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rdmedhekar7695
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Rd Medhekar "समर्थ"

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Rd Medhekar "समर्थ"

आँसू

आँसू #कविता

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Rd Medhekar "समर्थ"

वेदना की आह से अंतर्मन में उपजे एक 
आँसू की व्यथा जिसे संवेदना का स्पर्श 
नही मिलने से अश्कों की धारा बनकर पुनः 
वेदना के महासागर में समाने को विवश होना पड़ा।

एक मार्मिक शब्द चित्रण..... 😢

¥ आँसू 

वेदना की आह से उपजा,
एक आँसू चला मिलने ,
आँखों में बसे समंदर से,

बैठी मिली कई वेदनाएँ,
गोद में आँसू लिए ,

सैलाब ज्वार-भाटे सा लिए ,
आगे बढ़ा ये सोच कर ,
कोई गोद सूनी फिर मिले,

दो घड़ी विश्राम कर लूँ,
और मैं बहने से पहले,

संवेदना की आस ही ,
अंतिम मेरा विश्वास था,
टूटना संकेत था बनूँ धारे,

बह चलूँ बरबस निकल,
ले पलकों के किनारे,

ना गोद वेदना की मिली,
ना संवेदना के स्पर्शी सहारे,
समझा जिन्हें अपना थे पराये,

तोड़ बंध, कर गए किनारे सारे,
था विवश अति विवश था मैं,

चला था एक आँसू ,
मिलने समंदर से,
अश्रु की धार बन कर,

लो चला,बह चला फिर,
वेदना के महासागर में समाने ......😢

17-11-19          --*रामदास
                     शब्दांकन@समर्थ RD आँसू

आँसू #कविता

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Rd Medhekar "समर्थ"

शब्दबाण 

तरकश के ये तीर,
तीर भेद देते तन,
शब्द-बाण विषैले,
कोमल-सा मन,
तन-मन दोनों ही घायल,
फिर कहाँ रहे प्राण ?
प्राणमय जीवन में।। शब्द बाण विषैले

शब्द बाण विषैले

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Rd Medhekar "समर्थ"

पर्यावरण दिवस  विशेष
******************
   वृक्ष की पुकार

पर्यावरण दिवस विशेष ****************** वृक्ष की पुकार

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Rd Medhekar "समर्थ"

आहत जीवन

आहत जीवन

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Rd Medhekar "समर्थ"

साथी मेरे साथ चल दूर तक साथी मेरे साथ चल दूर तक, सुबह का सफर हमसफ़र खूबसूरत, सफर को भी अब हमसफ़र हम बना लें, ख्वाबों से हम रूबरू हो मिलें, उसी ख्वाब को जिंदगी हम बना लें,

साथी मेरे साथ चल दूर तक साथी मेरे साथ चल दूर तक, सुबह का सफर हमसफ़र खूबसूरत, सफर को भी अब हमसफ़र हम बना लें, ख्वाबों से हम रूबरू हो मिलें, उसी ख्वाब को जिंदगी हम बना लें,

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Rd Medhekar "समर्थ"

त्रिवेणी
ममता, समता संस्कारों के,
त्रिगुण समाहित हो जिसमें,
मातृशक्ति है वही "त्रिवेणी",
 जीवन की बहती धारा में।।

बाधा संग बहती धारा में,
पृष्ठशक्ति हम हरपल पाते,
  इसी "त्रिवणी"की लहरों से,
     अग्रसर होती जीवन की रहें।।

  चिंता बन मन का संत्रास,
जब नींद चुरा ले जाता,
      स्मरण"त्रिवेणी"का पल भर,
     ढांढस जीवन में भर देता।।
  
  इसी "त्रिवेणी" से होती है,
  ममता-करुणा की बौछार,
  समता-समरसता से होती,
अंतर्मन की पीड़ा पार।।

      इसी "त्रिवेणी"से हम पाते,
तह में छुपा खजाना,
    प्यार के हीरे -मोती और,
    आशीष का चांदी सोना।।

"तीर्थ त्रिवेणी"पर हम ,
   जीवन भर शीश झुकाएं
ममता से भीग  मन, 
               भक्ति से पुलकित जीवन पाएं।।

    12-5-19       --*रामदास
शब्दांकन@समर्थ RD मातृशक्ति को प्रणाम।

मातृशक्ति को प्रणाम।

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