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imranfarooqui8378
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Imran Farooqui

Poeter & lyricist

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Imran Farooqui

भड़काएँ मिरी प्यास को अक्सर तिरी आँखें 
सहरा मिरा चेहरा है समुंदर तिरी आँखें 

फिर कौन भला दाद-ए-तबस्सुम उन्हें देगा 
रोएँगी बहुत मुझ से बिछड़ कर तिरी आँखें..

©Imran Farooqui
  #aashiqui #poetry #ghazal #shayari
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Imran Farooqui

ये मेरे चारों तरफ़ किस लिए उजाला है 
तिरा ख़याल है या दिन निकलने वाला है 

यक़ीन मानो मैं कब का बिखर गया होता 
तुम्हारी याद ने अब तक मुझे सँभाला है..

©Imran Farooqui
  #Parchhai #poetry #shayari
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Imran Farooqui

तुम्हारे दिल की दुनिया मे उतरने का इरादा है
सिमट जाने की ख्वाहिश मे बिखरने का इरादा है

बहुत बेचैन होती है रगे दिल की वो कहते हैं
मैं कहता हूँ लहू बनकर गुज़रने का इरादा है..

©Imran Farooqui
  #poetry #shayari

poetry #Shayari

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Imran Farooqui

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो 
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो 

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं 
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो ..

©Imran Farooqui
  #BhaagChalo #poetry #shayari
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Imran Farooqui

चर्चाएं खास हो तो किस्से भी जरूर होते हैं
 उंगलियां उन्ही पर उठती है जो मशहूर होते हैं..

©Imran Farooqui
  #snowfall #poetry #shay
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Imran Farooqui

कोई हसे तो तुझे ग़म लगे ख़ुशी ना लगे
ये दिल लगी भी तेरे दिल को दिल लगी ना लगे
तू रोज़ उठ के रोया करे चाँद रातों में
खुदा करे तेरा मेरे बगैर जी ना लगे..

©Imran Farooqui
  #Aurora #poetry #shayari

#Aurora #Poetry shayari

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Imran Farooqui

कभी सहर तो कभी शाम ले गया मुझ से 
तुम्हारा दर्द कई काम ले गया मुझ से 

मुझे ख़बर न हुई और ज़माना जाते हुए 
नज़र बचा के तिरा नाम ले गया मुझ से..

©Imran Farooqui
  #adventure #poetry #shayari
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Imran Farooqui

तू ने देखा है कभी एक नज़र शाम के बा'द 
कितने चुप-चाप से लगते हैं शजर शाम के बा'द 

इतने चुप-चाप कि रस्ते भी रहेंगे ला-इल्म 
छोड़ जाएँगे किसी रोज़ नगर शाम के बा'द 

मैं ने ऐसे ही गुनह तेरी जुदाई में किए 
जैसे तूफ़ाँ में कोई छोड़ दे घर शाम के बा'द..

©Imran Farooqui
  #Qala #poetry #shayari

#Qala poetry #Shayari

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Imran Farooqui

   हिजरत का इरादा तो हमारा भी नहीं था 
    पर इस के अलावा कोई चारा भी नहीं था 

   दो बोल भी मीठे नहीं थे हम को मयस्सर 
     या'नी हमें तिनके का सहारा भी नहीं था 

   उस वक़्त के सदमों ने मुझे चाट लिया है 
    जो वक़्त अभी मैं ने गुज़ारा भी नहीं था..

©Imran Farooqui
  #Nightlight #poetry #shayari
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Imran Farooqui

एक पल में ज़िंदगी भर की उदासी दे गया 
वो जुदा होते हुए कुछ फूल बासी दे गया 

नोच कर शाख़ों के तन से ख़ुश्क पत्तों का लिबास 
l
ज़र्द मौसम बाँझ-रुत को बे-लिबासी दे गया..

©Imran Farooqui
  #walkalone #poetry #shayari
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