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aarizalitauheed7884
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Aariz Ali Tauheed

Mai koi Kavi ya Shayar nahi bas apne dil ki Awaaz ko Alfazon Me baya kr deta hu..

https://www.facebook.com/aariz.ahmad.3591

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Aariz Ali Tauheed

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Aariz Ali Tauheed

मैं क्या बताऊं तू कितना क़रीब है मेरे
तेरा ख़्याल भी मुझको सुनाई देता है।।

©Aariz Ali Tauheed

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Aariz Ali Tauheed

तड़पना हिज़्र में महदूद नहीं 'आरिज़'
अभी तो उसका निकाह में होना बाक़ी है।।

©Aariz Ali Tauheed हिज़्र= वियोग 
महदूद= सीमित

हिज़्र= वियोग महदूद= सीमित

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Aariz Ali Tauheed

अक्सर लोग मेरी तलाश में रहते हैं।
कब मन भरे छोड़ दें इसी फ़िराक में रहते हैं।।

©Aariz Ali Tauheed #brokenheart  manpreet kaur

#brokenheart manpreet kaur

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Aariz Ali Tauheed

दिल की इन दीवारों पर जो तुमने मोहब्बत की कलम चला कर  खुद की वफाई का ऐलान किया है न,
ज़रा गौर करो अपनी इस मोहब्बत की कलम पर मेरे हमराही 
चंद हर्फ आज भी तेरी बेवफाई को सरेआम कर रहे हैं।।

©Aariz Ali Tauheed #pen

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Aariz Ali Tauheed

ये जो मुकम्मल मोहब्बत करने का दावा करते फिर रहे हो न आप,
 ज़रा  वर्ख़ पलटो अपनी मोहब्बत की किताब के कुछ वर्ख़  आज भी आपकी नाकामयाबी बयां करते हैं।।

©Aariz Ali Tauheed #Vo_mere_pass_aaye
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Aariz Ali Tauheed

छोड़ दिया उन्होंने एक को
 मुस्तकबिल को, 

मुआशरे के लिए दूजे मुस्तकबिल की तलाश में।।



                                                                     मुस्तकबिल- भविष्य*
                                                                       *मुआशरा- समाज*


                                                                     -आरिज़ अली तौहीद

©Aariz Ali Tauheed #rayofhope
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Aariz Ali Tauheed

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Aariz Ali Tauheed

छोड़ दो मुझे मेरे हाल पर
ज़रा यकीं तो रखो इस साल पर
मुझमें भी उतनी ही खलबली है
जितनी तुम्मे खलबली है
हो जाऊंगा एक दिन मैं भी कामयाब
किस बात कि फिक्र है क्यों इतनी जल्दी हैं
मुझमें भी उतनी ही खलबली है
जितनी तुम्मे खलबली है
मेरा भी मुस्तकबिल मुझे हर वक्त सताता है
हर दम तेरा फिक्रमंद होना मुझे नकामयाबी दिखाता है
यकीं रखो खुदा पर और मुझपर
सब ठीक हो जाएगा।
नाम ही चाहिए न इस नामकूल मुआशरे के लिए तुम्हें।
सब्र करो वो भी मिल जायेगा।।

©Aariz Ali Tauheed

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Aariz Ali Tauheed

क्यों! आख़िर क्यों? 
बेखबर और डरा हुआ है मेरे नसीब से
आओ बैठो ज़रा पास मेरे देखो मुझे क़रीब से।।
फिक्र है तुझे मेरे मुस्तकबिल की ये मुझे भी खबर है
मुझे क्या चाहिए,मुझे कैसे रहना है,किस तरह मुझे खुशी है क्या तुझे इस बात की खबर है?
घुटता हूं कुढ़ता हूं जब तेरे चेहरे पर फिक्र और मुझे फिक्र होती है मेरे आज की।
पर तुझे ये सब कहां दिखता है गलती तो तेरी भी है जो के तुझे पड़ी है तेरे इस नामकूल समाज की।।
अरे इत्मीनान तो रख ए आदम जात इतने बेरहम नही हमारे खुदा वो सब दे देंगे।
अरे नाम ही तो चाहिए न तुझे
थोड़ा तुमने किया है थोड़ा हम दे देंगे।।

©Aariz Ali Tauheed
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