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yogendrabairwa3969
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Yogendra Bairwa

Yogi.. cool , like to write...

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Yogendra Bairwa

जाती हुई आशिक़ी
और आती हुई मोहब्बत
दोनों बहुत कुछ सिखा देती है।।
फर्क सिर्फ इतना-सा है
आशिकी मरना सिखा देती है
और मोहब्बत  जीना।।
आशिकी तो बस आँसू
और गम ही  दिलाती हैं।।
पर उड़ना तो बस
मोहब्बत ही सिखाती है।।
कहते हैं- जब प्यार होगा 
तो दिल जोर -जोर से धड़केगा
ये दुनिया रंगीन-सी दिखाई पड़ेगी
बुरा भी अच्छा लगने लगेगा।।
इसलिए कहा जाता है -
 इश्क़ एक दरिया है,
और डूब के मर जाना है।।
और खुद भी कहता हूं -खुद से हो,
खुदा से या किसी और से
चैन नही आता मोहब्बत किये बिना।।
 Experience

Experience

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Yogendra Bairwa

जाती हुई आशिक़ी
और आती हुई मोहब्बत
दोनों बहुत कुछ सिखा देती है।।
फर्क सिर्फ इतना-सा है
आशिकी मरना सिखा देती है
और मोहब्बत  जीना।।
आशिकी तो बस आँसू
और गम ही  दिलाती हैं।।
पर उड़ना तो बस
मोहब्बत ही सिखाती है।।
कहते हैं- जब प्यार होगा 
तो दिल जोर -जोर से धड़केगा
ये दुनिया रंगीन-सी दिखाई पड़ेगी
बुरा भी अच्छा लगने लगेगा।।
इसलिए कहा जाता है -
 इश्क़ एक दरिया है,
और डूब के मर जाना है।।
और खुद भी कहता हूं -खुद से हो,
खुदा से या किसी और से
चैन नही आता मोहब्बत किये बिना।।
 my third poetry

my third poetry

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Yogendra Bairwa

लोग कहते हैं कि हर बार सूर्यास्त अंधेरा देता हैं,
लेकिन आज का सूर्यास्त मुझे उजाला दे गया.
अकेलेपन को थोड़ा सा अपनापन दे गया..
अक्सर चुप रहने लगी थी कलम,
लेकिन सूर्यास्त क़लम को नये अल्फ़ाज़ दे गया
मैं कुछ पल अस्त होते उजाले की ओर देखता रहा,
लगा मानो आज खुदा राही को उसकी मंजिल दे गया..
हम दर्द के मारे फिरते थे..
लेकिन आज का  सूर्यास्त मुझे नया मरहम दे गया
इस जिंदगी को थोड़ा सुकून दे गया

ओर सबसे बड़ी बात yogendra को नए दोस्त दे गया....

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Yogendra Bairwa

छोड़ चले हम तेरा शहर अब
अब न वापिस आएँगे,
क्या दिन थे वो सावन के जब 
रोज़ तुम्हे हम देखा करते थे ,
दुनिया की नजरें हम पर टिकी थी
बस ही हमारी तुम पर टिकी थी,
आ ओर बता जा कैसे जिये हम 
कैसे मरे अब बिन तेरे बिन हम,
छोड़ चले हम तेरा शहर अब 
अब न वापस आएँगे,
सोचता ही मैं रहता सब रात भर ये 
ना जी पाऊं, बिन तेरे बिन मैं,
छोड़......................................
................. आएंगे,
लिखना तो चाहु, पूरी रात भर मैं,
रुक मैं जाऊ ,बस सुबह के लिए,
छोड़.....................................
...................आएंगे।। first time I wrote this

first time I wrote this

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Yogendra Bairwa

छोड़ चले हम तेरा शहर अब
अब न वापिस आएँगे,
क्या दिन थे वो सावन के जब 
रोज़ तुम्हे हम देखा करते थे ,
दुनिया की नजरें हम पर टिकी थी
बस ही हमारी तुम पर टिकी थी,
आ ओर बता जा कैसे जिये हम 
कैसे मरे अब बिन तेरे बिन हम,
छोड़ चले हम तेरा शहर अब 
अब न वापस आएँगे,
सोचता ही मैं रहता सब रात भर ये 
ना जी पाऊं, बिन तेरे बिन मैं,
छोड़......................................
................. आएंगे,
लिखना तो चाहु, पूरी रात भर मैं,
रुक मैं जाऊ ,बस सुबह के लिए,
छोड़.....................................
...................आएंगे।। I wrote this poem before. 1 month ago

I wrote this poem before. 1 month ago


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