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someshgour6948
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Somesh Gour

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Somesh Gour

सराफे  से  नए  कंगन  नई  बाली  दिला  देंगे,
डिनर के बाद हम पानीपुरी तुमको खिला देंगे।

(Read the Caption)

©Somesh Gour #sharadpurnima
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Somesh Gour

मुलायम नहीं बिस्तर-ए-इश्क़, सुन लो,

नहीं   सो   सके   जो   सुकूँ  ढूँढते  थे।

                                   
                                     -- सोमेश

©Somesh Gour #Light

8 Love

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Somesh Gour

बुलाए जब तुम्हे वो, तो चले जाना मुहब्बत से,
कही है जो ग़ज़ल उस पर सुना आना मुहब्बत से।

समा  ऐसा  बुलाने  से  नहीं  आता  यहाँ  कोई,
बिना दावत कहीं भी मत चले जाना मुहब्बत से।

मुरव्वत है निवाला इश्क़ का जो है मिला तुमको,
कभी देखा फ़कीरों को मिले खाना मुहब्बत से।

नवाज़ा है तुम्हे उसने पयाम-ए-दावत-ए-मय से,
चलो फ़िर आज मयखाने चले जाना मुहब्बत से।

किसे मालूम के फ़िर कब बुलाए वो तुम्हे 'सोमेश',
मिलो जब उस को सीने से लगा लेना मुहब्बत से।

                                                   -- सोमेश

©Somesh Gour #lovetaj

13 Love

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Somesh Gour

मख़मल से नीचे आना पड़ सकता है,
रूखा-सूखा भी खाना पड़ सकता है।

अपने  छोड़े  हमने  तेरे  ख़ातिर, पर,
अब गैरों को अपनाना पड़ सकता है।

जब  रौशन  थे  तो  काफ़ी  इतराए  हम,
अब दुश्मन के दर जाना पड़ सकता है।

तुझ  तक  आने  का  रस्ता  ढूंढ  रहे  सब,
उनको  थोड़ा  भटकाना  पड़  सकता  है।

कब तक गुमराह करोगे सबको 'सोमेश',
उसको सबसे मिलवाना पड़ सकता है।

                                      
                                        -- सोमेश

©Somesh Gour #moonlight

13 Love

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Somesh Gour

रुक जाओ ना यार  दो मिनट,
करने दो ना इज़हार दो मिनट।

मुहब्बत  में  दूरियाँ  अच्छी नहीं,
आ जाओ ना इस पार दो मिनट।

पत्थर दिल भी पिघल सकता है,
तुम करके देखो प्यार दो मिनट।

माना काफ़ी दूर है शहर तुम्हारा,
याद तो करो सरकार दो मिनट।

एक लफ्ज़ कह दो, दो हम कह देंगे,
बनने दो ना बात इस बार दो मिनट।

                                 -- सोमेश

©Somesh Gour #Love

10 Love

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Somesh Gour

पुनः  पुनः  ना  सताओ  हमे,
शीघ्र अति शीघ्र बताओ हमे।

अब विलंब ना करो आने में,
पश्चाताप होगा दूर जाने में।

निद्रा देवी भी हैं रूठी हमसे,
जलती नहीं ये अंगीठी हमसे।

वैसे हर शब्द का अर्थ हैं हम,
पर बिन तुम असमर्थ हैं हम।

बस तुमसे कुछ वार्तालाप करनी है,
तत्पश्चात स्वर्ग की सीढ़ी चढ़नी हैं।

                                --सोमेश

©Somesh Gour #ColdMoon

11 Love

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Somesh Gour

ऐ  मेरी  ग़ज़ल  इक़  शेर  तो सुनाती जा,
मेरी गली के बुझे चरागों को जलाती जा।

सदियों से अंधेरा है इस मुहल्ले में मेरे,
इसे रुख़सत कर, सूरज को बुलाती जा।

यहाँ  तो  भूखे बच्चे भी मज़े में हैं बहुत,
   जहाँ-ए-अमीरों के बच्चों को सुलाती जा।

मेरी  जान  खफ़ा  है  मुझसे  ना  जाने  क्यूँ,
उसके शहर की चौथी गली से उसे मनाती जा।

फूलों से बड़ी मुहब्बत है मेरी मुहब्बत को,
उसके बाग का हर एक फूल खिलाती जा।

                                         --सोमेश

©Somesh Gour #LostInNature
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Somesh Gour

मुझे  तेरी  अदाकारी  बुलाती  है,
सुबह से शाम तक गाने सुनाती है।

शराफत ने सिखाया है हमें जीना,
झुकी डाली ज़्यादा झोल खाती है।

बिना  तेरे  अधूरा  है  सफर  मेरा,
मिरी बाती दिया अपना बनाती है।

ख़िज़ाँ का ही सहारा है हमें अब तो,
फ़िज़ाएँ तो तिरे ही पास जाती हैं।

जगा दो अब हमें के हो चली है शाम
सुबह सोने से' रातें रूठ जाती हैं।

                                  --सोमेश

©Somesh Gour

12 Love

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Somesh Gour

|| एक ग़ज़ल ||

मिरा  तेरे  शहर  अब  रोज़  आना  और  जाना  है,
खपत इतनी कि आँखों को न बस लोरी सुनाना है।

समंदर के बवंडर से कहाँ डरता है' अब कोई,
मुहब्बत का किनारे से किनारे तक ठिकाना है।

कहीं तो है मिरी वाली मुहब्बत का पिटारा वो,
किसे मालूम है अब कौन सी चाबी मिलाना है।

मुझे  मुफ़लिस  बुलाते  हैं  तेरे  वो  चाहने  वाले,
बताओ उन फ़कीरों को मिरे दिल में ख़ज़ाना है।

निगाहों का क्या है फ़ायदा जो ना मिलें तुझसे,
बिना  तेरे  बता  कैसे  मिरा  जीवन  बिताना है।
 
                                              --सोमेश

©Somesh Gour

7 Love

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Somesh Gour

Behr : 2122/2122/2122/2122

आज अपने गाँव का दस्तार, पीपल याद आया,
हर मुसीबत में खड़ा वो मित्र, पागल याद आया।

जब ख़ुली नायाब छत भी दिल को बहला न पाई,
तो नदी के पास का वो साफ जंगल याद आया।

आसमानों की उड़ानों में, भुला दिया ज़मीं को,
याद जो भी आज आया, सिर्फ़ पैदल याद आया।

आज कल दरिया दग़ाबाज़ी दिखाने पर तुले हैं,
आज फ़िर अपना भरोसेमंद दल-दल याद आया।

इन मशीनों  में  हुनर  है ही  नहीं  वो  गाँव  वाला, 
बीच  रस्ते  में  रुकीं  तो फ़िर वही हल याद आया।

आज को जाना मग़र ज़्यादा नहीं हासिल हुआ कुछ
आँख लगते  ही वही बीता हुआ कल याद आया।

ये  शहर के  आसमानों का  ठिकाना ही  नहीं है,
आज वो ननिहाल का मासूम बादल याद आया।

                                                 --सोमेश

©Somesh Gour #Luka_chuppi
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