#badalte_rishte#changing_relationship
वैसे तो सृष्टि का प्रथम सम्बन्ध अपने रचयिता से ही माना जाना चाहिए, मगर इन्सान अपनी ज़िन्दगी की स्लेट पर रिश्तों की इबारत लिखते समय जो प्रथम शब्द मुँह से उच्चारित करता है, वह उसका अपनी माँ से मातृत्व का वो अमर रिश्ता स्थापित करता है, जिसके लिए उसकी माँ उस पर सदैव अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहती है। आंचल में आश्रय देती है। अपने वक्ष से उसे स्तन पान करवाती है। उसका मैला धोती है। उसकी अंगुली पकड़ कर उसे चलना सिखाती है। माँ की ममता में सना मातृत्व