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ajaykumardwivedi6160
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Ajay Kumar Dwivedi

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Ajay Kumar Dwivedi

शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है। 

मद में रहती है चूर सदा, पर पुरूषों को भरमाती है।
सीता माँ सी नारी को, एक चूड़ैल आँख दिखाती हैं।। 

खुद को सती सावित्री कहती, और माया भी खूब रचाती है। 
पतिव्रता एक नारी पर वह, लांक्षन भी खूब लगाती है।। 

रूप सुप्नखा कभी-कभी, रानी का धर लेती है।
राम की दुल्हन बनने का, मन में बिचार कर लेती है।। 

मगर भूल जाती है अक्सर, श्री राम नहीं ललचाते हैं।
नारी के सौंदर्य के सम्मुख, लक्ष्मण ना शीश झुकाते हैं।। 

माना कि परीक्षा सीता को, पग-पग पर देनी पड़ती है। 
पर नाक सदा से भारत में, बस सुप्नखा की कटती है।। 

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi 
  शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है।

शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है। #कविता

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Ajay Kumar Dwivedi

जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढ़ेरों बधाई बेटा। 

जीवन  में  खुशहाली  लाया, जब  तू  मेरी गोद  में आया।
आ तुझको आज बताऊँ बेटा, क्या-2 तुने खेल दिखाया।

जब बोल नहीं पाता था तू, बस आँखों से बतियाता था।
गोद  में  मेरी  आने  को  तू, करतब  कई  दिखाता  था।

धीरे-धीरे  घूटनो के बल, तू चलना जिस दिन सीखा था।
तुतलाती बोली से अपनी, जब पापा कहकर चीखा था।

कैसे  तुझे  बताऊँ  मेरे, मन  में लड्डू फूटे थे।
खुद मेरे अंतर्मन ने, कई प्रश्न मुझी से पूछे थे।

एक  समय  ऐसा  आया, जब  और  थोड़ा  बड़ा हुआ तू।
नन्हें - नन्हें पैरो पर अपने, जब पहली बार खड़ा हुआ तू।

देख  कर तुझको मन मेरा ये, फूला नही समाया था।
दौड़ कर जब पहली बार तू, मेरे सीने में समाया था।

चाचू  बुआ  दादी  दादू, सबके  दिल  का  राजा  है  तू।
मम्मी पापा भईया का अपने, अलबेला शहजादा है तू।

सात बरस का हो गया तू, आज जन्म दिन तेरा है।
सदा  यूं  हीं  हसते  रहना तू, आशीर्वाद ये  मेरा है।

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi 
  हैप्पी बर्थ-डे बेटा

हैप्पी बर्थ-डे बेटा #कविता

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Ajay Kumar Dwivedi

मेरे भाई के साथ साथ दुनियां के सभी भाईयों को भ्रात दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं ढ़ेरों मंगलकामना। 

शीर्षक -  लहूं का तुझसे नाता है। 

तुझसे  जन्मों  का  बंधन  है, और  लहूं का तुझसे नाता है। 
देखूं ना तुझको सम्मुख तो, मेरा हृदय व्यकल हो जाता है। 

तू  ही  तो  मेरा  जीवन  है, सासों  पर  मेरी हक तेरा।
मैं  हूँ  शरीर तू धड़कन है, बस मुझे नजर तू आता है। 

मुखड़े पर तेरे हसी देख, हृदय मेरा खील जाता है।
लक्ष्मण  जैसा है भाई तू, तू  ही भरत सा भ्राता है।

देख  तुझे  अपने  समक्क्ष, मुझको बल मिल जाता है।
लाख  मैं तुझपर चिल्लाऊं, पर  साथ तेरा ही भाता है।

है आन बान तू शान मेरी, तू ही तो सच्चा साथी है।
सदा  तुझे हसता देखूँ , बस यही एक जिज्ञासा है।

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi 
  भ्रात दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं ढ़ेरों बधाई।

भ्रात दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं ढ़ेरों बधाई। #कविता

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Ajay Kumar Dwivedi

शीर्षक - होली का त्यौहार। 

खुशियाँ  लेकर आया देखों होली का त्यौहार।
घर-घर  से  होने  लगी  फिर  रंगों की बौछार।
खुशियाँ  लेकर आया देखों होली का त्यौहार।

बच्चे  बुढ़े और जवान सब मिल मस्ती में झूमें।
ढ़ोल  मंजीरे बजा-बजा कर गली-गली में घूमें।
घूंघट  में  छुप भाभी रानी सब पर रंग बरसाये।
ढ़ोल बजाकर पुरूष मंडली फाग अबीरा गाये।
रंग  बिरंगे  मुखड़ों  से  फिर टपके प्रेम अपार।

घर-घर  से  होने  लगी  फिर  रंगों की बौछार।
खुशियाँ  लेकर आया देखों होली का त्यौहार।

कहीं पे करता दिखता देवर भाभी का मुख लाल।
कहीं  बलम के साथ में गोरी करती दिखे कमाल।
चढ़के  अटारी  भर  पिचकारी  बच्चे करें धमाल।
मेरे  भारत  की  होली  है  खुद  में   एक मिसाल।
गुजियों  की थाली में परोसती मायें हर घर प्यार।

खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार।
घर-घर  से  होने  लगी  फिर रंगों की बौछार।

राम  प्रभु  भी  अवध  नगरिया खेल रहे हैं होली।
रंगों  में  रंग निकलीं देखों कृष्ण लला की टोली।
भगवा रंग में रंग गया भारत दुनियां सारी बोलीं। 
महाकाल  भी  खेल  रहें हैं चिता भस्म से होली। 
होली   की  मस्ती   में  नाचे  गाये  अब  संसार। 

घर-घर  से  होने  लगी  फिर रंगों की बौछार।
खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार।

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi 
  अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय'' #कविता

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Ajay Kumar Dwivedi

शीर्षक - होली का त्यौहार। 

खुशियाँ  लेकर आया देखों होली का त्यौहार।
घर-घर  से  होने  लगी  फिर  रंगों की बौछार।

बच्चे  बुढ़े और जवान सब मिल मस्ती में झूमें।
ढ़ोल  मंजीरे बजा-बजा कर गली-गली में घूमें।
घूंघट  में  छुप भाभी रानी सब पर रंग बरसाये।
ढ़ोल बजाकर पुरूष मंडली फाग अबीरा गाये।
रंग  बिरंगे  मुखड़ों  से  फिर टपके प्रेम अपार।

घर-घर  से  होने  लगी  फिर  रंगों की बौछार।
खुशियाँ  लेकर आया देखों होली का त्यौहार।

कहीं पे करता दिखता देवर भाभी का मुख लाल।
कहीं  बलम के साथ में गोरी करती दिखे कमाल।
चढ़के  अटारी  भर  पिचकारी  बच्चे करें धमाल।
मेरे  भारत  की  होली  है  खुद  में   एक मिसाल।
गुजियों  की थाली में परोसती मायें हर घर प्यार।

खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार।
घर-घर  से  होने  लगी  फिर रंगों की बौछार।

राम  प्रभु  भी  अवध  नगरिया खेल रहे हैं होली।
रंगों  में  रंग निकलीं देखों कृष्ण लला की टोली।
भगवा रंग में रंग गया भारत दुनियां सारी बोलीं। 
महाकाल  भी  खेल  रहें हैं चिता भस्म से होली। 
होली   की  मस्ती   में  नाचे  गाये  अब  संसार। 

घर-घर  से  होने  लगी  फिर रंगों की बौछार।
खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार।

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi 
  अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय'' #कविता

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Ajay Kumar Dwivedi

शीर्षक -दुखद मोरबी हादसा। 

लाशों पर होगी राजनीति मैं मौन नहीं रह पाऊंगा।
इन  दोगले  नेताओं  को  और  नहीं  सह पाऊंगा।
बहुत सी जानें चलीं गयी और कुछ का पता नहीं अब तक।
इन  दोगले  नेताओं को आखिर सहे कहो कब तक।
किसी राज्य का आ जाये सर पर इनके जब चुनाव।
गांव-गांव  ये  घूमने  लगते  करने लगते कांव-कांव।
इनकी  झूठी  बातों  पर  मैं  गौर  नहीं  कर पाऊंगा।
इन   दोगले   नेताओं  को  और  नहीं  सह  पाऊंगा।
मोरबी  में  पुल  क्या  टूटा  केवल शोक  जता दिया। 
घडियालों ने जनता को घड़ियाली आंसू दिखा दिया।
सत्ता  विपक्ष  में  होड़  लगी है दोषी किसे बताओगे।
कौन  है  दोषी  इस  घटना  का कैसे पता लगाओगे।
झूठ  को इनके इससे ज्यादा और नहीं सुन पाऊंगा।
लाशों  पर  होगी  राजनीति मैं मौन नहीं रह पाऊंगा।
मैं  भारत माता का बेटा अपना कर्तव्य निभाऊंगा।
कलम मेरी शस्त्र है और मैं अपना शस्त्र चलाऊंगा।
भक्त नहीं मैं मोदी का ना चमचा केजरी राहुल का।
ना  माया  ना  ममता दीदी ना हैदराबादी भाऊ का।
मैं  सत्य  लिखता  हूँ  हरदम सदा सत्य ही गाऊंगा।
इन   दोगले  नेताओं  को  और  नहीं  सह  पाऊंगा।
हमनें  अपनी  आंखों  से  परिवार उजड़ते देखें हैं।
इक  पल  में  ही  बहुतों के संसार उजड़ते देखें हैं।
नेताओं  को  टीवी  पर  झूठा  विलाप करते देखा।
गंदी  राजनीति  के  कारण  बहुतों को मरते देखा।
एक  नहीं  सौबार  मरा  मैं  और नहीं मर पाऊंगा।
लाशों पर होगी राजनीति मैं मौन नहीं रह पाऊंगा।
तुमसे  उम्मीद  है  मोदीजी उम्मीद नहीं मैं खोऊंगा। 
सूख  चुकें  आंखों  के  आंसू  और  नहीं मैं रोऊंगा। 
अपराधी का पता लगाकर सजा दिलाओ मोदीजी। 
आप  हमारे  मुखिया  हो कर्तव्य निभाओ मोदीजी।
झूठे  ढ़ोगीं  गद्दारों  का  सम्मान  नहीं  कर पाऊंगा। 
इन   दोगले  नेताओं  को  और  नहीं  सह  पाऊंगा।
लाशों  पर होगी राजनीति मैं मौन नहीं रह पाऊंगा।
अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi #अजय_कुमार_द्विवेदी''अजय''
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Ajay Kumar Dwivedi

शीर्षक -दुखद मोरबी हादसा। 

लाशों पर होगी राजनीति मैं मौन नहीं रह पाऊंगा।
इन  दोगले  नेताओं  को  और  नहीं  सह पाऊंगा।
बहुत सी जानें चलीं गयी और कुछ का पता नहीं अब तक।
इन  दोगले  नेताओं को आखिर सहे कहो कब तक।
किसी राज्य का आ जाये सर पर इनके जब चुनाव।
गांव-गांव  ये  घूमने  लगते  करने लगते कांव-कांव।
इनकी  झूठी  बातों  पर  मैं  गौर  नहीं  कर पाऊंगा।
इन   दोगले   नेताओं  को  और  नहीं  सह  पाऊंगा।
मोरबी  में  पुल  क्या  टूटा  केवल शोक  जता दिया। 
घडियालों ने जनता को घड़ियाली आंसू दिखा दिया।
सत्ता  विपक्ष  में  होड़  लगी है दोषी किसे बताओगे।
कौन  है  दोषी  इस  घटना  का कैसे पता लगाओगे।
झूठ  को इनके इससे ज्यादा और नहीं सुन पाऊंगा।
लाशों  पर  होगी  राजनीति मैं मौन नहीं रह पाऊंगा।
मैं  भारत माता का बेटा अपना कर्तव्य निभाऊंगा।
कलम मेरी शस्त्र है और मैं अपना शस्त्र चलाऊंगा।
भक्त नहीं मैं मोदी का ना चमचा केजरी राहुल का।
ना  माया  ना  ममता दीदी ना हैदराबादी भाऊ का।
मैं  सत्य  लिखता  हूँ  हरदम सदा सत्य ही गाऊंगा।
इन   दोगले  नेताओं  को  और  नहीं  सह  पाऊंगा।
हमनें  अपनी  आंखों  से  परिवार उजड़ते देखें हैं।
इक  पल  में  ही  बहुतों के संसार उजड़ते देखें हैं।
नेताओं  को  टीवी  पर  झूठा  विलाप करते देखा।
गंदी  राजनीति  के  कारण  बहुतों को मरते देखा।
एक  नहीं  सौबार  मरा  मैं  और नहीं मर पाऊंगा।
लाशों पर होगी राजनीति मैं मौन नहीं रह पाऊंगा।
तुमसे  उम्मीद  है  मोदीजी उम्मीद नहीं मैं खोऊंगा। 
सूख  चुकें  आंखों  के  आंसू  और  नहीं मैं रोऊंगा। 
अपराधी का पता लगाकर सजा दिलाओ मोदीजी। 
आप  हमारे  मुखिया  हो कर्तव्य निभाओ मोदीजी।
झूठे  ढ़ोगीं  गद्दारों  का  सम्मान  नहीं  कर पाऊंगा। 
इन   दोगले  नेताओं  को  और  नहीं  सह  पाऊंगा।
लाशों  पर होगी राजनीति मैं मौन नहीं रह पाऊंगा।
अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi 
  #अजय_कुमार_द्विवेदी_''अजय''
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Ajay Kumar Dwivedi

घर घर ध्वज लहरायेंगे। 

#BoloAazadi

घर घर ध्वज लहरायेंगे। #BoloAazadi #कविता

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Ajay Kumar Dwivedi

शीर्षक - घर घर ध्वज लहरायेंगे। 

वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।
घर घर ध्वज लहरायेंगे हम हर घर ध्वज लहरायेंगे।
वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।

बाइस जुलाई सैतालीस में ध्वज को एक आकार मिला।
पंद्रह अगस्त को लहराया आजादी का अधिकार मिला।
देख तिरंगा लहराता ये पूरा भारत झूम उठा। 
धरती मांँ को कर प्रणाम हर कोई माटी चूम उठा।
सबने सौगंध उठाई थी भारत का मान बढ़ायेंगे। 

घर घर ध्वज लहरायेंगे हम हर घर ध्वज लहरायेंगे। 
वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।

केसरिया रंग भारत की ताकत को दर्शाता है।
श्वेत रंग शांति का सबकों पाठ पढ़ाता है।
हरा रंग हरियाली का संदेशा लाता है।
अशोक चक्र भारत को प्रगतिशील बनाता है।
आओं मिलकर भारत का हम भी सम्मान बढ़ायेंगे।

वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।
घर घर ध्वज लहरायेंगे हम हर घर ध्वज लहरायेंगे।

वर्ष पचहत्तर पूरे होंगे आजादी को मिले हुए।
सबसे हाथ मिलायेंगे बहुतेरे शिकवे गिले हुए।
कोई हाथ बढ़ायेगा हम गले लगाने दौड़ेंगे।
कोई आँख दिखायेगा तो आँखें उसकी फोड़ेंगे।
भारत माता की जय जय जय भारत माँ की बोलेंगे।
आजादी का पर्व सदा हम मिलकर यूं हीं मनायेंगे।

घर घर ध्वज लहरायेंगे हम हर घर ध्वज लहरायेंगे।
वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi घर घर ध्वज लहरायेंगे 

#Independence

घर घर ध्वज लहरायेंगे #Independence #कविता

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Ajay Kumar Dwivedi

शीर्षक - घर घर ध्वज लहरायेंगे। 

वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।
घर घर ध्वज लहरायेंगे हम हर घर ध्वज लहरायेंगे।
वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।

बाइस जुलाई सैतालीस में ध्वज को एक आकार मिला।
पंद्रह अगस्त को लहराया आजादी का अधिकार मिला।
देख तिरंगा लहराता ये पूरा भारत झूम उठा। 
धरती मांँ को कर प्रणाम हर कोई माटी चूम उठा।
सबने सौगंध उठाई थी भारत का मान बढ़ायेंगे। 

घर घर ध्वज लहरायेंगे हम हर घर ध्वज लहरायेंगे। 
वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।

केसरिया रंग भारत की ताकत को दर्शाता है।
श्वेत रंग शांति का सबकों पाठ पढ़ाता है।
हरा रंग हरियाली का संदेशा लाता है।
अशोक चक्र भारत को प्रगतिशील बनाता है।
आओं मिलकर भारत का हम भी सम्मान बढ़ायेंगे।

वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।
घर घर ध्वज लहरायेंगे हम हर घर ध्वज लहरायेंगे।

वर्ष पचहत्तर पूरे होंगे आजादी को मिले हुए।
सबसे हाथ मिलायेंगे बहुतेरे शिकवे गिले हुए।
कोई हाथ बढ़ायेगा हम गले लगाने दौड़ेंगे।
कोई आँख दिखायेगा तो आँखें उसकी फोड़ेंगे।
भारत माता की जय जय जय भारत माँ की बोलेंगे।
आजादी का पर्व सदा हम मिलकर यूं हीं मनायेंगे।

घर घर ध्वज लहरायेंगे हम हर घर ध्वज लहरायेंगे।
वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम गायेंगे।

अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''
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सोनिया विहार दिल्ली

©Ajay Kumar Dwivedi शीर्षक - घर घर ध्वज लहरायेंगे।

शीर्षक - घर घर ध्वज लहरायेंगे। #कविता

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