Nojoto: Largest Storytelling Platform
ramkaranbadgoti4177
  • 28Stories
  • 6Followers
  • 268Love
    0Views

Ramkaran Badgoti

  • Popular
  • Latest
  • Video
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

महत्वकांक्षाएँ इंसान को इस कदर से काबू करती हैं कि 
सरे दस्तार झुक जाती ,उसूल खुद को छला सा मानता हैं!

✍🏻#रामकरण #StreetNight
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

"इश्क की दरिया में जब,मेरे संग वह बहने लगते हैं
उथल-पुथल में भी संग, न छूटे यह कहने लगते हैं
जाने इसे चालाकी का समंदर,या भाव भरे किनारें
भाव मिले पार नहीं तो भँवर को ही सहने लगते हैं.! #InspireThroughWriting
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

ये सावन की रिमझिम बरसात !
तेरी मेरी यकब-यक मुलाकात !

जैसे कदर की अब्र के टुकड़े ने,
दी धरा को बौछारों की सौगात !

जुदा होगी तपिश की रुत सारी,
अब सुकूँ से मुक़म्मल ये हयात !

हैं स्फुट फांस बीजों के मानिंद,
दिल में हुए ये सब्ज पात पात !





✍🏻#रामकरण #HappyBirthdayDhoni
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

घन सारे निकले रीते आषाढ़ के 
लो सावन भी बराबरी पे तुला हैं !
जाने कब से जोह रही हूँ बाट मैं
तपिस का ही कारोबार खुला हैं !

                                                        











✍🏻#रामकरण #Life
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

तबस्सुम को कैद नहीं रख सका वबा का ये नक़ाब
झलक जाती हैं वो तो आख़िर आँखों के झरोखों से!

✍🏻#रामकरण #Life
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

गर तुम करो ना मुझे  इंकार तो कुछ कहूँ !
हैं आस के तटबंध तार तार तो कुछ कहूँ !

ख्वाब हुए पात से, हैं कुछ अभी शेष मेरे,
तुम शेष ख़्वाबों को साकार तो कुछ कहूँ !

मानता हूँबंदिशों की जंजीर से जकड़ी हो,
तुम कर सको बंदिश को पार तो कुछ कहूँ!

ख़्वाहिशों में जुंबिश इतनी कि थक गया हूँ
बनआओ तिलिस्म सा इतवार तो कुछ कहूँ!

मेरे दश्त-ए तसव्वुर में कैक्टस ही केक्टस हैं,
दिल में खिलाओं फूल कचनार तो कुछ कहूँ!

✍🏻#रामकरण #Silence
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

धरती पर साक्षात ईश्वर का ही इक़ रूपक हैं!
जटिल को सरल करता भी प्रयास भरसक हैं!
अवसाद के अँधेरे से ख़ुशी की किरणें लेआये,
औऱ रखे जिंदा मानवता को वो चिकित्सक हैं!

#रामकरण✍🏻 #NationalDoctorsDay
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

अकिंचनता के आँगनों में 
मैं बन के मशीहा आऊँगा !
मरहम सा हो ज़ख्म सारे
अब तुम्हारें  भर जाऊँगा !
ये घुटनें नहीं जान पायेंगें 
आँतड़ियों के मर्म को यहाँ ,
अब शिकन भूख की भी 
इक इक माथे से हरलूँगा !

जब किया हैं रुजगार से 
विस्थापित यह महामारी !
ग़ुरबत में रँगी निज पैरों के 
लहु से लाल सड़के सारी !

वादों से नृप तुम क्यू मुकर गये हो?
आये न निभाना क्यू मुखर हुये हो ?


✍🏻#रामकरण #river
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

अकिंचनता के आँगनों में 
मैं बन के मशीहा आऊँगा !
मरहम सा हो ज़ख्म सारे
अब तुम्हारें  भर जाऊँगा !
ये घुटनें नहीं जान पायेंगें 
आँतड़ियों के मर्म को यहाँ ,
अब शिकन भूख की भी 
इक इक माथे से हरलूँगा !
जब किया हैं रुजगार से 
विस्थापित यह महामारी 
ग़ुरबत में रँगी निज पैरों के 
लहु से  यहाँ सड़के सारी
वादों से नृप तुम क्यू मुकर गये हो?
आये न निभाना क्यू मुखर हुये हो ?

✍🏻#रामकरण #river
c86be8eb0ed9516e77e26462c852e6a6

Ramkaran Badgoti

वक्त को क्यों? गुनहगार ठहराते हो !
मिथ्या ही इसका परचम लहराते हो !

हैंअपनी धुरी पे यह गतिमान पेश्तर 
फिर चंचलता का नक़ाब फहराते हो !

चल न पाये तुम संग कभी भी इसके
लोगों को इसी के साये से डराते हो  !

वक्त किसी के प्रतिकूल नहीं होता हैं
अनुकूल खुद को कभी कर पाते हो !

उलझे रहते खुद के अंतर्द्वंदों से तुम
कभी दकियानूसी पर्दों को हटाते हो !









✍🏻#रामकरण #Time
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile