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कवि- जीतू जान

कवि- जीतू जान

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कवि- जीतू जान

White मैं भी वो चांद हूं जिसे देख मेरी मां हर सुबह– शाम मुस्कुराती है
मैंने देखा है वो खुदा से मेरी सलामती की मन्नतें  करती रहती है
मैं अक्सर नादानियों में रूठ जाता हूं
मेरी मां देर रात में निवाला खिलाकर चादर ओढ़ाकर जाती है

©कवि- जीतू जान #mothers_day
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कवि- जीतू जान

पतझड़ से बसंत में भी अब बागों में नूर उतर आया है
खिलती  कलियों  को  देख अब  भंवरा भी इतराया है
अब  खुशबू  भरी  चांदनी  रातें  गहरी  होती  जा रही  है और
तुम्हारी लहराती जुल्फें देख तस्वीरों में अब चांद उतर आया है

©कवि- जीतू जान #ballet
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कवि- जीतू जान

White अपनो और परायों से हार कर इतना दर्द नही होता
जो दर्द खुली आंखों से देखे सपनो से हार कर होता

©कवि- जीतू जान #Free
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कवि- जीतू जान

If I were child again पढ़ लिखकर गांव से शहर आ कर  स्कूल की शरारतें नहीं भूला करते 
उम्र बढ़ती जा रही है मगर बचपन के खिलौने नहीं भूला करते 
वो टायर वो माचिस के पत्ते वो झूला और गुड्डे गुड़िया सब याद है 
बचपन के दोस्तों के संग कुछ मीठी कुछ खट्टी यादें नही भूला करते

©कवि- जीतू जान #Childwithin
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कवि- जीतू जान

मुझे मालूम है मेरे अपनो मैं मर जाऊं 
तो तुम्हारे लिए
  विरासत में दौलत भले ही नही रहेगी 
फिर भी मलाल नहीं करना तुम्हारे लिए
 मेरी लिखी कविताएं 
और शायरी दौलत से कम नही रहेगी

©कवि- जीतू जान
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कवि- जीतू जान

पतझड़ से बसंत में भी अब बागों में नूर उतर आया है
खिलती  कलियों  को  देख अब  भंवरा भी इतराया है
अब  खुशबू  भरी  चांदनी  रातें  गहरी  होती  जा रही  है और
तुम्हारी लहराती जुल्फें देख तस्वीरों में अब चांद उतर आया है

©कवि- जीतू जान #lalishq
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कवि- जीतू जान

आओ पढ़ें  लिखें  तार्किक  समाज का  निर्माण करे
गांधी और अंबेटकर बने आओ हम सब स्कूल चले।

©कवि- जीतू जान #reading
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कवि- जीतू जान

माँ तकलीफों मे मुस्कुराकर दिलासा देती है 
अपने  दर्दों  को  संतानों  से  छुपा  लेती  है।

©कवि- जीतू जान
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कवि- जीतू जान

आज उसने भी अपनी Instagram पर तस्वीर लगाई है 
आज 10 वर्षों के बाद उसकी तस्वीर नजर आई है 
वैसे इतने वर्षों में बदला भी कुछ नहीं है 
उसके गाल का तिल ज़ूम कर के देख मेरी आंख भर आई है

©कवि- जीतू जान #Photos
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कवि- जीतू जान

जिसके मुझे सपने आते हैं सुना है
 आज उसका सपना तुम्हें भी देखा है
सलामती की दुआ करना भले ही वो बेवफा है 
दोस्तों ये जान अभी भी उसके सपनो में कैद है

©कवि- जीतू जान #Alive
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