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ashutoshkumarupa5266
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Ashutosh Kumar Upadhyay

#yqwriter

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Ashutosh Kumar Upadhyay

अकेलेपन का एहसास शायद जरूरी होता है
खुद से खुद के मिलन के लिए एक सीढ़ी होता है

खो गया है बाहर के चकाचौंध में आज हर आदमी
अंदर का घना अंधेरा हमें कहां पता होता है

दो पल बैठते नहीं हम बिन मोबाइल के
अंदर का खालीपन हर दिन बस और बड़ा होता है

आईने में देख हम जिस्म संवारते हर दिन
मन संवारने का समय कहां हमारे पास होता है

भौतिक वस्तुओं के आकर्षण में फंसा हर मजनू यहां
दो पल की झूठी खुशियों में हरदम व्यस्त रहता है

सोचो तो, अंतर्मन का ज्ञान हमें कहां पता होता है
अकेलेपन का एहसास इसलिए शायद जरूरी होता है नमस्कार लेखकों।😊

हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । 

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Ashutosh Kumar Upadhyay

                        मैं नहीं बनाता
मैं नहीं कल्पना करता
इन बच्चों में
किसी 'एडिसन' 'बिल गेट्स' की
पर मैं देखता हूं 
पल पल महसूस करता हूं
कैसे मरता है इनके अंदर का
'आइंस्टाइन'
वो प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति
खुद से जवाब खोजने की आदत
बार-बार कुछ कर जाने की कोशिश
कैसे मरती है ये आदतें 
कभी स्कूल की चार दीवारों में
कभी मां-बाप की आकांक्षाओं में। उम्मीद की इमारत मैं नहीं बनाता
मैं नहीं कल्पना करता
इन बच्चों में
किसी 'एडिसन' 'बिल गेट्स' की
पर मैं देखता हूं 
पल पल महसूस करता हूं
कैसे मरता है इनके अंदर का
'आइंस्टाइन'

उम्मीद की इमारत मैं नहीं बनाता मैं नहीं कल्पना करता इन बच्चों में किसी 'एडिसन' 'बिल गेट्स' की पर मैं देखता हूं पल पल महसूस करता हूं कैसे मरता है इनके अंदर का 'आइंस्टाइन' #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzउम्मीदकीईमारत

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Ashutosh Kumar Upadhyay

अपरिपक्व रहा हूं उस हर मोड़ पर मैं
ठोकर खाने को जहां पत्थर नहीं मिला।

आते जाते रहे कई शख्स मेरी महफिल में यहां
अंजाना ही रहा वो, गम जिससे अपना ना मिला।

मन में उठती, गिरती, छोटी, बड़ी लहरें बहुत
उलझा रहा इसमें जब तक, कोई किनारा ना मिला।

मस्तिष्क मेरा कच्ची मिट्टी का एक खिलौना 
सही सांचे में नहीं ढाला तो, बेढंगा ही मिला। अपरिपक्व रहा हूं उस हर मोड़ पर मैं
ठोकर खाने को जहां पत्थर नहीं मिला।

आते जाते रहे कई शख्स मेरी महफिल में यहां
अंजाना ही रहा वो, गम जिससे अपना ना मिला।

मन में उठती, गिरती, छोटी, बड़ी लहरें बहुत
उलझा रहा इसमें जब तक, कोई किनारा ना मिला।

अपरिपक्व रहा हूं उस हर मोड़ पर मैं ठोकर खाने को जहां पत्थर नहीं मिला। आते जाते रहे कई शख्स मेरी महफिल में यहां अंजाना ही रहा वो, गम जिससे अपना ना मिला। मन में उठती, गिरती, छोटी, बड़ी लहरें बहुत उलझा रहा इसमें जब तक, कोई किनारा ना मिला। #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzpictureprompt #rzpicprompt4282

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Ashutosh Kumar Upadhyay

अपरिपक्व रहा हूं उस हर मोड़ पर मैं
ठोकर खाने को जहां पत्थर नहीं मिला।

आते जाते रहे कई शख्स मेरी महफिल में यहां
अंजाना ही रहा वो, गम जिससे अपना ना मिला।

मन में उठती, गिरती, छोटी, बड़ी लहरें बहुत
उलझा रहा इसमें जब तक, कोई किनारा ना मिला।

मस्तिष्क मेरा कच्ची मिट्टी का एक खिलौना 
सही सांचे में नहीं ढाला तो, बेढंगा ही मिला। अपरिपक्व रहा हूं उस हर मोड़ पर मैं
ठोकर खाने को जहां पत्थर नहीं मिला।

आते जाते रहे कई शख्स मेरी महफिल में यहां
अंजाना ही रहा वो, गम जिससे अपना ना मिला।

मन में उठती, गिरती, छोटी, बड़ी लहरें बहुत
उलझा रहा इसमें जब तक, कोई किनारा ना मिला।

अपरिपक्व रहा हूं उस हर मोड़ पर मैं ठोकर खाने को जहां पत्थर नहीं मिला। आते जाते रहे कई शख्स मेरी महफिल में यहां अंजाना ही रहा वो, गम जिससे अपना ना मिला। मन में उठती, गिरती, छोटी, बड़ी लहरें बहुत उलझा रहा इसमें जब तक, कोई किनारा ना मिला। #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #picquote #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATgirlbg913

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Ashutosh Kumar Upadhyay

पर अभी भी
वो राह ढूंढता हूं
जहां टूट जाऊं, बिखर जाऊं
और फिर से जुड़ जाऊं
अनुभवों का ऐसा पैगाम ढूंढता हूं
बहती हवा जब टहनी हिलाती है
लगी धूल की परत भी गिर जाती है
ऐसी हवा का मैं जाम ढूंढता हूं
मन की नसें उधेड़ कर रख दे
ऐसी एक किताब ढूंढता हूं माना कि नाकाम हूं मैं
पर अभी भी
वो राह ढूंढता हूं
जहां टूट जाऊं, बिखर जाऊं
और फिर से जुड़ जाऊं
अनुभवों का ऐसा पैगाम ढूंढता हूं
बहती हवा जब टहनी हिलाती है
लगी धूल की परत भी गिर जाती है

माना कि नाकाम हूं मैं पर अभी भी वो राह ढूंढता हूं जहां टूट जाऊं, बिखर जाऊं और फिर से जुड़ जाऊं अनुभवों का ऐसा पैगाम ढूंढता हूं बहती हवा जब टहनी हिलाती है लगी धूल की परत भी गिर जाती है #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #restzone #yqrz #नाकामहूँमैं #rzवोराहढूँढताहूँ

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Ashutosh Kumar Upadhyay

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जिंदगी मेरी एक किताब
भरे पन्ने जिसके फटे फटे
कुछ मैंने यूं ही फाड़े,
 कुछ खुद से ही फटे फटे

खाली खाली पन्ने भी मेरे 
लगते हैं कुछ सहमे सहमे
कलम बता क्या लिखूं मैं
दे दे कुछ स्याही रूखे सूखे

कलम कहती
(Read in caption) 
जिंदगी मेरी एक किताब
भरे पन्ने जिसके फटे फटे
कुछ मैंने यूं ही फाड़े, 
कुछ खुद से ही फटे फटे

खाली खाली पन्ने भी मेरे 
लगते हैं कुछ सहमे सहमे

जिंदगी मेरी एक किताब भरे पन्ने जिसके फटे फटे कुछ मैंने यूं ही फाड़े, कुछ खुद से ही फटे फटे खाली खाली पन्ने भी मेरे लगते हैं कुछ सहमे सहमे #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #rzbookoflife

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Ashutosh Kumar Upadhyay

खुशी चाहते हरदम हम
पर खुशी कहां पाते हैं?
जज (judge) करते, दोष गिनते
बस खरपतवार के बीज उगाते हैं!

जो बोएगा, वो पाएगा
कहते, फिरते, हरदम हम
पर समझ कहां पाते हैं?
वरना खरपतवार की जगह हम
फूल क्यों नहीं उगाते हैं?

(Read in caption) खुशी चाहते हरदम हम
पर खुशी कहां पाते हैं?
जज (judge) करते, दोष गिनते
बस खरपतवार के बीज उगाते हैं!

जो बोएगा, वो पाएगा
कहते, फिरते, हरदम हम
पर समझ कहां पाते हैं?

खुशी चाहते हरदम हम पर खुशी कहां पाते हैं? जज (judge) करते, दोष गिनते बस खरपतवार के बीज उगाते हैं! जो बोएगा, वो पाएगा कहते, फिरते, हरदम हम पर समझ कहां पाते हैं? #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzpictureprompt #rzpicprompt4267

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Ashutosh Kumar Upadhyay

सिले होठों से
अपना दर्द
हे वृक्ष!

मानव की असीमित भूख
बन गया तू उसका शिकार!
लक्ष्य था तेरा परोपकार
तू अंत तक करता रहा परोपकार!
तू करता अपना अंग अंग दान
देता दूसरों को अभी भी जीवनदान!

लक्ष्य जीवन में ऐसा बनाऊं मैं
मर कर खुद को दान कर जाऊं मैं कुछ तो कह
सिले होठों से
अपना दर्द
हे वृक्ष!


मानव की असीमित भूख
बन गया तू उसका शिकार!

कुछ तो कह सिले होठों से अपना दर्द हे वृक्ष! मानव की असीमित भूख बन गया तू उसका शिकार! #lovequotes #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATकुछतोकह

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Ashutosh Kumar Upadhyay

मंद नहीं पड़ सकती अब अंधकार में
ज्ञान का बटन दबाए
चल पड़ा हूं मैं इस जहान में

वृक्षों की शाखाओं की तरह
हर दिशा टटोलता हूं
कोई assumption बनाने से पहले
हर तरीके से परखता हूं

(Read in caption) हौसले की रोशनी
मंद नहीं पड़ सकती अब अंधकार में
ज्ञान का बटन दबाए
चल पड़ा हूं मैं इस जहान में

वृक्षों की शाखाओं की तरह
हर दिशा टटोलता हूं
कोई assumption बनाने से पहले

हौसले की रोशनी मंद नहीं पड़ सकती अब अंधकार में ज्ञान का बटन दबाए चल पड़ा हूं मैं इस जहान में वृक्षों की शाखाओं की तरह हर दिशा टटोलता हूं कोई assumption बनाने से पहले #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzहौसलेकीरोशनी

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Ashutosh Kumar Upadhyay

दूसरों के साथ मिलकर कौन चला है?
वाह्य-आडंबर से दूर,
अंतर्मन के विकास को उसने चुना है

कुछ नया कर जाने का साहस किसमें?
कौन दुनिया के अंधेरों को चीर आगे बढ़ा है?
छोटी सोच का हो नहीं सकता मालिक वो, मेरे मित्र!
बड़ी मंजिल पर जरूर उसने कदम रखा है

(Read in caption) 
दूसरों से अलग बनने के लिए
दूसरों के साथ मिलकर कौन चला है?
वाह्य-आडंबर से दूर,
अंतर्मन के विकास को उसने चुना है

कुछ नया कर जाने का साहस किसमें?
कौन दुनिया के अंधेरों को चीर आगे बढ़ा है?

दूसरों से अलग बनने के लिए दूसरों के साथ मिलकर कौन चला है? वाह्य-आडंबर से दूर, अंतर्मन के विकास को उसने चुना है कुछ नया कर जाने का साहस किसमें? कौन दुनिया के अंधेरों को चीर आगे बढ़ा है? #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzदूसरोंसेअलगबनने

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