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vinaykumar7782
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Vinay Kumar

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Vinay Kumar

गुज़र चुकी आधी और आधी ज़िंदगी बाकी है।
है खेल ये नियति का, मुकद्दर ही ना काफ़ी है।
वक़्त है हमसफ़र बेफिक्र चल ए मुसाफ़िर 
और न जाने कितने इम्तिहान अभी बाकी हैं।

©Vinay Kumar #Nightlight
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Vinay Kumar

नहीं है शिकायत मुझे तुझसे ए जिंदगी,
मैं बस चंद लकीरों के भरोसे बैठा रहा।

©Vinay Kumar
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Vinay Kumar

उस एक मुलाकात का हुआ ये असर है,
ना होश है मुझे ना किसी की खबर है।
खोया हूं तेरे ही ख्यालों में मैं रात-दिन,
हर तरफ बस तू ही आता मुझे नज़र है।

©Vinay Kumar
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Vinay Kumar

ना रुतबा  ना दौलत ना शोहरत की मुझे प्यास है।
बस एक झलक मिल जाए तेरी इतनी सी मुझे आस है।

©Vinay Kumar
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Vinay Kumar

कोई ना जाने वक़्त ने कितने बदले रंग थे,
था  कौन  तन्हा और  कौन-कौन संग थे।      आओ मिलकर इस वर्ष को यादगार बनाएं,
भूल जाएं कल कितनी थी खुशियां और कितने ग़म थे।।
आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

©Vinay Kumar
  नव वर्ष मंगलमय हो।

नव वर्ष मंगलमय हो। #विचार

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Vinay Kumar

💘मत पूछो हाल ए दिल उस पल का मेरे दोस्तों,💘
💘 जब उसने कहा कि बेइंतेहा मोहब्बत करते हैं शायद आप 💘💘किसी से। 💘💘

©Vinay Kumar
  हाल ए दिल

हाल ए दिल #ज़िन्दगी

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Vinay Kumar

जुर्म क्या था ये बताना मुनासिब नहीं समझा,
मैं हूं गुनाहगार ये कह दिया भरी महफिल में उसनेे।

©Vinay Kumar #SalmaanMeme
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Vinay Kumar

एक छोटी सी उलझन मन में घर किए जा रही है,
कि जी रहे हैं हम ज़िंदगी या ज़िंदगी हमें जिए जा रही है।
१. थे हम जहां खु़द को वहीं खड़ा पाते हैं,
दौड़ते तो बस वक़्त के लम्हे नज़र आते है।
हर घड़ी कुछ ना कुछ इम्तिहान लिए जा रही है,
जी रहे हैं हम ज़िंदगी या ज़िंदगी हमें जिए जा रही है।
२. मुद्दतों से हैं गुम न जाने कहां वो हंसी मकाम,
हाथों की इन लकीरों में थे जिनके चर्चे तमाम।
सांसो की डोर हर घड़ी कमजोर हुए जा रही है,
जी रहे हैं हम ज़िंदगी या जिंदगी हमें जिए जा रही है।
३. न जाने कैसे गर्दिशों में खुद को सम्भाला है,
 बड़ी मुश्किलों से हमने चंद हसरतों को पाला है।
हसरतों की चाहते भी अब घटती जा रही हैं,
जी रहे हैं हम ज़िंदगी या ज़िंदगी हमें जिए जा रही है।
४. दोराहे ही दोराहे है  सफ़र ए हयात के हर मोड़ पर,
हैं कदम उस राह में जो निकली है मंज़िल को छोड़कर।
अपने ही साये से मुलाकातें अब घटती जा रही हैं,
जी रहे हैं हम ज़िंदगी या ज़िंदगी हमें जिए जा रही है।

©Vinay Kumar
  मैं और मेरी जिंदगी

मैं और मेरी जिंदगी #Poetry

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Vinay Kumar

गुज़रे ज़माने पल पल दिल दुखाते रहे।
जिंदगी के हर मोड़ पर तुम याद आते रहे।
मुस्कुराहट तो मानो छीन ले गया कोई,
ओर ग़म के फसाने ही साथ निभाते रहे।

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Vinay Kumar

अपनी वफाओं का नगमा इन फिज़ाओं ने गाया है।
अब ना जाने ये कैसा मोड़ जिंदगी में आया है।
दूर हो गये वो हमारी राहों से फिर भी,
हर तरफ उनकी ही यादों का साया है।

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