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umeshsingh8635
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umesh singh

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umesh singh

शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
शिक्षा तो है लेकिन संस्कार दूर हो गए,
बहु -बेटे से माँ -बाप दूर हो गए l
शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
काम के जूनून मेंरिश्ते फीके पड़ गए,
सारे चाहने वाले हमसे दूर हो गए l
शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
खुली हवा को मोहताज हो गए,
पैसों के आफ़ताब हो गएl
भूल गए गाँव को, अपनी पहचान को l
शहर की परिभाषा अजीब है....ll
पीपल की छाव और आम की मिठास भूल गए,
यार की यारी और फूल की फूलवारी भूल गएl 
आ गए शहर बनाने लगे एक डिब्बे जैसा छोटा-सा घर,
अपने गाँव के बड़े से घर से नाता भूल गएl
शहर की परिभाषा अजीब है..… l
मन का चैन, दिल का शकुन भूल गए,
अब तो केवल झूठ का बोल सीख गए l
घर बनाने की कोशिश वे चाँद पर रहे,
अपने बचपन के घर को वे भूल गएl
दादा -दादी का प्यार, नानी की कहानी, माँ का दुलार और पापा की डांट भूल गए,
शहर में आकर वे अपने जज्बात भूल गएl
शहर की परिभाषा अजीब है... l
याद उनको करो, जो तुम्हारे थे और तुम्हारे लिए जी गए,
अपना सब कुछ तुम्हीं पर वो खो गए l
हे प्रार्थना, यही कुछ बड़ा कर दो,
उनके हिस्से की खुशियां अदा कर दो,
गाँव को अपने ऊँचा-सा सम्मान दो l
अपने बचपन की मिट्टी को पहचान लोl
शहर की परिभाषा अजीब हैl
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
ll जय हिंद ll
उमेश सिंह
श्री अयोध्या

©umesh singh शहर 
#lovebond

शहर #lovebond

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umesh singh

शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
शिक्षा तो है लेकिन संस्कार दूर हो गए,
बहु -बेटे से माँ -बाप दूर हो गए l
शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
काम के जूनून मेंरिश्ते फीके पड़ गए,
सारे चाहने वाले हमसे दूर हो गए l
शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
खुली हवा को मोहताज हो गए,
पैसों के आफ़ताब हो गएl
भूल गए गाँव को, अपनी पहचान को l
शहर की परिभाषा अजीब है....ll
पीपल की छाव और आम की मिठास भूल गए,
यार की यारी और फूल की फूलवारी भूल गएl 
आ गए शहर बनाने लगे एक डिब्बे जैसा छोटा-सा घर,
अपने गाँव के बड़े से घर से नाता भूल गएl
शहर की परिभाषा अजीब है..… l
मन का चैन, दिल का शकुन भूल गए,
अब तो केवल झूठ का बोल सीख गए l
घर बनाने की कोशिश वे चाँद पर रहे,
अपने बचपन के घर को वे भूल गएl
दादा -दादी का प्यार, नानी की कहानी, माँ का दुलार और पापा की डांट भूल गए,
शहर में आकर वे अपने जज्बात भूल गएl
शहर की परिभाषा अजीब है... l
याद उनको करो, जो तुम्हारे थे और तुम्हारे लिए जी गए,
अपना सब कुछ तुम्हीं पर वो खो गए l
हे प्रार्थना, यही कुछ बड़ा कर दो,
उनके हिस्से की खुशियां अदा कर दो,
गाँव को अपने ऊँचा-सा सम्मान दो l
अपने बचपन की मिट्टी को पहचान लोl
शहर की परिभाषा अजीब हैl
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
ll जय हिंद ll
उमेश सिंह
श्री अयोध्या

©umesh singh शहर की जिंदगी 

#safarnama

शहर की जिंदगी #safarnama

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umesh singh

शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
शिक्षा तो है लेकिन संस्कार दूर हो गए,
बहु -बेटे से माँ -बाप दूर हो गए l
शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
काम के जूनून मेंरिश्ते फीके पड़ गए,
सारे चाहने वाले हमसे दूर हो गए l
शहर की परिभाषा अजीब है,
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
खुली हवा को मोहताज हो गए,
पैसों के आफ़ताब हो गएl
भूल गए गाँव को, अपनी पहचान को l
शहर की परिभाषा अजीब है....ll
पीपल की छाव और आम की मिठास भूल गए,
यार की यारी और फूल की फूलवारी भूल गएl 
आ गए शहर बनाने लगे एक डिब्बे जैसा छोटा-सा घर,
अपने गाँव के बड़े से घर से नाता भूल गएl
शहर की परिभाषा अजीब है..… l
मन का चैन, दिल का शकुन भूल गए,
अब तो केवल झूठ का बोल सीख गए l
घर बनाने की कोशिश वे चाँद पर रहे,
अपने बचपन के घर को वे भूल गएl
दादा -दादी का प्यार, नानी की कहानी, माँ का दुलार और पापा की डांट भूल गए,
शहर में आकर वे अपने जज्बात भूल गएl
शहर की परिभाषा अजीब है... l
याद उनको करो, जो तुम्हारे थे और तुम्हारे लिए जी गए,
अपना सब कुछ तुम्हीं पर वो खो गए l
हे प्रार्थना, यही कुछ बड़ा कर दो,
उनके हिस्से की खुशियां अदा कर दो,
गाँव को अपने ऊँचा-सा सम्मान दो l
अपने बचपन की मिट्टी को पहचान लोl
शहर की परिभाषा अजीब हैl
भीड़ है दूर तक लेकिन अकेले में हर एक हैl
ll जय हिंद ll
उमेश सिंह
श्री अयोध्या

©umesh singh शहर की परिभाषा अजीब है l 

#safarnama

शहर की परिभाषा अजीब है l #safarnama

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umesh singh

पछताना पड़ता है

©umesh singh

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umesh singh

खाई सीने पर गोली वतन के लिएl
खून से लठपथ छाती चमन के लिएll
फ़िर भी आगे चमन को बढ़ाता रहाl
भारत माता को अपने बचाता रहाll
न परवाह की अपने परिवार कीl
छोटे बच्चे, बीबी और बूढ़े माँ-बाप कीll
जब जरूरत पड़ी तो वतन के लिएl
सबसे पहले सिपाही काम आता रहाll
गाँव, गालियाँ और आँगन सब छोड़ दीl
वतन ज़ब भी उसे बुलाता रहाll
दोस्त की दोस्ती और आम की छाव छोड़ दीl
हिंद ज़ब-जब उसे आवाज देता रहाll
लेकिन संगीन दुश्मन की राहों में लेकर करके वोl
काल बनकर उसे मारता ही रहाll
लगी ज़ब भी गोली सीने में गिरकर धरती पर वोl
भारत माता की जय गीत गाता रहाll
ll जय हिंदll
उमेश

©umesh singh जय हिंद 

#OneSeason

जय हिंद #OneSeason

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umesh singh

पड़ा जब-जब खतरे में वतन सैनिक जान पर खेल गए l
सैनिक ने दुश्मन को धूल चटा दीll
खाई सीने पर गोली वतन के लिएl
खून से लठपथ छाती चमन के लिएll
फ़िर भी आगे चमन को बढ़ाता रहाl
भारत माता को अपने बचाता रहाll
न परवाह की अपने परिवार कीl 
छोटे बच्चे, बीबी और बूढ़े माँ बाप कीll
जब जरूरत पड़ी तो वतन के लिएl
सबसे पहले सिपाही काम आता रहाll
गाँव, गालियां और आँगन सब छोड़ दीl
वतन ज़ब भी उसे बुलाता रहाll
दोस्त की दोस्ती और आम की छाव सब छोड़ दीl
हिंद जब -जब उसे बुलाता रहाll 
लेकिन संगीन दुश्मन की राहों में लेकर करके वोl
काल बनकर उसे मारता ही रहाll
लगी ज़ब भी गोली सीने में गिरकर धरती पर वोl
भारत माता की जय गीत गाता रहाll
ll जय हिंदll
उमेश

©umesh singh जय हिंद 

#IndianAirforceday

जय हिंद #IndianAirforceday

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umesh singh

जीवन तो आना जाना है l 
 नाम ही केवल रह जाना है ll
बचपन में एक उद्देश्य बनाओl
काम करो और नाम कमाओll
शिक्षा को आधार बनाओl
काबिल बनकर के दिखालाओll
एक लक्ष्य निर्माण करोl 
पूरा करने में लग जाओ ll
पूरा यदि लक्ष्य हो जाएl
तुरंत दूसरा लक्ष्य बनाओll
उसको पूरा करने में लग जाओl
क्योंकि जीवन तो आना जाना है l
नाम ही केवल रह जाना है l
ll जय हिंदll
उमेश सिंह

©umesh singh लक्ष्य 

#OneSeason

लक्ष्य #OneSeason

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umesh singh

शपथ निभाने को जो ली, होकर प्रतिबद्ध खड़ा होगाl
वह भूल के घर के आँगन को, दुश्मन की राह अड़ा होगाll
जो देश के खातिर सीमा पर, सीने पर गोली छेल गयाl
अपने भारत माता के लिए, खून की होली खेल गयाll
उनके बच्चों ने जो सपना देखा, मैं भी सैनिक बन जाऊँगाl
अपने पापा के जैसे ही, भारत का मान बढ़ाऊंगाll
प्रहरी बन दिखालूंगा, अपने पापा के जैसाl
अम्मा -बाबा के लिए बनाऊँगा, छवि उसके बेटे जैसाll
आज उन्ही सपनों पर अंधकार ही है, छायाl
उनके सपनों को डसने कितना बड़ा तिमिर आयाll
आज शपथ हम सब लेंगे, वह परिवार नहीं झुकने देंगेl
शहीद सैनिक के बच्चों के सपनों को,हरगिज़ नहीं मिटने देंगेll
ll जय हिंदll
उमेश सिंह

©umesh singh
  सपनें वीर के 

#lotus

सपनें वीर के #lotus

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umesh singh

सैनिक की अर्थी आयी होगी, उस घर में मातम छायी होगीl
लेकिन उस शहीद के बच्चों ने धीरे से तिरंगा खोल दिया,
अपने पापा के कानों में जय हिंद का नारा बोल दियाll
ll जय हिंदll
उमेश सिंह

©umesh singh जय हिंद 

#IndianArmy

जय हिंद #IndianArmy

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umesh singh

#RIPDilipKumar पापा मेरे बड़ा क़ाम कर गए, मुझे मेरे पैरों पर खड़ा कर गएl
आत्मनिर्भरता से जीना सीखा गएll
बड़ा  होने पर दुनिया को समझा गएl
पीछे खड़े रहकर, दुख -सुख से लड़ना सीखा गएll
धैर्य के साथ आगे बढ़ाना सिखा गएl
अपने परिवार का भरण-पोषण करना सीखा गएll
न किसी को गिरा के आगे बढ़ाना सिखा गएl
छोटी-छोटी बचत से तरक्की करना सिखा गएll
 जीवन में एक कदम आगे रहना सिखा गएl
मुश्किल घड़ी में डटकर लड़ना सिखा गएll
पिता शब्द का सही मतलब सिखा गएl
बेटा को अपने कर्तव्य करना सिखा गएll
I LOVE YOU PAPA
ll जय हिंदll
उमेश सिंह

©umesh singh
  पिता की सीख 

#RIPdilipkumar

पिता की सीख #RIPdilipkumar

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