"जीत की खबरों को सुनकर मिल रहा सुकून है,
फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है।
इस पार हिंदुस्तान तो उस पार पाकिस्तान है,
मर रहा इस पार भी उस पार भी इंसान है,
गोलियों की गूँज से फिर गूंजा सारा देश है,
पर जवानो के ही घर क्यों आज भी सुनसान हैं।
लाल दिखता है यहाँ, तो लाल ही वहाँ खून है।
फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है।
उस बाप को भी देखलो फिर जिसकी वो संतान है,
जो अपने ही बेटे को लेकर जा रहा शमशान है,
उसकी आँखों का समंदर भी कभी थमा नहीं,
आज तिरंगे में लिपटी क्युकी उसकी जान है।
बेटे के लहू से रंगी बाप की पतलून है,
फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है।
आँख में आंसू भरे काँधे पर अपनी रूह लिए,
चल रहा काँधे पे वो वतन की आबरू लिए,
जो हो नहीं पायी थी पूरी जंग से पहले कई,
उसका बेटा है खड़ा अधूरी गुफ्तगू लिए।
चुप्पी साधे है खड़ा जो मिजाज़ से बातून है,
फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है।
भारी है मन दिल भी उसका काफी टुकड़ो में टूटा है,
लगता है भाई का हाथ, हाथ से उसके छूटा है,
कौन करेगा प्यार उसे अब कौन करे रक्षा उसकी,
सरहद पर राखी का बंधन देखो फिरसे टूटा है।
कहा बांधे राखी अब, कलाई पर ही खून है,
फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है।
जल रहा है दिल उसका घर बना मसान है,
आंसुओ का ले रही जैसे वो इम्तेहान है,
इस तिरंगे के ही खातिर तोड़ दी हैं चूड़ियां,
हो गयी विधवा वो फिर भी चेहरे पर मुस्कान है।
लाल मेहँदी से भरे उस पत्नी के नाखून हैं,
फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है।
Priyanshu Modi"