर मैं वो मुसाफिर नही जो चलना छोड़ दूंगा।
हर कदम एक नए रास्ते की तलाश करूंगा।

जब तक है स्वास।
तब तक खुद पे बहुत है विश्वास।

निर्मल कुमार गुप्ता

©Nirmal Gupta #Dostiforever
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