Nojoto: Largest Storytelling Platform
ashokvermahamdar3687
  • 292Stories
  • 374Followers
  • 3.2KLove
    1.7LacViews

Ashok Verma "Hamdard"

Born on 29th of November Poet Story, Lyrics & Script Writter Sub Editor [News Hint]

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White ग़ज़ल

सुना है कि नफ़रत करते हैं हम से,
नफ़रत से उनके सुकून मिलता है।

हमारी मोहब्बत जो गुनाह ठहरी,
तभी तो हर दर्द का जूनून मिलता है।

चलो दूर होकर दुआ हम करेंगे,
लगता है उन्हें भी सुकून मिलता है।

वफ़ा की सज़ा जब से मुक़र्रर हुई है,
तभी तो हर जुर्म में कानून मिलता है।

हमारे ही लहू से जलते चराग,
मगर नाम उनका फ़लून मिलता है।

— अशोक वर्मा हमदर्द

©Ashok Verma "Hamdard" गजल

गजल #लव

bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White *जीवन का सत्य*

सुगंध बिना सुमन अधूरा,
जैसे नभ में चंद्र झुरमुरा।
तृप्ति बिना मिले जो वरदान,
वह केवल मिटता अरमान।।

ध्येय बिना कर्म बेकाम,
जैसे दीप बिना नहीं उजास।
प्रसन्नता रहित जो जीवन,
वह जल बिन सूखी प्यास।।
*अशोक वर्मा "हमदर्द"*

©Ashok Verma "Hamdard" #जीवन
bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White सबको अपने किए की याद है लाला,
तभी तो भीड़ उमड़ी है कुंभ के घाट पर।
पाप जो पलकों तले थे दबे हुए,
धुलने आए हैं पवित्र जल के साथ पर॥

कल तक जो थे छल-फरेब के सौदागर,
आज बने संत, लिए गंगाजल हाथ पर।
कर्मों की गठरी नहीं हल्की होती,
बस धोखा देते हैं ये धूप-छाँव के जज्बात पर॥

कोई चरण धोने को आतुर खड़ा है,
कोई माला जपता है पाप के भार पर।
पर लाला, पानी से धुलते नहीं हैं गुनाह,
जब तक सच्चा पछतावा न हो ह्रदय के थाप पर॥

कुंभ के घाट पर सैलाब उमड़ा है,
पर सच की नाव डगमगा रही है बीच धार पर।
पुण्य वही जो मन से किया जाए,
न कि धोखे से, दिखावे की बात पर॥

©Ashok Verma "Hamdard" #कुंभ स्नान
bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White मंज़िल मिलेगी

मंज़िल मिल ही जाएगी, भटकते-भटकते ही सही,
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।

जो राह में आए, उन्हें हमसफ़र मान लो,
अंधेरों से लड़कर, दिया एक जलाना सीख लो।
हवाओं की साजिश से डरना नहीं,
सफ़र को ही जीना, ठिकाना नहीं।

कदमों की चापों में हौसला रखो,
मुसीबत में भी मुस्कुरा के चलो।
जो हार से पहले ही बैठा रहा,
उसे जीत का मज़ा कभी मिल न सका।

जो गिरते रहे, उठते रहे बार-बार,
वही देख सके हैं सवेरे के द्वार।
हौसले की लौ जब जलती रहेगी,
मंज़िल भी आकर कदम चूम लेगी।

— अशोक वर्मा 'हमदर्द'

©Ashok Verma "Hamdard" #मंजिल मिलेगी
bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White स्मार्टफोन की कैद

खुद से ज़्यादा संभालकर रखता हूँ मोबाइल अपना,
क्योंकि हर रिश्ता अब इसी में बसा है सपना।
वक्त के साथ बदल गए मुलाकातों के मायने,
अब स्क्रीन पर सिमट गए हैं चाहतों के आईने।

संदेशों में छुपी है माँ की ममता की बात,
वीडियो कॉल में मिलती है पिता की सौगात।
दोस्तों के ठहाके अब वॉइस नोट में सजे हैं,
सारे रिश्ते जैसे डिजिटल दायरे में बंधे हैं।

न गली के नुक्कड़, न चौपाल की कहानियाँ,
बस ऐप्स में सिमट गई हैं सारी रवायतें पुरानियाँ।
खुशियाँ और ग़म अब इमोजी से बयाँ होते हैं,
दिल के जज्बात भी टेक्स्ट में दबे-छुपे से होते हैं।

काश लौट पाती वो कागज़ की चिट्ठियाँ,
जहाँ भावनाएँ चलती थीं हवाओं की लहरियाँ।
पर अब यही मोबाइल है रिश्ता निभाने का सहारा,
इसके बिना तो ज़िंदगी लगे सूना और बंजारा।

समय का तकाज़ा है, इसे अपना लिया है,
दिल से रिश्तों का नाता इसमें जमा लिया है।
पर कहीं ना कहीं दिल में ये सवाल उठता है,
क्या वाकई हर रिश्ता इसी डिवाइस में सच्चा लगता है?

©Ashok Verma "Hamdard" #स्मार्ट फोन की कैद

#स्मार्ट फोन की कैद #विचार

bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

Unsplash तेरी तलाश में ए ज़िंदगी

मैं फिर से निकलूंगा तेरी तलाश में ए ज़िंदगी,
जहां दर्द न हो, बस राहत हो हर गली।
ख़्वाब अधूरे न रहें, हर आस पूरी हो,
दुआ है, इस बार इश्क़ की दूरी हो।

न कोई कहानी हो जो अधूरी रह जाए,
न कोई याद हो जो पलकों में समा जाए।
सुकून की छांव हो, दर्द की जगह,
खुशियों का कारवां हो हर ग़म की जगह।

तेरी तलाश में दिल को भी समझाऊंगा,
खुद को तन्हा रहकर ही आज़माऊंगा।
बस दुआ यही है, हर राह सही हो,
इस बार किसी से इश्क़ की भी कमी हो।

तेरी तलाश में फिर बढ़ता जाऊंगा,
अपने अश्कों को भी मुस्कान सिखाऊंगा।
ए ज़िंदगी, मुझे बस ये ख़्वाहिश है,
तेरा हर मोड़ अब मेरा साथी हो।

©Ashok Verma "Hamdard" #तेरी तलाश में ए जिंदगी

#तेरी तलाश में ए जिंदगी #कविता

bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White उनके होंठों से मेरे हक़ में दुआ निकली है
जब मर्ज फैल चुका है तो दवा निकली है।

तसव्वुर में बसाया था जिन्हें चुपके से,
अब वही राहों में बनके सदा निकली है।

दिल के वीराने में जलती रही जो लौ,
वो बुझी तो राख में भी रोशनी निकली है।

जिनको समझा था दर्द का सबब मैंने,
वो ही जख्मों पे मरहम की अदा निकली है।

खुदा के दर पर भी यूँ ही सर झुका दिया,
दुआ के साथ जब उनकी रज़ा निकली है।

अब यकीन हो चला है इश्क की ताक़त पर,
जो न सोचा था, वही बात सही निकली है।

©Ashok Verma "Hamdard" दवा निकली है

दवा निकली है #Shayari

bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White *सांविका के जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️*

*छोटी सी परी, नटखट, प्यारी,*
*सांविका, तुम हो सबसे न्यारी।*
*चमके जैसे सूरज की किरण,*
*तुमसे सजे हर सपनों का गगन।*

*तुम्हारी हंसी में संगीत बसा,*
*हर ग़म को तुमने पल में हँसा।*
*प्यारे से नटखट खेल तुम्हारे,*
*घर आंगन को करते उजियारे।*

*आज का दिन है खास तुम्हारा,*
*जन्मदिन पर सजे यह नज़ारा।*
*फूलों की महक, चांद की चांदनी*,
*तुम हो घर की सबसे प्यारी रानी।*

*भगवान तुम्हें दें ढेरों खुशियां,*
*हर कदम पर मिलें नई दुनियां।*
*सांविका, तुम हो जीवन का गहना,*
*तुमसे ही हर दिन सुंदर और सुहाना।*
*तुम्हारे नाना जी - अशोक वर्मा "हमदर्द "*

©Ashok Verma "Hamdard" जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं

जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं #Poetry

bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White *उस पुराने मकान की सीढ़ियां*

उस गली के एक मकान में
सीढ़ियां थीं, पुरानी, दरकती हुई।
हम उन पर बैठे करते थे बातें,
जिनमें ख्वाब होते थे, हंसी की सौगातें।

मकान अब नया हो गया है,
रंगीन दीवारें, चमचमाती छत।
सीढ़ियां वहीं हैं, पर नई मार्बल की,
उन पर बैठने का दिल नहीं करता।

उस मकान की पुरानी दीवारों में
दोस्ती की नमी बसी थी,
अब दीवारें चटक सफेद हैं,
पर हर कोने में वीरानी है।

मेरा दोस्त जो वहां रहता था,
संग बैठता, हंसता, जीता।
अब उसकी यादें रह गई हैं,
उन सीढ़ियों पर धुंधली छवि की तरह।

मकान के अंदर रोशनी जगमग है,
पर अंदर झांकने से डर लगता है।
जहां पहले हंसी की गूंज थी,
वहां अब चुप्पी का घर लगता है।

कभी-कभी गुजरता हूं उस गली से,
मन करता है सीढ़ियों पर बैठ जाऊं।
पर किससे कहूं वो बातें अब?
जिन्हें सुनने वाला नहीं रहा।

उस मकान की सीढ़ियां नई हैं,
पर उनकी आत्मा कहीं खो गई है।
मेरा दोस्त ले गया अपनी रूह के साथ,
वो सीढ़ियां, वो बातें, वो रात।

अशोक वर्मा "हमदर्द"

©Ashok Verma "Hamdard"
bcd1d88b371a499e38ac7fea3c77d8f2

Ashok Verma "Hamdard"

White अभी मिट्टी से जुदा हुआ नहीं हूँ,
थका हूँ पर कहीं रुका नहीं हूँ।

गिराया वक्त ने, संभलता गया मैं,
हारा जरूर हूँ, मगर झुका नहीं हूँ।

तेरी राहों का राही बनूं कैसे,
मैं कारवां हूँ, मगर रास्ता नहीं हूँ।

बिखरने की सज़ा वक्त ने दी है,
मगर ख़ुद में मैं अब तक मिटा नहीं हूँ।

पिता का अक्स हूँ, पहचान यही है,
पर अब तक खुद को तराशा नहीं हूँ।

मंजिल मेरी भी होगी एक दिन,
सफ़र में हूँ, पर अभी ठहरा नहीं हूँ।

भूखा हूँ पर गैर का लूटूं ये मुमकिन नहीं,
मैं मेहनत का हूँ, सौदा सस्ता नहीं हूँ।

तुम संग हूँ, पर दिल से दूर हूँ शायद,
खुद का भी हूँ, तेरा भी पूरा नहीं हूँ।

अशोक वर्मा "हमदर्द "

©Ashok Verma "Hamdard" मिट्टी से जुड़ा हुआ हूं मैं

मिट्टी से जुड़ा हुआ हूं मैं #Motivational

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile