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godambarinegi2522
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Godambari Negi

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Godambari Negi

खोल पुस्तक ज्ञान की तू, है अभी यह बंद।
मन लगाकर पढ़ इसे लो, तो मिले आनंद।।
छोड़ना मत साथ इसका, है इसी में राज,
काम आसांं है बनाती, ज्ञान का यह कंद।।

©Godambari Negi
  #Books
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Godambari Negi

White लहू से सींचती  हमको, सहन  करती  दुखों  को वो।
नहीं चाहत मगर फिर भी, दफन करती सुखों को वो।
दुआ सबके  लिये रखती, हृदय के  खास  कोने  में-
उसे माँ कह बुलाते हम, बदल  सकती  रुतों को वो।।

©Godambari Negi
  #mother
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Godambari Negi

White जीवन सुगम बना रहे,रखे ध्यान परिवेश।
भावी पीढ़ी के लिए, बना रहे सुनिवेश।।

©Godambari Negi
  #doha
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Godambari Negi

White महा  मंत्र  है मित्रता, बाँध  गया  वो  डोर।
खोले से भी ना खुले, लाख लगा लो जोर।
तन मन अपना वार दे, प्रेम हेतु सब भूल,
मैत्री भाव अटूट है, दिखे  ओर  ना  छोर।।

©Godambari Negi
  #मित्रता
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Godambari Negi

White उपजती है जहाँ करुणा , वहीं तो प्रेम पलता है।
कभी छलती नहीं करुणा, जमाना भी न जलता है।
समझ लो बात सच्ची ये, यही है प्रेम की जननी,
बुरों को भी सुनों माँ का, सदा आशीष मिलता है।।

©Godambari Negi
  #करुणा
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Godambari Negi

White महान तेरा कर्म है, यही तो एक धर्म है,
ज्ञान का यह मर्म है, धार में इसी की बहो।
सदा ही सुकर्म चुनो, आत्म की सदैव सुनो,
कर्म के ही पट बुनो, सत्य हो जो वही कहो।
छोड़ो नहीं कर्म राह, रख कर्म पे निगाह,
करे जग वाह वाह, कर्म में ही कष्ट सहो।
बाधाओं का मैदान है, आशाओं का वितान है,
ऊँचा  तेरा  मचान है, बनके  निर्भय  रहो।

©Godambari Negi
  #घनाक्षरी_छंद
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Godambari Negi

White व्योम में फैला उजाला, हुई प्राची लाल।
दल कमल ने नैन खोले, फुस-फुसाते ताल।।
गुद गुदाती देह किरणें, पुष्प करता हास।
ओस नभ को उड़ चली है, मुस्कुराती घास।।

भाव अर्पित कर रहे हैं, मंदिरों में लोग।
ईश सम्मुख हैं लगाते, प्रेम का नित भोग।।
झुक गई डाली फलों की, कर रही उपकार।
छाँव देकर कर रही हर, जीव का सत्कार।।

जगमगाती हैं दिशाएँ, ओढ़ स्वर्ण प्रकाश।
कर दिया है सूर्य ने आ, घोर तम का नाश।।
चल पड़ी सौरभ सुगंधित, छा गया आनंद।
कीट भी पीने चले हैं, बाग में मकरंद।।

खग-पखेरू चहचहाते, खोजते हैं भोज।
शिशु परिंदों को खिलाते, चोंच से हर रोज।।
भर लिये हैं व्योम ने भी चाँद तारे अंक।
देख सुंदर ये नजारा, मुदित राजा रंक।।

©Godambari Negi
  #प्रकृति
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Godambari Negi

White सरित नार
नमन बारंबार
गुण हजार।

निर्मल धार
सवांरती संसार
आता निखार।

धरा सुंदरी
पर्वत से उतरी
सजी नगरी।

©Godambari Negi
  #हाइकुकविता
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Godambari Negi

White द्वारे आकर जोडता हाथ।
आकर मागता मेरा साथ ।
भर भर है आश्वासन देता,
का सखि प्रेमी? ना सखि नेता।

©Godambari Negi
  #मुकरी
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Godambari Negi

White  'सुनो साजना'
हमें प्रीत तुमसे  सुनो  साजना।
कसम है तुम्हें हाथ आ थामना।।

ज़रा पास  आकर लगा  लो गले।
मिलो आज हम से गगन के तले।।
भरी  आँख  मेरी  टपकती  यहाँ।
नहीं  रास  आता  मुझे  ये  जहाँ।।

बताऊँ  तुम्हें  है  यही  कामना।
कसम है तुम्हें हाथ आ थामना।।

प्रतीक्षा  सदा  से  तुम्हारी   रही।
विरह की अगन भी सदा ही सही।
तरसती रही हूँ  झलक  पा  सकूँ।
कभी तो तुम्हारे निकट आ सकूँ।।

यही कर रही आज मैं याचना।
कसम है तुम्हें हाथ आ थामना।।

©Godambari Negi
  #geetanjali
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