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pratibhadubey3242
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Pratibha Dubey

जीवन परिचय नाम:–श्रीमती प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका) पति का नाम : श्रीमान विकास दुबे जी माता का नाम :– श्रीमती कमलेश शर्मा पिता का नाम:– स्वर्गीय श्री राजेंद्र प्रसाद शर्मा जन्मतिथि :– 13/08/83

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Pratibha Dubey

मजदूर तो सब है यहां, 
अपना समय देकर 
उसकी कीमत लेना ही 
उसकी मजदूरी कहलाई ।।

कोई घर बनाता है ,
कोई करता यहां सफाई 
किसी को आता माल ढोना, 
कोई करता यहां पर खुदाई ।।

कोई बनाता रोज खाना होटलों में 
किसी को सुरक्षा की नौकरी भाई 
इज्जत से जीते सभी यहां पर
करते सब अपनी अपनी कमाई ।।

जात पात का भेद नही, ना होती लड़ाई 
मजदूरी करने वाले भी इंसान होते है भाई 
नौकरी करने वाला भी इंसान एक मजदूर है
समय देकर सेवा से करता मालिक की भरपाई ।।
 
मजदूरी करने वाले को तुम देना इज्जत सम्मान
हर छोटे-बड़े कामों के लिए करना सदैव धन्यवाद 
अपनी मेहनत से यह सबका साथ देने चले आते है
अपने अथक परिश्रम से दो वक्त की रोटी कमाते हैं।। सीएम

©Pratibha Dubey
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Pratibha Dubey

कुछ ख्वाहिशें अधूरी ही रहने दो
गुलाब भी तो कहां पूरा खिला करता है
विखेरता है खुशबू वह अपनी जब-जब
माली उसे उसकी टहनी से जुदा करता है

©Pratibha Dubey आशी प्रतिभा

आशी प्रतिभा #विचार

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Pratibha Dubey

गुलाब की सुगंध नायाब है
 पर यह अलग बात है की , 
हर गुलाब में कांटो का साथ है

©Pratibha Dubey गुलाब नायब है

गुलाब नायब है #विचार

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Pratibha Dubey

मंज़िल है तो मुश्किल भी होगी ! 
रास्ते है तो रूकावटे भी होंगी ,
अब फर्क नहीं पड़ता कुछ भी 
हार है तो फिर जीत भी होगी 
जनाब जिंदगी इसी का नाम है 
कभी आंधी है जज्बाती यहां ,
तो नम निगाहों से बरसात भी होगी ।
आम है ये किस्से मेरे तुम्हारे बहुत 
आज बिछड़े है तो कल मुलाकात भी होगी ।
रुकता नही सफ़र रोकने से किसी के भी ,
समय का विकल्प तो समय ही है स्वयं खुद 
आरंभ और अंत है जब हर कहानी का !
तो फिर एक नई शुरुवात भी तो होगी ।।

प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश ग्वालियर
महाराज बाड़ा

यह मेरी रचना स्वरचित मौलिक अप्रकाशित सुरक्षित है।

©Pratibha Dubey
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Pratibha Dubey

स्वरचित काव्य पंक्तियां 

संयम से हम 

संयम का हथौड़ा और 
अपनी विवेक की छैनी
के साथ करते रहे कार्य 
बहुत बड़ा परिवर्तन भी 
ला सकते हम और आप।।

जरा से धैर्य की हो बात 
तराश सकते हैं स्वयं को
हम किसी हीरे की तरह
ईश्वर से प्रदत्त हैं ये गुण 
संयम से सब होते महान ।।

हमको ज़रूरत संयम की
अपने कर्म के हथौड़े से 
किया जब समय पर वार 
असंभव नहीं रहा कुछ भी 
जीवन में आया हर्ष अपार ।।

हुए जो संयमित हम जीवन में 
उपकृत होंगे ईश्वर के समक्ष 
होंगे उस अनुकंपा के अधिकारी  
संयम से ही  हम और आप ।।

©Pratibha Dubey
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Pratibha Dubey

हे राम मेरे 

हे राम मेरे तुम्हें धन्य कहूं ,
या तेरी भक्ति की प्रशंसा कहूं।।

मैं नर हूं तुम नारायण हो,
में दास हूं तुम हो प्रभु मेरे 
हे नाथ सकल संपदा सभी ,
हे भगवान तुम्हारे चरणों में।।

जब जब नाम लेती हूं मैं
प्रभु स्मरण तब करती हूं
भक्ति में तेरे हैं सच्चा धन
राम नाम का मनका जपती हूं ।।

है कठिन समय यदि जीवन में,
तो सरल  राम का नाम भी है
क्यों तड़प उठाइए मानव मन
हां जब जाना राम के धाम ही है ।।

@आशी प्रतिभा दुबे ( स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश ग्वालियर

©Pratibha Dubey #राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

#राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं #कविता

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Pratibha Dubey

डियर कलम 
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
डिअर कलम काश तुम कभी
मेरे जज्बात समझ पाती,
मेरे हालात समझ पाती!
बड़ी शिद्दत से चाहा है तुम्हें,
कई लम्हों मैं हाथों मैं पकड़ 
सिर्फ तुम्हारी इबादत की है! 
इतनी नाराज हुई जिंदगी मुझसे 
तब तुम्हें उठाने की हिम्मत की है 
आज लिख रही हूं तो समझा है तुम्हें
शब्दकोश रूपी भंडारण से शब्दों में ,
ढालकर परिस्थितियों को मैने 
तुम्हें सीखने की कोशिश की है।
न जाने आ जाए कब कौन सा ख्याल,
बस वही लिखने कि कोशिश की है
तू जिंदगी है मेरी आज यह समझ आया
 मुझे सही मायनों में,
तेरे प्यार से ही मेरी बरकत हुई है।।
प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश ग्वालियर

©Pratibha Dubey #BookLife
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Pratibha Dubey

"अदा कुछ भी रही हो किरदार मैं मेरे "
 बस दिल और जु़बा साफ रखते है  ,
हर आने वाले का स्वागत सत्कार है
जाने  वाले का भी ख्याल रखते हैं ।।
लौट आएगा जो मेरा है ,मेरे पास अपने आप 
जिसने कभी माना ही नहीं हमें दिल से अपना
उससे हम दूर ही अपने दिल की बात रखते हैं
कोई दो कदम की दूरी बना ले यदि हमसे तो, 
हम दस कदम का फासला उससे रखते है ।।

प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)

©Pratibha Dubey #roseday
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Pratibha Dubey

प्रणाम है तुझे हिंदी 
मेरे भारत की बिंदी
धन्यवाद

©Pratibha Dubey
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Pratibha Dubey

हुए उदित नारायण आज फिर ; कल का अंधेरा चीरकर 
,काल के गाल में समा गया कल कोकिला का जीवन ! 
समय चक्र तो रुका नहीं किसी के लिए आज तक !
 फिर उजियारा निकाला है पर
 स्वरों से निर्धन है आज सूरज।
प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)💐

©Pratibha Dubey #LataMangeshkar
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