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vijaypratap3901
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VIJAY PRATAP

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VIJAY PRATAP

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VIJAY PRATAP

याद है वो पल
जब हम पहली दफा मिले थे
दोनों के चहेरे कितने खिले थे
तुमने हाथ पकड़ मेरा
खुदके करीब लाया था,
डरा हुआ था कितना मैं
फिर प्यार से मैने भी 
तुमको गले लगाया था।
याद है न जब तुम्हारे होठों ने
तुम मेरे हो इस बात का
एहसास कराया था,
गोद में बैठ मेरी कितना वक्त
तुमने मुझमें बिताया था।
अंजान था तुमसे फिर भी
हाथ बड़ाया था,
मुझे सब याद है
क्या तुमको याद है जो भी पल
हमने साथ बिताया था।

©VIJAY PRATAP
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VIJAY PRATAP

آگ कितने मेरे गुनहगार बैठे हैं
जो मुझको उठाने आए हैं
लिपट कर रो रहे हैं जो
वो मुझको राख करने का 
इंतजाम करके आए हैं

©VIJAY PRATAP

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VIJAY PRATAP

छोड़ो यार ..........
कीतना आसान है न
ये युग्म शब्दों का
मेरे बंद कमरे की हर ईंट को
पता है मेरी सिसकियां 
मेरे सिरहाने गबाह 
मेरी घुटती – रोती चीख का

©VIJAY PRATAP #Fire
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VIJAY PRATAP

लाखों सपने जला कर भी 
सर्दी सताती है 
और मैं गैरों से शिकायत करता रहा 
कमबख्त जलाने वाले 
हाथ ही अपने ही थे.....

©VIJAY PRATAP
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VIJAY PRATAP

दिल डरता है अब 
अपनी बात कहने से

लोग आपको सुनकर समझने से ज्यादा 
रिश्ता तोड़ देना बेहतर समझते हैं।

©VIJAY PRATAP #alone
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VIJAY PRATAP

अब उनसे पहले जैसी
बात नहीं होती
बोझल समझ कर मिलते हैं वो
अब उनसे पहले जैसी 
मुलाकात नहीं होती
रात भर जगाए....
वो अब रात नहीं होती
कितना सताती है याद उनकी 
लेकिन अब वो साथ नही होती।

©VIJAY PRATAP #akelapan
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VIJAY PRATAP

बदल ही तो जाता है
प्यार हो या जस्बात
वक्त के साथ बदल ही तो जाता है
जब रेत हो मुठ्ठी में
तो उसको कसने से क्या फायदा 
रेत फिसल ही तो जाता है
जस्बात हो या प्यार
कदर करता बही है 
जो उसकी असल
कीमत चुकाता है
ये तो चंद लम्हात है
इनका क्या भरोसा
वक्त के साथ साथ 
तो इंसान भी बदल जाता है।

©VIJAY PRATAP
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VIJAY PRATAP

मेरे अक्स को तुझमें देखने लगा हूं
जाने क्यों हर पल 
तुझको सोचने लगा हूं
तेरी मजाक में भी कही
बात से दूर जाने से डरने लगा हूं
खामोश हो जाता हूं तेरी बात
सुनकर
हां क्योंकि बेबजाह सोचने लगा हूं
सपने बुनता रहता हूं
सायद इसलिए ही 
रातों को बेचैन होकर उठने लगा हूं
बेशक तूने मुझे जीत लिया है
पर मैं हर पल तुझे खोने 
के ख्याल से भी डरने लगा हूं
साथ रहने की ख्वाहिश है मेरी
कैसे समझाऊं खुद को
तेरे लिए मैं खुद से लड़ने लगा हूं
हां तुझसे बेहद प्यार करने लगा हूं ।

©VIJAY PRATAP #holdmyhand
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VIJAY PRATAP

वो स्कूल का बस्ता
कोई फिर पकड़ा दो
बोझल सी हो रही जिंदगी
वो बेवजाह मुस्कुराने बाला
हर गलती माफ हो जाने बाला
वो दौर फिर लौटा दो

मेरी खुद की सिसकियां 
मुझ में ही घुट रहीं 
मैं बेहद रो सकूं 
मेरा वो बचपन वापस लौटा दो

हारा नही अभी मैं
हर किसी से दूर हो रहा हूं
फिर कोई
प्यार से हाल पूंछ ले
वो दौर वापस लौटा दो

©VIJAY PRATAP बचपन 

#jail

बचपन #jail #Poetry

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