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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

बेहद गरीबी का अंकुर कवि और लेखक

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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

बैठो  तुम मन  साधकर, करके  मन  में ध्यान।
तब खुद को तुम खोज लो, यही है सच्चा ज्ञान।
यही  है  सच्चा  ज्ञान, जो  पार  हमें  लगाता।
अंधकार  है  गहरा,  ज्ञान  है  इसे   भगाता।।
कह कवि नूरपुरिया,मन को तुम अब न ऐंठो।
खुद को फिर जीत लो, अब तुम ध्यान में बैठो।।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #dost योगा

#dost योगा #कविता

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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

हालातों में टूटकर बिखरने का मन कहां करता है,
यूं ही रेत की तरह सरकने का मन कहां करता है।
बड़े-बड़े समंदर भी प्यासे पड़ें हैं सदा से यहां तो,
किसी नदिया से बिछड़ने का मन कहां करता है।।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #Gulaab
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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

अपनों के संग चेहरे खूब सजाया करते हैं,
कहीं सब व्यर्थ समझ ऊब जाया करते हैं
प्यासी है दुनियां किसी समंदर की तरह,
जहां नदियों से अहसान डूब जाया करते हैं।।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #tanha
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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

सादर नमन कर बुद्ध को,करो उनका ध्यान।
पढ़ो तुम उनके धम्म को,जानो उनका ज्ञान।।
तुम ज्ञान प्रज्ञा शील को, कृत्य में लो उतार।
हम में ही भगवान है,मन से करो पुकार।।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #BudhhaPurnima
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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

चीख रही यहां कितनी व्यथाएं।
मौन पड़ीं सब कल्पित कथाएं।
नगर फिर अव्यवस्थित हुआ है।
संकट यहां पर स्थित हुआ है।।
सूख रही सब सुख की लताएं।
मौन पड़ीं सब कल्पित कथाएं।।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #alone
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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

सूखे हुए पत्ते कहीं गिर जाने को हैं 
पतझड़ अब यहां फिर आने को है।
फूटेंगी कुछ नई कोंपलें भी यहां,
वक्त भी फिर से सुधर जाने को है।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #smog
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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

तुम ज्ञान प्रज्ञा शील को, कृत्य में लो उतार।
हम में ही भगवान है,मन से करो पुकार।।
मन से करो पुकार,मन में जगत की बातें।
हैं ज्ञान प्रज्ञा शील, यहीं से अपने नाते।
कह नूरपुरिया कवि,जीवन में खिलते कुसुम।
खुद को अब जीतकर,जग पर विजय पाओ तुम।।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #BudhhaPurnima
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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

जब कमी हुई ज्ञान की, बढ़ गया अभिमान।
गरीबी लाचार बनी, टूटता स्वाभिमान।।
टूटता स्वाभिमान, भेदभाव गहरा बोते।
करके वह कर्मकांड, पाप वे अपने धोते।
कह नूरपुरिया कवि, इन्हें कौन उबारे अब।
फिर इसी धरती पर , आए भगवान बुद्ध जब।।१

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #BanjaaranSoul
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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय।
~ कबीरदास

निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय। ~ कबीरदास #कविता

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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

सादर नमन कर बुद्ध को,करो उनका ध्यान।
पढ़ो तुम उनके धम्म को,जानो उनका ज्ञान।।
तुम ज्ञान प्रज्ञा शील को, कृत्य में लो उतार।
हम में ही भगवान है,मन से करो पुकार।।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" #humantouch
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