ऐ रात तू बता ज़रा आज साथ अपने मेरे लिए क्या लाई है..??
क्या आज फिर मेरे हिस्से बस फ़क़त तन्हाई है..??
कभी तो बात मान मेरी, कभी ज़रा रहम भी कर..!!
मेरे गम और ख़ुशी के बीच क्यों इतनी जुदाई है..??
हक़ है जीने का मुझको भी, क्यों मान नहीं लेती हो तुम..!!
आखिर क्यों भला मेरे हिस्से बस एक तड़प हीं आई है..?? #Poetry
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Subhash Ke Alfaaz
शीर्षक : आशिक़ाना पल
ना जाने क्यों तेरा चेहरा मुझे इतना भाने लगा है?
मेरा ही दिल मेरे संग ज़िद पर आने लगा है;
जम गया है बर्फ़ सा बनकर जिस्म में तेरा हर एहसास,
मेरा ही दिल सपने वो तेरे हर रात संजोने लगा है;
#Quotes
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Subhash Ke Alfaaz
शीर्षक : मोहब्बत एक ख़्वाब
दिल में दर्द कुछ ज्यादा हीं बढ़ रहा है;
देखो दिल का जख़्म भी लाइलाज बढ़ रहा है;;
मेरे महबूबा के माथे पर उस दिन जो शिकन थी;
उसके माथे से वो शिकन हटाना मुझे आज बेहद याद आ रहा है;;
कोई पढे़गा तो क्या कहेगा??
इतनी सारी ग़ज़ले जो लिख रहा हूँ ,
तुम्हारे होंठों के चाशनी पर ,
तुम्हारे नैनो की कत्थई पर ,
गालो की सुर्खी पर ,
जु़ल्फ के दराजी़ पर ,
पलको की झपकी पर ,