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yogeshyadav9982
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Yogesh Yadav

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Yogesh Yadav

जब पड़ जाता हूं अकेला तब पन्नों को थाम लेता हूं
कलम की नोक से अपना अकेला पन लिख देता हूं

फिर ना जाने अकेला पन अलग मोड़ पकड़ लेता है
फिर ना जाने गुमसुम सा एक साथी हाथ थाम लेता है

जो था अकेला पन उसका अहसास बदल सी जाती है
मैं होता तो हूं अकेला पर सच्चाई झूठी पड़ जाती है

वो गुमसुम सी साथी मानो जहन में कुछ बात रख जाती है
तू अकेला कभी था ही नहीं ये बात समझा जाती है

फिर हाथ थामे टूटे भरोसे को फिर से संवारती है वो
फिर हाथ थामे एक मोड़ से दूसरे मोड़ में ले जाती है वो

मैं भूल गया हूं किस बात पर मैं सदमे में खोया था
मैं भूल गया हूं कि क्यूं मैं जमाने से रूठा था

हाथ थामें वो मुझे बस चलने को कहती है
कलम की नोक में अनजान दुनियां रचने को कहती है

मैं भी बस लिखता जा रहा हूं बस लिखता जा रहा हूं
हाथ तो वो थामी है मैं बस बड़ता जा रहा हूं

खुद की दुनिया छोड़ मैं एक नई दुनियां लिख रहा हूं
उस गुमसुम से शक्श से गुमसुम सी बातें कर रहा हूं

ये बातें मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रही है
ये बातें मानो हर मोड़ में अलग ही ख्वाहिशें बुन रहीं है

पन्नों ने मानो पंख को अब परवाज़ दे दिया हो
खुद में सिमटा कर मुझमें एक अरमान भर दिया हो

अब जमीं छोड़ मैं ख्वाहिशों के संग उड़ रहा हूं
अब जमीं की बात को जमीं में रख आसमां चूम रहा हूं

आसमां ख्वाहिशों की मानो मुझसे एक बात कह गई
तू कभी अकेला था ही नहीं बस दिल की बात कर गई।।

©Yogesh Yadav #wait xdf
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Yogesh Yadav

जब पड़ जाता हूं अकेला तब पन्नों को थाम लेता हूं
कलम की नोक से अपना अकेला पन लिख देता हूं

फिर ना जाने अकेला पन अलग मोड़ पकड़ लेता है
फिर ना जाने गुमसुम सा एक साथी हाथ थाम लेता है

जो था अकेला पन उसका अहसास बदल सी जाती है
मैं होता तो हूं अकेला पर सच्चाई झूठी पड़ जाती है

वो गुमसुम सी साथी मानो जहन में कुछ बात रख जाती है
तू अकेला कभी था ही नहीं ये बात समझा जाती है

फिर हाथ थामे टूटे भरोसे को फिर से संवारती है वो
फिर हाथ थामे एक मोड़ से दूसरे मोड़ में ले जाती है वो

मैं भूल गया हूं किस बात पर मैं सदमे में खोया था
मैं भूल गया हूं कि क्यूं मैं जमाने से रूठा था

हाथ थामें वो मुझे बस चलने को कहती है
कलम की नोक में अनजान दुनियां रचने को कहती है

मैं भी बस लिखता जा रहा हूं बस लिखता जा रहा हूं
हाथ तो वो थामी है मैं बस बड़ता जा रहा हूं

खुद की दुनिया छोड़ मैं एक नई दुनियां लिख रहा हूं
उस गुमसुम से शक्श से गुमसुम सी बातें कर रहा हूं

ये बातें मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रही है
ये बातें मानो हर मोड़ में अलग ही ख्वाहिशें बुन रहीं है

पन्नों ने मानो पंख को अब परवाज़ दे दिया हो
खुद में सिमटा कर मुझमें एक अरमान भर दिया हो

अब जमीं छोड़ मैं ख्वाहिशों के संग उड़ रहा हूं
अब जमीं की बात को जमीं में रख आसमां चूम रहा हूं

आसमां ख्वाहिशों की मानो मुझसे एक बात कह गई
तू कभी अकेला था ही नहीं बस दिल की बात कर गई।।

©Yogesh Yadav #waitdesire  cdsdv
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Yogesh Yadav

In distant lands where hearts may roam,
There blooms a love that's found its home.
This poem I weave, a gift to thee,
For Soumya, with her grace and glee.

Her beauty shines like radiant light,
Eyes like glass, a captivating sight.
Curly hair frames her face divine,
A masterpiece, crafted by design.

Though she may wear a hint of pride,
A touch of rudeness by her side,
Her spirit strong, unyielding, true,
A fire within, burning bright and blue.

From Dongargarh, her place of birth,
To Ambikapur, where dreams find worth,
She walks a path of knowledge grand,
Masters agronomy with skillful hand.

Though distance separates our souls,
Love's tendrils stretch, embrace the goals,
In every thought, in every prayer,
I find Soumya, my love, always there.

Through miles of space, we still connect,
Heart to heart, our love reflects.
Though far away, we'll find a way,
To bridge the gap, to reunite someday.

So Soumya, my love, this verse I send,
A token of affection that will not end.
Know that my heart beats only for you,
Forever entwined, our love so true.

Together we'll conquer the miles apart,
And bridge the distance with a beating heart.
For love knows no bounds, no limits known,
With you, Soumya, my heart has flown.

©Yogesh Yadav #HumTum
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Yogesh Yadav

In distant lands where hearts may roam,
There blooms a love that's found its home.
This poem I weave, a gift to thee,
For Soumya, with her grace and glee.

Her beauty shines like radiant light,
Eyes like glass, a captivating sight.
Curly hair frames her face divine,
A masterpiece, crafted by design.

Though she may wear a hint of pride,
A touch of rudeness by her side,
Her spirit strong, unyielding, true,
A fire within, burning bright and blue.

From Dongargarh, her place of birth,
To Ambikapur, where dreams find worth,
She walks a path of knowledge grand,
Masters agronomy with skillful hand.

Though distance separates our souls,
Love's tendrils stretch, embrace the goals,
In every thought, in every prayer,
I find Soumya, my love, always there.

Through miles of space, we still connect,
Heart to heart, our love reflects.
Though far away, we'll find a way,
To bridge the gap, to reunite someday.

So Soumya, my love, this verse I send,
A token of affection that will not end.
Know that my heart beats only for you,
Forever entwined, our love so true.

Together we'll conquer the miles apart,
And bridge the distance with a beating heart.
For love knows no bounds, no limits known,
With you, Soumya, my heart has flown.

©Yogesh Yadav
  #Love
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Yogesh Yadav

In distant lands where hearts may roam,
There blooms a love that's found its home.
This poem I weave, a gift to thee,
For Soumya, with her grace and glee.

Her beauty shines like radiant light,
Eyes like glass, a captivating sight.
Curly hair frames her face divine,
A masterpiece, crafted by design.

Though she may wear a hint of pride,
A touch of rudeness by her side,
Her spirit strong, unyielding, true,
A fire within, burning bright and blue.

From Dongargarh, her place of birth,
To Ambikapur, where dreams find worth,
She walks a path of knowledge grand,
Masters agronomy with skillful hand.

Though distance separates our souls,
Love's tendrils stretch, embrace the goals,
In every thought, in every prayer,
I find Soumya, my love, always there.

Through miles of space, we still connect,
Heart to heart, our love reflects.
Though far away, we'll find a way,
To bridge the gap, to reunite someday.

So Soumya, my love, this verse I send,
A token of affection that will not end.
Know that my heart beats only for you,
Forever entwined, our love so true.

Together we'll conquer the miles apart,
And bridge the distance with a beating heart.
For love knows no bounds, no limits known,
With you, Soumya, my heart has flown.

©Yogesh Yadav
  #HumTum
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Yogesh Yadav

संसार पलता है उनमें, संघार खेलता है उनमें
देते जब वे है अमृत ज्ञान, तब जाकर बनते हैं मौर्य महान।1।

नदी के शांत प्रवाह में अनगिनत जंतु पलते है
पर विकट रूप अस्थिर प्रवाह में सिकंदर जैसे भी बहते है।2।

कोमल प्रकृति के मिट्टी में जब पौरुष भर उसे अकार दिए
तब जीजाबाई के लाड़ले ने स्वराज्य सपने साकार किए।3।
जल में लिन है शांत लहर
जल में लिन है अशांत लहर
जल देता सबको जीवन दान
जल हरता सबके कष्ट समान
जल ही पृथ्वी की सांसे हैं
जल ही नव सृजन की बूंदे है
बिन जल के भूमि सूखे है
वैसे ही है गुरु की महिमा
जिनके बिन शिष्य अधूरे हैं।4।
हर लिया अंधकार आंखों से,भर दिए ज्ञान के सागर से
वे बता दिए तुम हो कौन,वे दिखा दिए तुम हो कौन।5।

जब प्रथम समय मनु ने भी तीर साधी थी
तब वो तीर भी लक्ष्य से अपने विचलित थी
तलवार उठाना असान ना था
मनु से लक्ष्मीबाई बनना असान ना था
पर तात्या के प्रशिक्षण के समक्ष
अंग्रेजों का टिकना भी असान ना था।6।

अनंत है आपकी महिमा,अनंत प्रशिक्षण निराला है
एक हाथ में संघार लिए दूसरे में सृजन को पाला है।7।

©Yogesh Yadav #Happy_Teachers_Day 
#friends
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Yogesh Yadav

नए सवेरे की पहली किरण में काश ऐसा ओज हो
धरा को फुलकित कर दे आसमां में चिड़ियां अनेक हो

हर बच्चों के चेहरे में खुशियां पाविस लौट आए
हर गांव के सुंदर चौराहे में लोग लोक गीत गुनगुनाए

स्वक्छंद गति को धारण कर हर दिशा में हम भटके
कभी झरने में कभी पहाड़ों में कभी लोगों के संग थिरके

हर दिशा में बस खुशियों की आहट हमें सुनाई दे
ना किसी को पीड़ा हो और ना कोई रुसवाई दे

मैं भटकूं हर प्रहर धरा में बिना किसी परवाह के
झुमु नांचू लोगों के संग जैसे हवा में पेड़ों के डालें

नई राह हो नई डगर हो जीने की नई शुरुआत हो
नए पन में लीन हो हवा और खुशियों की सौगात हो

नदी प्रवाह की आत्मधवनी सबके कानों तक पहुंचे
सुंदर प्रकृति के बीज को हम अपने हाथों से सींचे

नए सवेरे की पहली किरण में काश ऐसा ओज हो
नए सवेरे की पहली किरण में काश ऐसा ओज हो।।

©Yogesh Yadav #sunrays
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Yogesh Yadav

सर्द हवाओं सी है उनकी यादें
जब भी आति है कमबख्त सहमा देती है।

©Y

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Yogesh Yadav

जीवन प्रलय को पार कराते आप व्यक्ति बड़ा परोपकारी हैं
ऐ गुरुवर आपके आशिस का हम शिष्य बड़े आभारी हैं।।

प्रथम गुरु आप माता - पिता बन जीवन हमें दिखाए हो
अपने आंचल के छाव में चलना हमें सिखाए हो
डगर डगर के रोड़ों को अापने हमसे दूर किए
हमारे होठों में अम्रती वाणी का प्रथम रस आपने घोल दिए
बाल्यावस्था रूपी रथ का आप प्रथम गुरु ही सार्थी हैं

जीवन प्रलय को पार कराते आप व्यक्ति बड़ा परोपकारी हैं
ऐ गुरुवर आपके आशिस का हम शिष्य बड़े आभारी हैं।।

खुदके बच्चों से ज्यादा आपने हमको प्यार दिए
द्वितीय गुरु बनकर हमको जीवन जीने का सार दिए
खुदके परेशानियों से खुद लड़ना आपने हमें सिखाए हो
सही गलत के मायनों का पैमाना आपने हमें दिखाए हो
चंद्दू को चन्द्रगुप्त मौर्य बनाते आप चाणक्य बड़ा प्रभावी हैं

जीवन प्रलय को पार कराते आप व्यक्ति बड़ा परोपकारी हैं
ऐ गुरुवर आपके आशिस का हम शिष्य बड़े आभारी हैं।।

जीवन के काले घड़ियों ने कई बार हमको घेरा है
विकट परिस्थिति की धारा ने कई बार हमें बहाया है
पर धारा में कस्ती बन विपदा से पार लगाए हो
साथ धारा के बहाव में बहना हमें सिखाए हो
अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ बनाते आप गुरु द्रोण महाज्ञानी हैं

जीवन प्रलय को पार कराते आप व्यक्ति बड़ा परोपकारी हैं
ऐ गुरुवर आपके आशिस का हम शिष्य बड़े आभारी हैं।। #InspireThroughWriting
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Yogesh Yadav

जिंदगी के इस होड़ में मैं भी भीड़ चला हूं
कुछ सपनों कि उड़ान लिए मैं भी उड़ चला हूं।।

कुछ छोटे कुछ बड़े राह में कांटे अनेक मिलें
कुछ को मैंने तोड़ दिया कुछ मुझे झंझोड़ दिए
मैं राही कई दास्तों के उलझन में घिरा पड़ा हूं
हर पग पे नजाने कैसे कैसे मोड़ों में फसां पड़ा हूं

जिंदगी के इस होड़ में मैं भी भीड़ चला हूं
कुछ सपनों कि उड़ान लिए मैं भी उड़ चला हूं।।

हर परवाज में मैंने एक नई नई उलझनें पाई
एक पल में धीमी धीमी तो दूजे पल जोरों कि हवा आई
कहां निकला था जाने को और कहां पहुंच गया हूं
पल पल बदलते मौसम में मैं कहां खो..... गया हूं

जिंदगी के इस होड़ में मैं भी भीड़ चला हूं
कुछ सपनों कि उड़ान लिए मैं भी उड़ चला हूं।।

पर राही परवाज लिए एक बात मैंने ठानी
ले चले हवा कहीं भी पर हौसलों में होगी रवानी
चाहे चारों ओर हवा से घिरा मैं खुदको पाऊं
पर मिट्टी कि ठाट लिए मैं डंक्का जोर बजाऊं

जिंदगी के इस होड़ में मैं भी भीड़ चला हूं
कुछ सपनों कि उड़ान लिए मैं भी उड़ चला हूं।। #sunrays
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