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deepaksingh0728
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Deepak Singh

खनाबदोश

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Deepak Singh

#बारिश
#कविता

बारिश कविता

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Deepak Singh

मैंने तुम्हें चाहा
फ़िर जीता और देता रहा तमाम तरह के धोखे।

तुम मेरे प्रेम में -

पागल थी और 
इतनी पागल कि तुम्हारी
लापरवाहियों से डोलती थी धरती।

एक रात तुमने मुझे बहुत प्यार किया और छोड़ दिया
तुम्हें यकीन था - मैं मर जाऊंगा!

मैं ज़िंदा हूं - मैंने फ़िर से तुम्हें धोखा दिया।
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#DeepakSingh #कविता

कविता

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Deepak Singh

रात भर बारिश हुई। जब रात भर बारिश होती है तब बारिश मेरी खिड़की से भीतर अा जाती है। बिना मुझसे पूछे कि क्या मैं अंदर अा सकती हूं? जैसे इसे मालूम हो कि मैं इसकी ही प्रतीक्षा में हूं। मैं किसकी प्रतीक्षा में हूं? तुम्हारी या बारिश की, या फ़िर ख़ुद की। कोई उत्तर नहीं मिलता। कभी कभी आदमी ख़ुद को ही कोई उत्तर नहीं दे पाता है।

शायद उत्तर देना ही नहीं चाहता हो - जैसे उत्तर मिल जाने पर वो भड़भड़ा कर गिर जाएगा। मिट्टी का शरीर कमज़ोर ही तो होता है। इतना कमज़ोर कि तुम्हारी याद का एक झोंका मुझे उड़ा दे। उड़ा कर पटक दे किसी रेगिस्तान में। मैं तुम्हारे प्रेम का प्यासा रास्ता भटक गया हूं। मिलों पैदल चलने के बाद थकान मेरी आंखों में उतर आई है। ओ मेरी मंज़िल, मुझे रास्ता दिखा दो। एक बूंद प्रेम बांध दो मेरी पीठ पर। मैं नदी बन जाऊंगा फ़िर मर जाऊंगा एक प्यासी मौत। कौन जानता है, नदी की मौत प्यास से हुई थी।

बारिश ने मन के साथ साथ बिस्तर भी गीला कर दिया।
"कितनी बार कहा है खिड़की बन्द करके सोया करो। लापरवाह कहीं के!" तुम्हारी ये बात बहुत याद आती है।

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#डायरी #डायरी
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Deepak Singh

#क‌विता_पाठ
#poonam_sonchaatra
#rakhi_singh
#pratima_maurya
#Deepak_singh
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Deepak Singh

#कविता_पाठ
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Deepak Singh

उसकी हथेली पर
अपना हाथ रखते हुए
मैंने कहा...

घर कहीं और नहीं बन सकता!

उसने कुछ दूर साथ चलने के
बाद कहा...

मुसाफिरों को घर नहीं धर्मशालाएं नसीब होते हैं! #घर
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Deepak Singh

कभी कभी मैं
तुम्हारे पुराने नंबर पर
 फोन कर लिया करता हूं!

तुम्हारा फोन नहीं लगने का दु:ख
तुम्हारे नहीं होने के दु:ख से
अच्छा है! #दुःख
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Deepak Singh

वो इक समन्दर थी
और
मुझे तैरना नहीं आता था
फिर
वो इक नदी बन गई

प्रेम में गहरे उतरते हुए
मैंने जाना
दुनियां की तमाम सूखी हुई नदियां
प्रेम में हारी हुई लड़कियां है..! #नदी
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Deepak Singh

वो एक समंदर थी
और
मुझे तैरना नहीं आता था
फिर
वो एक नदी बन गई #नदी
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Deepak Singh

मैंने कहा " शब्द ही मेरी पूंजी है"
शब्दों से पेट नहीं भरते- उसने कहा

फिर शब्द कहीं खो गए...! #शब्द
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