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harsh1521612198261
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Harish Chander

अल्फाज़ यूँ जहन से निकले की रूह की तलब बन जाए।

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Harish Chander

चलिये यह हिसाब अच्छा है किसी का दिल तो किसी का नक़ाब अच्छा है, 

जो पेश आते थे किसी मकसद के दरमियां आज रूठे है तो उनका रूठ जाना अच्छा है,

©Harish Chander
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Harish Chander

होने लगी नजदीकियाँ अब दो दिलों के दरमियाँ
कहने लगी नजदीकियाँ अब दो दिलों के दरमियाँ 

कुछ रह गया है रात भर की गुफ़्तगू के बाद भी
रहने लगी नजदीकियाँ अब दो दिलों के दरमियाँ

©Harish Chander
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Harish Chander

मौत से पहले मौत किसे आती है 

जो रोज़ मरते है कहानियों के किस्से है,

©Harish Chander
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Harish Chander

कभी उम्र लम्बी कभी सांसे छोटी 

इसी जद्दोज़हद में हार गई जिंदगी,

©Harish Chander
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Harish Chander

हूँ काफ़िर पर यूँ रिश्तों में  तिज़ारत भी नहीं करता
हूँ बुज़दिल ही सही जिस्मों की चाहत भी नहीं करता ,

मुहब्बत मुझ को भी हर पल रुलाती रहती क्यों हमदम
मैं अपने बहते अश्कों की वकालत भी नहीं करता,

हो लानत ऐसे इंसाँ पर जो जिंदा लाश बन जाए
सितम अंदेखा करता है जसारत भी नहीं करता,

मिरे जख्मों की तुम तासीर  ना पूछो तो अच्छा है
दिए तेरे वो मीठे  दर्द रुख़सत  भी नहीं करता,

फ़िजा  रंगीन  है लगने  दो  मेले  इन  बहारों  के
मिटा  देना  बहारों से मैं  रग़बत भी नहीं  करता,

©Harish Chander
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Harish Chander

मेरे ग़ैरों में हरगिज़ वो शामिल नहीं
मेरा क़ातिल तो है पर वो क़ातिल नहीं, 

तुम न पीछा करो गुज़रे उस दौर का
राह जो है चुनी उस की मंजिल नहीं, 

सिसकियाँ बंद कमरों में  घुटती मिरी
दो कोई अब दुआ मैं तो बिस्मिल नहीं, 

छोड़ दो  सारा झूठा  जहाँ  देखा है
सब नकाबों में है कोई कामिल नहीं, 

जो दिखाते है खुद को खुदा  है मेरे
कोई उनसे तो  पूछे वो ज़ाहिल नहीं,

©Harish Chander
  #ग़ज़ल #हिंदी 

212 /  212 /212  /212
मेरे ग़ै/रों में हर/गिज़ वो शा/मिल नहीं
मेरा क़ा/तिल तो है/पर वो क़ा/तिल नहीं, 

तुम न पी/छा करो/गुज़रे उस/ दौर का
राह जो/ है चुनी/उस की मं/जिल नहीं,

#ग़ज़ल #हिंदी 212 / 212 /212 /212 मेरे ग़ै/रों में हर/गिज़ वो शा/मिल नहीं मेरा क़ा/तिल तो है/पर वो क़ा/तिल नहीं, तुम न पी/छा करो/गुज़रे उस/ दौर का राह जो/ है चुनी/उस की मं/जिल नहीं,

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Harish Chander

#Safar2020
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Harish Chander

#Safar2020

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