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manvisinghmanu5813
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Manvi Singh Manu

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Manvi Singh Manu

Unsplash कुछ प्रेम 
मिलन के लिए नहीं होते…
वे नहीं होते
साथ चलने के लिए
वे वनवास काटते हुए
अनकहे और अनसुने रहने के लिए होते हैं
वे एक दूसरे के पूरक 
होते हुए भी
अधूरे रहने के लिए होते हैं
वे मात्र यही संतोष 
कर पाते हैं…
कि वे किसी के हृदय में हैं
कि वे किसी के मस्तिष्क में हैं
कि कोई उनकी 
सुधियाँ बुनता है
कि कोई उनके लिए 
अनायास मुस्कुराता है
या नम आँखें फेर लेता है।
कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते,
पर वे उपवास रखते हैं
और दो घूँट प्रेम उन्हें जीवित रखता है...
हरदम...
हरपल..
हमेशा... 
मेरा प्रेम ऐसा ही है....

©Manvi Singh Manu #camping
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Manvi Singh Manu

White अपने हिस्से की धूप
बांट दी उन लोगों में

वो जिन्हें रौशनी
दरकार हुआ करती थी
मैंने जल जल के अपनी
शख़्सियत उजली कर ली
अंधेरा पहली दफ़ा
हारने पे मुस्काया
मुस्कुराइए •••
जिससे इस कायनात की ख़ूबसूरती बनी रहे😊

©Manvi Singh Manu #GoodMorning
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Manvi Singh Manu

White 
भाव न हों भयभीत हमारे
हम काँटों से क्यूँ कतराएँ 
वो ठहरे मनमीत हमारे।
हमने अपनी क्षमता से ही
जग के हर वैभव को पाया
द्वेष रहा ठुकराता हमको
ख़ुद हमने ख़ुद को अपनाया
भाग्य परखता रहा हमेशा
बाधाओं को चुनने वाले
कहाँ चले आसान डगर पर
वही तथागत बन पाये जो
सब कुछ तज कर गये सफ़र पर
त्याग-भावना गौरवशाली
अनुभव कालातीत हमारे
हमने अपनी पीड़ाओं को
काव्य बना कर मान दिया है
सीख भरी है ऋचा सरीखी
सामवेद का गान दिया है
इन पीड़ाओं के परिचायक
बनकर फिरते गीत हमारे
बंधन नहीं लुभाता कोई
मन से यूँ आज़ाद हुये हैं
जैसा हमें बनाया उस ने
हम वैसी ईजाद हुये हैं
जीवन के इस रंगमंच के
पात्र सभी अभिनीत हमारे!

©Manvi Singh Manu #sad_quotes
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Manvi Singh Manu

White   "

मन अकेला चल पड़ा है पुन्य पथ पर।
नेह की माला लिए पाषाण रथ पर।

है मुझे मालूम कांटो का सफर है।
सत्य की होती बड़ी मुश्किल डगर है।

खो भले ये प्राण जांए ना रुकूंगीं।
 अब 
किसी रावण के आगे ना झुकूंगीं।

©Manvi Singh Manu #sad_qoute
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Manvi Singh Manu

White पतझड़ सिखाता है, 
बिना मोह के जाने देना कितना सुंदर होता है! 
अपनी सबसे सुंदर कोमल पत्तियों का भी डाली स्वयं परित्याग कर देता है..
 जो पत्तियां डाल नहीं त्यागती वो वहीं डाली पर लटके हुए ही कंकाल में परिवर्तीत होने लगती हैं।
प्रकृति की सुंदरता अनित्यता को स्वीकार करने में है! कब कहां उपस्थित रहना है!
 इससे महत्वपूर्ण ये बोध होना है 
कि कब उस स्थान को त्याग देना है। 
यही जीवन चक्र है.. 
यह स्वीकार करते हुए कि हर विदा 
एक नए प्रारंभ की आश्वस्ति लेकर आता है।

©Manvi Singh Manu #good_night
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Manvi Singh Manu

Unsplash  कुछ के लिए में खास लिखती हूं।
कुछ के लिए बकवास लिखती हूं।
हां क्यों न मुझ पर हंसें लोग ?
खोकर जो अपने
 होशोहवास लिखती हूं।

भला कैसे हो अदब मेरी कवीताओं में ?
होकर जो मैं बदहवास लिखती हूं।

उतर आते हैं शब्द दिल से कागज़ पर
सच को  जो मैं बेलिबास लिखती हूं।
क्यों न सितम करे ए
जमाना
  मुझ पर  ।
समंदर के हिस्से में  
मैं जो प्यास लिखती हूं ?

©Manvi Singh Manu #library
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Manvi Singh Manu

तुम  संस्कृति हो,
सभ्यता हो,
समाज हो। 
तुम ही वो पालक हो
 जिसके कोख से परम्पराएँ, 
जातियाँ और जीवनियाँ संचालित हैं 
 तुम्हारे बिन सब ऐश्वर्य विहीन है, 
जैसे बिन शिशु के माता। 
सुनो स्त्री
तुम धरा हो, 
दृष्टि हो, 
संम्पुर्ण प्रकृती की
 आभा मंडल तुम से है
अर्थात अनन्य हो। 
तुम किसी के बिन अधुरी नहीं 
तुम स्वमं में पुर्ण हो !

©Manvi Singh Manu
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Manvi Singh Manu

White  मैं ठीक हूँ कह देती हूँ हमेशा
हाल पूछे जाने पर।
मैं हँस पड़ती हूँ
हँसी न भी आने पर 
बहादुर बैटींयां रोती नहीं
बचपन में सीखाया गया था
मैं रो नहीं पाती हूँ
कुछ बहुत खास खो जाने पर भी
दिल दुख जाने पर भी।
मैं उन लोगों में से हूँ
जिन्हे कहना नहीं आता अपना दर्द तक।
कुछ नहीं हुआ मैं कह देती हूँ
जब कोई टटोलता है
मेरे अंतस के घावों को।
मैं बिखर जाती हुं 
वसंत के बाद आये हुए पतझड़ की तरह!
मैं बहाने बनाती हूँ !
मेरा अतीत पूछे जाने पर।
कोई देख न ले यूँअस्तवयस्त मुझको
 इसलिए बिखरे हुए वजुद को 
मैं झट से उठाती हुं
सामने कर देती हूँ
सबसे खुशमिजाज चेहरा
मैं खुश हूँ ए सबको बताती हूँ !

©Manvi Singh Manu #GoodMorning
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Manvi Singh Manu

White आसान कहां है कुछ रास्तों को चुनना 
फिर उस पर नितांत परित्यक्त बढ़ते रहना 
अनगिनत बाधाएं पथ में 
आपकी  प्रतिक्षित होंगी 
किंतु बिना लड़खड़ाए आपको है
 निरंतर, 
अनवरत चलते रहना ।
वो भी उस राह पर जिसकी मंजिल से भी 
अज़ान है उसपे एकांकी रहगुजर रहना...
🖤🍁🖤

©Manvi Singh Manu #sad_quotes
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Manvi Singh Manu

White ..           मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए 
             उसे नाम देने की जरूरत नहीं होती 
             पर आज जब तुम्हारी जरूरत होते हुए भी 
             तुम्हे बुला न सकी अपने पास तो समझ आया 
             हर रिश्ते को एक नाम देना ज़रूरी हैं 
             ताकि थके हुए आंसुओं से भीगे हुए चेहरे को 
             जब चाहिए हो बस उसका कंधा तो 
             उसे हक़ से पुकारा जा सके.........................

©Manvi Singh Manu #sad_quotes
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