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anjanilalarorama4455
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Anjani Lal Arora Mathaniya

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Anjani Lal Arora Mathaniya

बचपन और पिटाई कुछ अल्फ़ाज़ मेरे...बस मेरे नाम

हूँ मैं  सादा सा मानव
प्यार से बस बात किया करता हूं...
लहजा मेरा है मनमोहक,
खामोशी से वार किया करता हूं...
नही आता लिखना मुझे सबकी तरह,
पर लेखनी चला लिया करता हूं...
रग रग में 'मथानिया' बस्ती है मेरी
घर में "एप्पल" से बेइंतहा प्यार करता हूँ...
मज़ाक बनाता हूँ जिसका भी,
मज़ाक सहने की काबिलियत रखता हूँ...
शौक नही मुझे मशहूर होने का,
बस सबको खुश रखने के लिए लिखता हूँ...
जो मुझे समझकर भी ना समझे,
उनको दूर से ही प्रणाम करता हूं...
आप के जैसा उम्दा तो नही पर,
यहाँ मैं भी कुछ खास लिखता हूँ...

खुद को जानना भी ज़रूरी है
इस भीड़ में....😊😊😊 यह रचना जितेंद्र जी की है जिसे पुन: संशोधन कर लिखा गया है !(स्वरचित नहीं है)

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Anjani Lal Arora Mathaniya

मैेने अपनी यादों की मंजूषा खोली,
याद आई एक सुहानी सी,
मुस्कुराती हुई  
तितली सी लड़की,

हाँ तितली सी ही तो थी,

चुप चुप मुस्कुराती,
खिलखिलाती तो जैसे मोती बिखरते,
गालो के पिंपल जैसे कमल खिले हों,

बात करती तो 
हरसिंगार के फूल झरते,
परी सी थी वो,

न जाने कैसे काले जादूगर
की नज़र पड़ी इस खूबसूरत 
राजकुमारी पर,
खूब लड़ी वो,
अपनी मुस्कान के दम पर ,

जब वह बड़ी हो गई अब आई 
अपने घर जाने की बारी,
कुम्हलाह सी गई वो,

नहीं हारी ,
क्योंकि  पता था उसे 
अपने घर तो जाना ही एक दिन

इसी उम्मीद मैं
गुनगुनाती रही
मुस्कुराती रही....

उसका राजकुमार भी आ गया
लेकिन उसकी मुस्कान न हारी
मुस्कुराती रही ,
अंत तक अपने अनन्त तक....

तितली ही तो थी,
उड़ गई,
मुस्कुराती हुई,
बस छोड़ गई
आसुओ से भीगी 
कुछ आँखे,
कुछ बेहद सुनहरी यांदे ..

परी सी थी वो बेटी 'काजल"ही तो थी 🍂🍂

  🌹 मधु 🌹

तितली ही तो थी वो
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Anjani Lal Arora Mathaniya

बचपन और गर्मी की छुट्टियाँ सुना मैंने अपनी पोती से
उस बच्ची का संवाद!
क्या तुम्हारे घर हमारी तरह
हॉस्पिटल से खरीदकर बच्चा आने वाला है?
वह बोली -"स्टूपिड!
बच्चा खरीदकर नहीं;मम्मा के स्टमक में पलता,बढ़ता,रहता है"
और सुनकर मैं हतप्रभ रह गई!
उस बच्ची का ब्रह्मज्ञान!
मासुमियत, भोलापन को लूट ले गया 
जबरदस्ती अतिवादी विज्ञान!


।

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Anjani Lal Arora Mathaniya

गुलाब भी कहने लगा मसलना मत मुझे पहरे मुझ पर भी लगे हैं ।

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Anjani Lal Arora Mathaniya

एक नारी जन्म देने वाली है।
एक नारी (बेटी) ने संसार में कदम रखा है।
 दोनों का ही नवजीवन है ।
अच्छा लगता है।

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Anjani Lal Arora Mathaniya

आज का ज्ञान सुमिरन, ऐसा कीजिए, 
दूजा, लखै न कोय ।। 
होंठ ना फरकत देखिए, 
प्रेम राखिये, गोय ।।

परमात्मा का स्मरण, 
दिखावा करके मत कीजिए !! 
मन ही मन में, ईश्वर की 
आराधना ऐसे कीजिए कि 
दूसरा तुम्हारे होंठाें को भी 
फड़कता हुआ ना देख सके !! 
प्रेम को सदैव, 
गुप्त ही रखना चाहिए, 
किसी पर प्रकट मत कीजिए !
प्रकट करने से, 
उसकी गहनता नष्ट हो जाती है !! 
🙏जय_श्री_कृष्ण।

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Anjani Lal Arora Mathaniya

#DearZindagi  आज एक दृष्टांत आद्य शंकराचार्य वेदांत पारंगत स्वामी श्री गोविंद भगवत पाद से मिलने बद्रीनाथ की ओर रवाना हुए। मार्ग में एक स्थान पर वह एक तालाब पर विश्राम के लिए ठहरे अचानक ही उन्होंने देखा कि समीप ही कुछ मेंढक आपस में खेल रहे हैं ।वे उनका खेल देखते हुए अपनी थकावट मिटाने लगे ग्रीष्म ऋतु थी ,भरी दोपहर में गर्मी भीषण उस्मा से आध्य गुरु त्रस्त हो गए तो मेढको की क्या बात  ? तालाब का पानी तक गर्म हो गया और मेंढको का वहां रहना  सही  नहीं था ।इतने में एक मेंढक की जोर जोर से टर टर की आवाज आई ध्वनि सुनाई पड़ी ।यह मेंढक छोटा सा बच्चा था भीषण ताप को सहने में असमर्थ होकर पानी से बाहर निकलकर आर्त स्वर से सहायता के लिए चिल्ला रहा था ।थोड़ी ही देर में वहां एक भुजंग (सर्प) आया और उसने मेंढक के बच्चे पर अपना फन प्रसार दिया। शंकराचार्य जी देखकर चकित रह गए । आज बड़ा आश्चर्य हो रहा है ।'भक्षक रक्षक बन गया' कहने का तात्पर्य यही है कि कुछ कहानियां हमें एक संदेश दे जाती है ! वह शंकराचार्य जी सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व भ्रमण पर थे पुराने जमाने में साधन नहीं हुआ करते थे ।उन्होंने यह दृश्य देखकर मन में ठानी की कश्मीर से कन्याकुमारी तक यह सब कुछ संभव है तब से भारतीय सनातन संस्कृति में मठों की स्थापना होनी शुरू हुई ,और चार धाम भी बनाए गए यह सब उस दृष्टांत की प्रेरणा से हुआ ।राधे राधे..!
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Anjani Lal Arora Mathaniya

गतांक से आग****
 राम.. राम.. श्रीराम !
बादल से ओस गिर रही है और चकोर के मुंह में नहीं जा रही तो इसमें बादलों का क्या दोष है। सूर्य उगा हुआ है ,पर उल्लू को दिखाई नहीं दे रहा तो इसमें सूर्य का क्या दोष । परमात्मा अपनी कृपा रात दिन बरसा रहे हैं लेकिन हम अंदर की कमी के कारण उसे ग्रहण नहीं करते तो इसमेें परमात्मा का क्या दोष है ? उसकी कृपा में कहीं कोई कमी नहीं है कमी तो हमारी पात्रता में हैं हमारी साधना ,हमारी भक्ति ऐसी हो ताकि पात्र सीधा हो जाये ।

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Anjani Lal Arora Mathaniya

सपनाे की मंजिल पास  नहीं  हाेती, ,,,,,,
जिन्दगी  हर पल उदास नही हाेती, ,,,,,,,
खुद पर यकीन  रखना मेरे  दोस्ताें ,,,,,,,,
कभी -कभी  वाे मिल जाता है ,जिन्दगी  में,
जिसकी कभी किसीको आस नहीं , ,,,,,,,,

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Anjani Lal Arora Mathaniya

" विसर्जन"
अहम कोई मौलिक चीज नहीं होती । सबसे बड़ा काम है ,सबसे बड़ी साधना है -"अपने अहम का विसर्जन करो" ! यह सब से होना संभव नहीं है ।केवल संत अपना सर्वस्व लुटा सकते हैं । इसलिए दुनिया हृदय पूर्वक उनके आगे झुकती है ,प्रणाम करती है ,नमन करती है।

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