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harpinderkaur4409
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Harpinder Kaur

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Harpinder Kaur

New Year 2024-25 बीत गया सब धीरे-धीरे 
सब कुछ बदल जाएगा 
आने वाला नया कल
नया सूरज,नई उम्मीदें लाएगा 
परिवर्तन तो है शाश्वत नियम 
ये यूं ही होता जाएगा
थामो हाथ तुम नव जीवन का
नववर्ष के गीत गुनगुनाओगे तुम 
राधा नाम को लेकर संग
कान्हा साथ मस्त हो जाओ तुम 
नववर्ष में करो प्रतिज्ञा 
कुमार्ग न अपनाएंगे 
जीवन को जिएंगे खुशियों से 
और किसी का दिल न दुखाएंगे 
नववर्ष रहे सबका
सुख, समृद्धि और खुशहाली 
से भरा 
यही प्रार्थना से नववर्ष 
मनाएंगे

©Harpinder Kaur # नववर्ष

# नववर्ष #Poetry

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Harpinder Kaur

White कल्पनाएं  ,केवल मन का खोखलपन नहीं होता। यह गढ़ है उन यादों का, सपनों का जिन्हें हमने कभी अपने भीतर और बाहर जिया होता है। कितना आसान होता है कहानी को महज़ एक कहानी कहना 
लेकिन उसमें जिंदगी का बहुत कुछ जिया हुआ भरा -सा छिछला सा रहता है साथ।

©Harpinder Kaur # कुछ तो है भीतर भरा.. एक कहानी सा

# कुछ तो है भीतर भरा.. एक कहानी सा #Quotes

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Harpinder Kaur

White कितना गहरा एहसास होता है 
भरे गहरे काले रंग में डूबे आसमान को देखना
और उस पर टिमटिमाते तारों से बात करना
बातें, ऐसे जैसे वो सब सुन रहे हों
गहराई से
और बांट रहे हो सारा दु:ख


बचपन में तारे गिनने के खेल से 
बड़े होकर कब इनके ही हो गए
पता नहीं चलता है
प्रेमी जोड़े के लिए ये तारों भरा आसमां
आशियाना है प्रेम का
तो टूटे सपनों रिश्तों के लिए है एक सहारा
जिसे जीवन जैसा लगा, वैसा बनाया
उसने तारों का देश

कहते हैं टूटता तारा सब इच्छा पूरी करता है
क्या कभी सोचा है, कि जो आसमान से खुद टूट गया
शायद उसकी भी इच्छा अधूरी रह गई हो
आखिर उसके टूटने पर कौन देता होगा उसे सहारा
जैसे हमारे टूट जाने पर देता है ये तारा...............

©Harpinder Kaur # ✍️

# ✍️ #Poetry

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Harpinder Kaur

White क्यों चीख़ रहे तुम अब, 
क्यों उफ़! हाय! चिल्लाते हो
गर्मी गर्मी चिल्लाने वालों
तुम छाया के लिए कितने वृक्ष लगाते हो? 
जहाँ मन किया फैला दी गंदगी
जहाँ खाया तुमने, वहीं कूड़ा गिराते हो
फिर क्यों तुम अपनी गलतियों का इल्ज़ाम 
सूरज पर लगाते हो
बतलाना तो ज़रा, प्रकृति की स्वच्छता के लिए
तुम क्या कर्तव्य निभाते हो? 
नदियों को तुम गंदा करते 
उसके पानी को तुम व्यर्थ बहाते हो
करते हो तुम अपनी मनमर्जी
फिर क्यों जल को खारा बताते हो
ज़रा बताओ ए नादानों! 
पर्यावरण संरक्षण के लिए तुम
कौन सा कर्तव्य निभाते हो

©Harpinder Kaur # पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है.... जिसने निभाओगे, तभी जीवन को सुरक्षित बना पाओगे ✍️ ( पर्यावरण दिवस)

# पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है.... जिसने निभाओगे, तभी जीवन को सुरक्षित बना पाओगे ✍️ ( पर्यावरण दिवस) #Poetry

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Harpinder Kaur

White बीते कई वर्षो बाद तेरा लौट आना 
ऐसा हुआ, जैसे
सुखे वन में बसंत पुन: लौट आई हो
नई उम्मीद उमंगों के साथ
जैसे फिर किसी सावन का इंतजार करते करते
पपीहा को मिला हो एक प्रेम का मेघ
अपनी प्यास को तृप्त करने के लिए
तेरे लौट आने के बाद...... 
तेरे लौट आने के बाद
जैसे शांत रूआंसी बैठी कोई नदी
फिर से लौट आई है अपनी लहरों की
चंचल शरारत को लेकर
जैसे चांद लौट आया हो
अपनी चांदनी को लेकर
तेरे लौट आने के बाद
तेरे लौट आने के बाद, 
लौट आई हूँ मैं, जो मैं नहीं रह गई थी
तुम ने लौटाया मुझे मेरा प्रेम 
मेरी उम्मीद, मेरी प्रार्थनाओं का फल
और  फिर से  लौटा है एक रास्ता जीवन का
तेरे लौट आने के बाद.................

©Harpinder Kaur # तेरे लौट आने के बाद.......

# तेरे लौट आने के बाद....... #Poetry

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Harpinder Kaur

White बाहर का हाल सब जानते हैं
अंदर कितना कुछ टूटा है
ये कोई नहीं जानता
कोई नहीं जानता 
उन सवालों के जवाब 
जो भीतर ही भीतर
सुलग रहे हैं 
घुटन की आग बनकर

©Harpinder Kaur # शायद तो कोई समझता

# शायद तो कोई समझता #Poetry

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Harpinder Kaur

White अक्सर कह दिया जाता है 
और समझ भी लिया जाता है
कि किसी एक का, दूसरे से अलग हो जाने से 
कभी कोई नहीं मरता
क्या सच में कोई नहीं मरता? 
फिर अचानक से मन में एक प्रश्न कौंधता है
क्या जिस्म का मरना ही, मरना है? 
फिर एक और ख्याल आता है 
कि किसी के जुदा होने से, उसके लिए बुने ख्वाब मिटने से, मन- मस्तिष्क में बनी वो चेहरे की आकृतियाँ, वो लंबी लंबी बातें, मुस्कुराहट, सुकून, 
वो प्यार, वो रिश्ता...... और बहुत कुछ  
क्या वो सब जिंदा रहता है! किसी के जाने के बाद 
(part -1)

©Harpinder Kaur
  # किसी के जाने के बाद.......

# किसी के जाने के बाद....... #Poetry

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Harpinder Kaur

Black चांद की चांदनी की छटा
बिखेर रही है
इत्र की खुशबू, चारों ओर
सेवइयों की महक ने 
महकाया है जा़यका
और खुजूर भरती है मिठास
इफ़्तार की थाली में
गुलाब के शरबत ने 
पूरा किया ईदी का दिन
ईदगाह की अजा़न
और रोजों ने
कुबूल की दुआएँ
मानवता बची रहे
और मुबारक हो ईद की 
ये भाईचारा यूँ ही 
गले मिलता रहे

©Harpinder Kaur # ईद मुबारक हो 🤲🌙

# ईद मुबारक हो 🤲🌙 #Poetry

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Harpinder Kaur

एक खुशबू और एहसास 
तुम में दोनों एक साथ है
तेरा सौंधापन, महकाता है 
पती में घुली, अदरक - इलायची का स्वाद
दिल में कुछ तो एहसास जगाती है
ये कुल्हड़ वाली चाय
एक मीठा सा अपनापन दे जाती है
ये कुल्हड़ वाली चाय
मिट्टी के कुल्हड़ में 
ये मसालों की महक
आह! कितना दीवाना बनाती है
ये कुल्हड़ वाली चाय
यूँ ही नहीं हम दीवाने हैं 
इस चाय के
एक मीठा सा इश्क़ जगाती है
ये कुल्हड़ वाली चाय

©Harpinder Kaur # कुल्हड़, खुशबू, महक, मीठा, गरमाहट, इश्क़..... उफ! क्या अदा है दीवाना बनाने की

# कुल्हड़, खुशबू, महक, मीठा, गरमाहट, इश्क़..... उफ! क्या अदा है दीवाना बनाने की #Poetry

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Harpinder Kaur

गाली
पुरुष को लगता है कि
गाली उसके पुरूष होने का एक पहचान पत्र है
उसकी मर्दानगी है 
एक औरत के नाम पर दी गाली में
वो अपना पौरूषार्थ समझता है
माँ - बहन की गालियों को
वो अपने गुस्से का सुकून समझता है
वो देता है.........
औरत के उस हिस्से को गाली 
जिस हिस्से से वो दुनिया में आता है
और अपना वंश बढ़ाता है

©Harpinder Kaur # भाग -1 ..... ✍️

# भाग -1 ..... ✍️ #Poetry

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