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Chandan Gupta

insta id-@alfaze_kalam and chandan_gupta

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Chandan Gupta

ये कैसा मंजर आ गया है
इंसान इंसान से डर गया है!

दिल की बात ज़ुबां पर नही हैं!

और मुर्दो की दुनीया मे जिन्दा रूह
कि तलाश हो रही है!

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Chandan Gupta

खुली आसमा में चाॅंदनी रात हो!
हाथ मे जाम और दोस्तो का साथ हो!
दिल से दिल मिले बस ऐसी एक रात हो!
व रात वही थम सा जाए बस ऐसी बात हो! #friendsforever
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Chandan Gupta

हिमालय की शांत वादियों में खुद को देखना चाहता हु!
बनावटी दुनिया से दुर,खुद को सन्यासी देखना चाहता हु!

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Chandan Gupta

इंसान कि  भी कैसी फितरत होती है!
दर्द को हसी से छुपाता है
खुद के ख्वाब को दुनीया से बचाता !
इंसान‌ हो के इंसान से डर जाता!

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Chandan Gupta

अब मैं काजल से भी ना जलु!
जो मेरे हिस्से का आॅंसु सोख रहा हैं!
जो मुझ से भी ज्यादा तेरा साथ दे रहा हैं!

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Chandan Gupta

खुद को खुद के अन्दर ढुंढ रहा हुॅं
अन्दर हि अन्दर टुट रहा हुॅं
जज्बातो से मैं जुझ रहा हुॅं
अश्क को अन्दर सोख रहा हुॅं

अब शब्दो से मैं खेलता हुॅं
मौन हो कर मैं सब झेलता हुॅं

सिमट और सहम सा जाता हुॅं
जब मैं उस क्षण से रू-ब-रू होता हुॅं

जिंदा हु पर लाश बना!
अन्दर हि बहुत सवाल खड़ा!

उल्झने अब बढ सा है गया!
अब खुद को मै भुल सा गया! #thought#poetry#emotion
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Chandan Gupta

अपने माता-पिता कि "डौली" हुॅं
अपने ख्वाब मे मस्त मौली हुॅं

चित्रकारी मेरे खुन मे हैं 
कुछ कर गुजरने का जुनुन हैं

पर्वत के "शिखा"(शिखर) पर चढनी है
मुझे अपने सपनो से लड़नी हैं

संघर्ष और कठिनाई ये सब फिके हैं
मेरे हौसलो के आगे ये ना जीते हैं

अपने सपनो से खुद जुझनी हैं
अपने नाम मुझे  बुननी हैं

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Chandan Gupta

बेसबब हमारी निगाहे तुमे
युॅं ही ढुॅंढा नही करती!

तन्हाई भरी रात मे तुम्हारी 
तस्वीर युॅं ही बुना नही करती!

हर पल खुदा से तुम्हारी
खुशियो का सौदा अपने गम से करते है!

क्योंकि हमने अपना दिल तुमसे
युॅं ही नही लगाई थी!

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Chandan Gupta

इश्क के रंग मे रंगने को जी तो चाहता है
लेकिन अब वह इश्क मे बात काहा रही!

अब तो लोग इश्क को बजार मे बेचते है
पहले जैसी इश्क कि अब पहचान काहा रही!

अब तो सादगी,उल्फत,नखरे सब बिकते है
अब जज्बातो कि कद्र काहा रही!

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Chandan Gupta

उठ नारी अब तेरी बारी है
रण कि चिंगारी तुझे ही जलानी है!

कर प्रचंड रूप धारण
अब तांडव तुझे ही दिखानी है!

सो चुका है ये जग सारा
अब तुझे हि हुंकार लगानी है!

अब अश्रु कि बखानी नही सुनानी है
अपनी रौद् रूप दिखानी है!

तु भुल मत तु कौन थी एक बार फिर से
अपनी पहचान से अवगत करानी है!

कर प्रंचड रूप धारण
अब तांडव तुझे ही दिखानी है!

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