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जुवि

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जुवि

मेरे अतीत के सारे दस्तावेज़
अंतर्देशीय लिफ़ाफ़े में लिखकर
चंद्रमा को पोस्ट कर आई
मुझे अनुमान था
शशि की शीतलता से 
हलाहल का प्रकोप 
निश्चय ही क्षीण हो जाएगा
अलबत्ता कुछ हुआ नहीं
चिट्ठी तारामंडल की प्रदीक्षणा कर
पुनः लौटा दी गई
शायद घर पर कोई नहीं होगा 
एक दफ़ा फिर 
उस बैरंग लिफाफे को
आग लगाकर
गुलेल  से चांद पर सटीक निशाना लगाया
और एक दिन...
चांद को ग्रहण लग गया
खिड़की से देख रही थी
कालिख़ पुता हुआ चांद
मुझे देखकर रोता था 
अब चिट्ठियों को पोस्ट करना बंद दिया है
गिलौरी बनाकर निगल लेती हूं
ग्रहण स्नान दान पूर्णिमा 
आत्मसंवरण से
आत्मशुद्धि हेतु
स्वयं को ही  समर्पित हैं ।।
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जुवि

तिमिर की ओर
#NojotoVideo

तिमिर की ओर Video #Nojotovoice #nojotovideo

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जुवि

मुझें उनके कई जन्म याद थे
प्रत्येक वो भूमिभाग
नदी का छोर
काली मंदिर की पैड़िया
फागुन , जेठ , माघ
तीज त्योहार
जहाँ दोनों मिलते थे
यथावत मानस पटल पर
 रेखांकित थे
परन्तु मध्यान्ह होते होते
पात्रों का अंतरंग मिलन 
और विछोह की गवेषणा 
लिखने में अकृतार्थ हो
कलम के पाँव 
सड़क पर बिछी गर्म तारकोल पर चिपक गए ...
लेकिन अब मैं सज्ज हूँ
एक निश्चित परियोजना के तहत
अपने अपूर्ण पात्रों की जन्मदात्री बननें
अपनी सूक्ष्मदर्शी कलम से 
आख्यान करने एक नई विधा 
काल्पनिक किरदारों की सार्थक अभिव्यक्ति
 लिखने मौलिक प्रेम की अनुश्रुतियाँ ।।
 #NojotoQuote

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जुवि

फोसरो रो सो काज़ल पाड्यो
घिस - घिस माँझया नैण
बरस बित्या बाट जोवता
नुआ गिणता बैण




 #NojotoQuote

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जुवि

तुमने क्षणिक कपोल कल्पना के लिए 
हृदय वृंदावन पर लौकिक विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कर दी
सखे ! बिदाई नहीं करोगी ?
 मुझे छोड़कर जा रहे हो ?
साथ ले जाओ न गोविंद
नहीं सखी ....
तुम्हारे भीतर कोई मुझसे अधिक प्रवेश कर गया है
ठाकुर सुनो ! होंगे तुम मायापति
ऐसा कौन है जो मुझे वर ले ?
तुम मिथ्या ही आरोप लगाते हो 
मुझे विचलित न कर पाओगे
ये ठिठोली किसी और के साथ करना
आओ ! बालभोग स्वीकार करो 
सखी आज भूख नहीं
 वियोग में माखन भी जिव्हा को खारा लगेगा 
गोविंद ! तुम्हारे अतिरिक्त सखी एक निर्जीव वस्तु है
संसार का परित्याग कर तुम्हें पाया था ....
तुम सम मेरो कौन गोविंद ?
गए क्या .....गोविंद .....गोविंद ....



 #NojotoQuote

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जुवि

Love Shayari in Hindi प्रेम पीड़ा है
या पीड़ा प्रेम है ?
पीड़ा का अभिप्राय विछोह या प्रतीक्षा ?
अचिर विछोह या चीर प्रतीक्षा 
क्या प्रतीक्षा प्रेम है ?
प्रतीक्षा उस आभासी रेखा पर मिलन की ....
 दो श्वासों का एक ही ध्वनि 
में परिवर्तित हो जाना 
क्या उस मिलन की प्रतीक्षा प्रेम है ?
दैहिक प्रेम तो तुच्छ हुआ 
जिस तरह जन्मेगा , उसकी मृत्यु भी निश्चित होगी
क्या प्रेम अलौकिक है ?
प्रत्येक अणु का
सर्वत्र व्याप्त आत्मा में 
विलीन हो जाना
आत्मा से परमात्मा का मिलन प्रेम है ?
गर यह प्रेम का परिभाषा है
क्या प्रेमी ही इष्ट है ?
या इष्ट प्रेमी है ?
यह शरीर ही अवरोधक हुआ मिलन का 
क्या मृत्यु प्रेम है ?
हाँ ....मृत्यु सत्य है 
प्रेम भी सत्य है
अर्थात प्रेम मृत्यु है ?

 #NojotoQuote

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जुवि

है इशक लत फ़कीरा दी
कहानी राँझे हीरा दी
झलक साहेब दी खातिर
जिसनें खुरची हथ लकीरा दी #NojotoQuote

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जुवि

तपे हुए कोयलों पर
पिघल कर बनी 
लाख़ की रंगबिरंगी 
मूक स्वरहीन चूड़ियां
न केवल मूक प्रतिवाद से 
एक खिन्नता को जन्म दे रही थी
बल्कि पुनः ताप के सम्पर्क में आते ही
आकारहीन होने लगती
या स्वतः चटक जाती
फलतः उतार दी
इस आशा में कि
कोई मुझे मेरी उपस्थिति का बोध कराए
प्रतिबद्ध हो एक शोर के लिए
 जो मेरे अंतस के मौन को भेद सकें
इसलिए पहन ली है अब
हाथों में  काँच की
 दो लाल चूड़ियाँ ।।


 #NojotoQuote

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जुवि

चूंकि अब मैं भी बुद्धिजीवियों 
की श्रेणी में वर्गीकृत हूं
कुछ अनुसंधान जो
अपनी प्रयोगशाला में सिद्ध किए
की प्रेम अर्थात स्नेह , अनुरक्ति 
जिन्हें कई सदियों से 
हर सम्प्रदाय भिन्न उपमा अलंकारों
से परिभाषित करता रहा
केवल एक क्षणिक सकारात्मक
 दैहिक आरोग्यकर 
 हिलीयम सरीखी 
 वर्णरहित गैस है 
इस भाव का स्थायित्व 
सुर , मीरा , नानक 
तक विद्यमान था 
क्योंकि प्रेम था समर्पण , शाश्वत , सनातन
प्रेम अब भी हैं 
लेकिन अब अपवाद और मनोरंजन 
के अलावा कुछ नहीं
कभी कभी बन जाता हैं
हम जैसे कवियों की
लेखन सामग्री के
प्रेम काव्य प्रसंग ।। #NojotoQuote

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जुवि

उलझे धागों से 
मन के किसी एक छोटे से कोने में 
मंद -मंद
 भय पनपने लगता है
उनको सुलझाने की 
जगदोज़हद 
जिससे कम्पित होते 
मेरे हाथ 
धागे कुछ महिन  , कुछ ऊनी
कुछ सीसे से बने माँझे 
जो उँगलियाँ चीर देंगें
अनुपयोगी होते हुए भी
इनको सुधार कर सँवारने की चाह
मुझे नवीन सौर ऊर्जा 
के पनपने की अटकलों 
के साथ हज़ारों उलझनें भी देती हैं
सकारात्मक होते हुए
की कुछ सुलझन मुझे भी
आत्मसात होंगी ।।









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