"कौन हूँ मैं" "मैं हूँ पिंकू, मैं हूँ प्रिया, जैसे नील गगन में उड़ती, इक आजाद मनचली सी चिड़ियाँ; जैसे हँसने और हँसाने वाली, इक बहुत ही प्यारी सी गुड़िया ! मैं हूँ पिंकू, मैं हूँ प्रिया , मैंने हर-हाल में सीखा है मुस्कुराना, भुला कर अपनी सारी तकलीफ़ और मजबूरियाँ; मैं तो दुखों में भी खुश रहती हूँ ऐसे, जैसे खुश होती है कोई बच्ची पाकर रंग-बिरंगी चूड़ियाँ ! मैं हूँ पिंकू, मैं हूँ प्रिया , कुछ एक लोगों ने कहा मेरे बारे में- कि मैं तो हूँ इक जहर की पुड़ियां; सच ही तो है जैसे जहर का काम होता है मारना, ठीक वैसे मैं भी मारती हूँ नफ़रत को मिटा के दो दिलों के बीच की दूरियाँ ! मैं हूँ पिंकू, मैं हूँ प्रिया !" द्वारा:- "प्रिया सिन्हा"