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vikaashhindwan9080
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Vikaash Hindwan

अलमस्त

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Vikaash Hindwan

पता है!सत्य क्या है,
मृत्यु के पालने में सोता हुआ जीवन क्षणिक।
सहजता को भूलता स्वांग में जीता चरित्र।
खोजी मन की चाह किसको,कौन चाहता राह अपनी
बनी बनाई पगडंडियों में चल रहा है आज का पथिक।
क्या नया है जो सिर्फ तेरा जो सिर्फ तेरे ही मन की उपज है
कुछ भी नही एक शब्द भी नही तू तो बस उधार किताबों की उपज है
पता है!सत्य क्या,
मृत्यु के पालने में सोता हुआ जीवन क्षणिक।

©Vikaash Hindwan #cloud
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Vikaash Hindwan

जब शहर सो जाएगा
तो याद रखना,
दो आँखे तेरी यादों में जग रही होंगी
जब हर रिश्ता बेमानी हो जाएगा
तो याद रखना
दूर कहीं एक दिल में तेरे नाम की धड़कनें होंगी।।

©Vikaash Hindwan #लव #Memories #Love

लव Memories Love

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Vikaash Hindwan

मौन के बोल
काम के बोल
बोल के बोल
बेकाम के बोल
खोजी मन अनंत संभावना
विश्वासी मन सीमित संभावना
कबीर के राम
आत्मा के राम
तुलसी के राम
आस्था के राम

©Vikaash Hindwan #thought 

#Nature
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Vikaash Hindwan

आश्रित सुख दो कौड़ी का है और यदि आश्रित सुख ही चाहिए तो आश्रय श्री कृष्णा और राधा रानी जी का लीजिए।।
जय राधा माधव

©Vikaash Hindwan #

#Krishna 

#Janamashtmi2020
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Vikaash Hindwan

अथाह प्रेम में डूबने के बाद कोई शिकायत नही रह जाती

©Vikaash Hindwan #My_💓_line 

#Couple
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Vikaash Hindwan

सरल होना इतना सरल होता।
तो बाज़ारों में मुखोटे नही मिलते।।
अगर बात से बात बन जाती।
तो तलवारों पर लहू के रंग नही चढ़ते।

©Vikaash Hindwan #truelines
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Vikaash Hindwan

लिखने की ज़रूरत लगी
ह्रदय बहने को आतुर था
पन्नो के धरातल पर
शब्दों की नदी में,भावों के तरंगों के बीच
हिचकोलें खाता हुआ ह्रदय बह चला
 बह चली संग स्मृतियों की पोटली
वादों के सन्दूक और संग मर मिटने की सारी कसमें
बहते बहते ह्रदय पहुँचा बोध के सागर तक
बोध के सागर से मिलते ही
ह्रदय बुद्धत्व को प्राप्त हुआ
।।ॐ।।

©Vikaash Hindwan #leaf
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Vikaash Hindwan

character may be mythological but leela {divine  play} never. character is a need of society leela is a core of dharma. character is an illusion but leela is a core of cosmos reality. character is bound in time but leela is beyond time and space.

©Vikaash Hindwan #dharma #Divine #philosophy 
#Krishna
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Vikaash Hindwan

तुम निराकार प्रेम हो
किन्तु साकार प्रत्यक्ष देखना है तुमको
तुम निर्गुण भाव में स्वीकार हो
किन्तु तुम्हारे सगुण रस का पान करना चाहता हूँ
मुक्ति का अनन्य आनंद तुम संग जुड़ा है
किन्तु तुम संग प्रेम के बंधन में बंधकर
विरह की पीड़ा सहना चाहता हूँ
मेरी कोई बहुत इच्छाएँ नही है
बस एक इच्छा है कि हर इच्छा में तुमको समाहित चाहता हूँ।

©Vikaash Hindwan
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Vikaash Hindwan

शब्दों की अपनी सीमा है
शब्दातीत(beyond words} सुंदरता बंध नही सकती
मौन निहारना श्रेष्ठतम तारीफ़ है

©Vikaash Hindwan #mylove #Beautiful 

#Love
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