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Pick of the Patch

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Pick of the Patch

नासमझ मन ये मेरा

नासमझ मन ये मेरा न जाने किधर लिए जा रहा है,
न दुनिया का तजुर्बा है ,न लोगों की समझ है,
न कुछ पाने की ख्वाहिश है, न कुछ खोने का डर है,
न जाने क्यों बेसब्र सा ये फिर भी ज़िद किए जा रहा है,
नासमझ मन ये मेरा न जाने किधर लिए जा रहा है।

न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है,
ठोकरें खा कर भी बस ये बढे जा रहा है,
जिदंगी का सफर बस चले जा रहा है,
नासमझ मन ये मेरा न जाने किधर लिए जा रहा है।

रुकूं भी तो कैसे, थाकू भी तो कैसे,
रोज नए सपने सजाएं जा रहा है,
उम्मीदें रोज नई जगाएं जा रहा है,
नासमझ मन ये मेरा न जाने किधर लिए जा रहा है।

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Pick of the Patch

राखी के तोफे में बहना,
बस वक्त तुम्हारा मांगे
बैठ के कुछ देर साथ फिर से 
कुछ किस्से कर लो साझे।
कीमत न देखे वो राखी की 
न बदले में कीमत मांगे।
दे दो प्यार भरे कुछ लम्हे नए 
कुछ यादों की सौगाते।
राखी के तोफे में बहना 
बस वक्त तुम्हारा मांगे।

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Pick of the Patch

                               ख्वाहिश
एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी, क्या उसे पूरा कर पाओगे,
चल ना सकूं जब साथ तुम्हारे, क्या मेरा हाथ थामे पास मेरे बैठ पाओगे।

एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी, क्या उसे पूरा कर पाओगे
सो न सकूं जब कभी मैं,रख के सिर मेरा गोद में अपनी मेरे बालों को सहलाओगे।

एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी, क्या उसे पूरा कर पाओगे।
हार जाऊं जिन्दगी में हिम्मत कभी, क्या मेरी ताकत बन पाओगे, थकी हुई आंखे बंद कर मेरी, क्या जीने की नई राह दिखा पाओगे।

एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी, क्या उसे पूरा कर पाओगे
चली जाऊं कहीं दूर अगर कभी तो क्या तुम मुझे बुलाओगे।
थाम के चेहरा मेरा हाथों में अपने क्या तुम मुझे समझाओगे।

एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी, क्या उसे पूरा कर पाओगे

  ख्वाहिश

ख्वाहिश

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Pick of the Patch

स्त्री

उज्जवल है चरित्र तेरा,
दामन पाक साफ है।
फिर तेरी ही पावनता का 
वक्त लेता क्यों हिसाब है।
खामोश क्यों हों शब्द तेरे ही 
क्यों तुझपे ही उठता सवाल है।
क्यों तेरे ही रिश्तों को परखता ये समाज है।
क्यों जीती रहे तू सब के लिए, 
क्यों तेरे लिए ही रीति रिवाज है।
क्यों तेरी उड़ान को बांधते तेरे ही अरमान है।
क्यों तेरी ही खुशियों पे लगता पूर्ण विराम है।

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Pick of the Patch

छोड़ भी नहीं सकते, 
और रह भी नहीं सकते।
जिन्दगी उस मकाम पे है,
कि कुछ कह भी नहीं सकते।

समझ भी नहीं सकते,
और समझा भी नहीं सकते।
प्यार इस कदर है आपसे,
कि दूर जा भी नहीं सकते।

छुपा भी नहीं सकते,
और बता भी नहीं सकते।
जुड़े हैं किस तरह आपसे,
ये दिखा भी नहीं सकते।

पराया कह नहीं सकते,
और अपना बुला नहीं सकते।
उलझा हूं रिश्तों की कश्मकश में ऐसे,
कि किस्मत के धागे अब सुलझा नहीं सकते। तोड़ भी नहीं सकते,
छोड़ भी नहीं सकते...
#छोड़नहींसकते #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

तोड़ भी नहीं सकते, छोड़ भी नहीं सकते... #छोड़नहींसकते #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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Pick of the Patch

लड़ कर जिंदगी की हर मुश्किल से मैं
जीत भी जाऊं सब से पर खुद से हार जाती हूं मैं।

तूफान संभाले अपने अंदर फिर भी निशब्द रह जाती हूं मैं।
जीत भी जाऊं सब से पर खुद से हार जाती हूं मैं।

सबल भी हूं प्रबल भी फिर क्यों दूसरों की कसौटियों पे खुद को आजमाती हूं मैं।
जीत भी जाऊं सब से पर खुद से हार जाती हूं मैं।

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Pick of the Patch

जला दिए कुछ रिश्ते मैने
कुछ रिश्तों के लिए खुद जल गई
तुझको पाया खुद को खोया
सुकून न मिला फिर भी कहीं
पता नही क्या कमी रही गई।

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Pick of the Patch

मेरे जाने के बाद


सुनो संभाल कर रखे हैं मैंने सारे ज़वाब,
जानती हूं तुम पूछोगे जरूर,मगर मेरे जाने के बाद।
संभाल कर रखी है हंसी मेरी, जानती हूं तुम महसूस करना 
चाहोगे उसे, मगर मेरे जाने के बाद।
संभाल कर रखा है मुस्कुराता हुआ चेहरा भी, जानती हूं
तुम देखने जरूर आओगे मगर मेरे जाने के बाद।
संभाल कर रखा है एक हिस्सा अपना, क्योंकि जानती हूं
मैं तुम आओगे मिलने जरूर मगर मेरे जाने के बाद।
मिल जाऊंगी मैं तुमको कुछ पूरी कुछ अधूरी सी
बस पलट लेना कुछ पन्ने मेरी डायरी के
मगर मेरे जाने के बाद।

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Pick of the Patch

बचपन था, नादानी थी मासूम सी बातें और कुछ शैतानी थी।
प्यार था, गुस्सा था, रूठना और मनाना था।
बारिश की मस्ती थी और दोस्ती का खज़ाना था।
सपनों की दुनिया थी और रेत का आशियाना था।
पापा की कहानियां थी और मां का समझाना था।
जिन्दगी की भीड़ में खो गया था ये सब।
हाथों में उठाया तुमको तो एहसास हुआ,
अब फिर एक बचपन है, कुछ शैतानी है
कुछ मासूम सी बातें हैं, और कुछ नादानी है।
अब फिर एक नए बचपन की एक नई कहानी है।

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Pick of the Patch

लगता अगर मेला खुशियों का,
चुन चुन कर खुशियां लाती मैं।
बना कर धागा प्यार से उनका,
तेरी कलाई पे सजाती मैं।
लगता अगर मेला अरमानों का
अरमानों से भरी रोली भईया,
तेरे माथे पे लगती मैं।
लगता अगर मेला सपनों का
सुंदर सुंदर सपने लाती।
बन के अक्षत उनका भईया,
तुमपे खूब लुटाती मैं।
लगता अगर मेला खुशियों का,
चुन चुन कर खुशियां लाती मैं।

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