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bhavnadutt8718
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Bhavna Dutt

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Bhavna Dutt

 जीत की चाह में, उन्नति की राह में
रुका नहीं थका नहीं, मैं रहा सदा डटा।

पानी थी कुछ मंज़िले, ढूंढ़ने थे कुछ रास्ते
नहीं था संग कोई मेरे, मैं अकेला था चला।

मिलते गए रास्ते, मिल गई थी मंज़िले
कारवाँ बनते गए, हर ओर अब हैं महफिलें।

©Bhavna Dutt
  #WoRasta
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Bhavna Dutt

 शिक्षक और विद्यार्थी का सम्बंध
सूरज और चाँद के जैसा नाता।
जैसे सूरज के प्रकाश से 
चाँद दुनिया मे जगमागता।
वैसे ही शिक्षक की शिक्षा से विद्यार्थी 
जग में शिक्षा की रोशनी फैलाता।
शिक्षक ही तो कुम्हार की भांति
विद्यार्थी को परिपक्व बनाता।
जीवन की मुश्किलों से लड़ना भी
शिक्षक ही शिष्य को सिखाता।
कभी डाँट से कभी प्यार से 
जीवन का सन्मार्ग दिखाता।

©Bhavna Dutt
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Bhavna Dutt

 ज्ञान मिला गुरु का मुझे , मैं कर्ज़दार हो गया उनका उम्रभर ।
उसी  ज्ञान का  थाम के दामन,  पाया मैने उन्नति का शिखर ।।

मात-पिता हैं जीवनदायक जो जीवन में प्रथम गुरु  कहलाए।
लेकिन गुरु ने हमको तराश कर काँच से हीरा   दिया बनाए ।।

गुरु की छत्रछाया में सीखें जीवन जीने के क्या है नियम ।
नहीं तो कहीं विचरते होते हम भी करते हुए पशुवत कर्म ।।

गुरु के है उपकार इतने हमपर जीवनभर भुला ना पाएंगे ।
गुरु की शिक्षा को मिटने ना देंगे, सबको मुखरित करवाएंगे ।।

©Bhavna Dutt
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Bhavna Dutt

सूखे पत्ते सी यूं बहती चली जाती है जिंदगी
कभी दुःख तो कभी सुख के समंदर में गोते लगाती है जिंदगी
कभी जो चाहूं समेट लूं इन सूखे पत्तों को बांहों में
मजाल है जो थम जाएं, रेत सी फिसलती जाती है जिंदगी ।।

©Bhavna Dutt
  #Sukha
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Bhavna Dutt

 छुटकी अपने भाई की, आज यूं बड़ी हो गई,
अपने पिया की देखो तो ज़रा, वो खूबसूरत परी हो गई।
कल तक थी जो सोनचिरैया, अपने बाबुल के अँगना की,
आज बनी एक सहमी सी बुलबुल, वो अपने ससुराल की हो गई।
आना होता है मायके में तीज त्यौहारों पर ही अब उसका,
अब ससुराल के हर गम अपनाकर, मायके से बेज़ार हो गई।
राखी का त्यौहार है, देखो आज राखी लेकर आई है,
कल तक जो था उसका अपना घर, आज वहीं मेहमान हो गई।
क्यूँ ये अनोखी रीत बनाई, इस दुनिया में ईश्वर ने भी,
कि जन्मी, पली-बड़ी इस घर की लाडली, दूजे घर की बहार हो गई।

©Bhavna Dutt
  #rakshabandhan
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Bhavna Dutt

 तेरी राखी के जो धागे, 
मेरे प्रति प्रेम हैं बहना।
नही कुछ मोल धागों का, 
ये तो अनमोल है बहना।
जो तूने धागों में बहना, 
प्रेम के मोती सजाए है।
तेरे इस प्रेम की ज्योति से,
मेरा जीवन जगमगाए है।
करूँ रक्षा तेरी जैसी,
सदा मैं हरेक बहना की।
यहीं है प्रार्थना रब से,
यहीं आशीष दे बहना।

©Bhavna Dutt
  #rakshabandhan
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Bhavna Dutt

 कभी पड़े छाले पाँव में, कभी ठोकरों का था दौर
इन्हीं पत्थरों पे चलकर मिलेगी हमको, मंजिल की भोर ।

एक दिन लिखेंगे एक इबारत, इन पत्थरों पे अपनी हम
जुदा होगी अपनी इबारत दुनिया से, चहुँ ओर मचायेगी शोर ।

सपना होगा सच अपना एक दिन, ये दिल ने ठानी है
देगा ये इतिहास गवाही, चाहे दुश्मन लगा ले कितना ही जोर ।

©Bhavna Dutt
  #duniya
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Bhavna Dutt

 चाँद से आज क्यूँ, चाँदनी भी खफ़ा सी है, 
छुप गए बदली में तारें, रात काली स्याह सी है ।

इश्क़ की है ये दास्ताँ, यूँ रूठने मनाने की
राब्ता-ए-आशिकी,  चाँद  की  पैमाइश  सी है ।

बन ही जाएगा गवाह, ज़र्रा ज़र्रा क़ायनात का
चाँदनी की इश्क़-ए-दास्ताँ, यूँ जुदा जुदा सी है ।

भरने को बेताब हैं, आग़ोश में अपने चाँद को
पर दिल में चाँदनी के ज़रा, जैसे शर्म-ओ-हया सी है।

©Bhavna Dutt
  #chaandsifarish
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Bhavna Dutt

 बेहिसाब हसरतें बिखरी हैं ज़िन्दगी में
कुछ मुक़म्मल हुई कुछ अधूरी रह गई ।

उम्र के हर दौर में हसरतों ने रंगरूप बदला
उम्र यूँ फिसलती रही, पर हसरतें बढ़ती गई ।

इन हसरतों की चाह में अपने भी छुट गए
छुट गई मौजमस्ती ज़िन्दगी बोझ बन गई ।

ना जाने कब ये हसरतें ज़िम्मेदारी बन गई
जिनको निबाहते निबाहते ये उम्र ढल गई ।

इन हसरतों का क्या है "जनाब" ये भी थम जायेगी
अब मौत जश्न  मनायेगी साँसे ही जब ये थम गई ।

©Bhavna Dutt
  #fish
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Bhavna Dutt

 आज की नारी नहीं है बेचारी 
ये बात अब जहां ने भी स्वीकारी।
एक हाथ में बेलन, एक हाथ में कलम लिए
एक हाथ में परिवार की भी जिम्मेदारी।
थामे रिश्तों की नाजुक डोर
अपने सपनों की पाने को छोर।
लगाकर हौसलों के पंखों को
नारी उड़ने चली आकाश की ओर।
रचती सफलताओं के इतिहास
धरती, आकाश में नाच रही जैसे मोर।
नहीं है यहाँ कोई अबला नारी
हाथों में थामी देश की बागडोर।
काम वो कर दिखाए इस जग में
सभी का दिमाग दिया झकझोर।
छोड़ो अब इस भेदभाव को
नारी  नहीं  नर से कमजोर ।।

©Bhavna Dutt
  #womanequality
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