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artiupadhyay3954
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Arti Upadhyay

ए - कलम    कुछ   मेरे   बारे   में  भी  लिख 
में हूं एक स्त्री तू तो मुझ से भेद भाव मत कर
दुनियां   ने   किए  है भेद भाव  स्त्री  पुरुष में
तू तो मेरे  आंतरिक  मन  की  दुविधा  समझ
या तू भी मेरे अस्तित्व को गैरो की  तरह जानकर
अनजान बनेगी , ए कलम कुछ मेरे बारे में भी लिख।।

लिख दे आज कुछ ऐसा मेरे बारे में सुकून ना सही
सुकून का एहसास तो कर , कुछ तो लिख जो
पढ़कर   मेरे   अस्तित्व  को   समझा तो  जाए 
नहीं चाहिए गैरो के हक , बस मेरे ही मुझे मिल
जाए , बस    उनके  बारे   में   जिक्र  तो  कर 
में  भी   मुस्कराऊ   कुछ  ऐसा  भी  तो  लिख , 
ए  - कलम   कुछ   मेरे  बारे  में  भी   लिख ।।

समाज की बेड़ियों से कुछ तो आजाद कर 
मेरे चंचल मन को एक उड़ान तो भरने दे
माना में स्त्री हूं मेरे अधिकार नहीं है सब की
तरह में भी खिल खिलाऊ , तू अपनी ही कलम
से कुछ ऐसा लिख , तेरे अल्फाजों में ही में
अपना सम्पूर्ण जीवन जी जाऊं , हो रही हूं 
में अपने हर ख्वाब से दूर उस ख्वाब 
के बारे में तो लिख , ए कलम कुछ मेरे बारे में भी तो लिख।।

©Arti Upadhyay #ऐ-कलम
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Arti Upadhyay

जरूरी नहीं हर इंसान पूर्ण हो
कुछ कलयुगी विचारधाराएं
हर एक में विद्यमान होती हैं।।

©Arti Upadhyay #कलयुगी_विचारधाराएं
जरूरी नहीं हर इंसान पूर्ण हो
कुछ कलयुगी विचारधाराएं
हर एक में विद्यमान होती हैं।।

#कलयुगी_विचारधाराएं जरूरी नहीं हर इंसान पूर्ण हो कुछ कलयुगी विचारधाराएं हर एक में विद्यमान होती हैं।।

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Arti Upadhyay

जो है जितना है खुश रहो क्योंकि ,,
अब जिंदगी का कोई भरोसा नहीं !!

©Arti Upadhyay #drowning #zindagi
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Arti Upadhyay

गर खुद पर गुमान और दुनियां कदमों में लगने लगे,
तब अपने नाम के पीछे से पिता का नाम हटाकर देख;
लेना, वजूद और अस्तित्व दोनो की परख पल में हो जायेगी,
 क्योंकि आपसे बेहतर आपको कोई नहीं जान सकता।।

©Arti Upadhyay #वजूद
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Arti Upadhyay

कुछ पल अपनो के नाम 
.................................

समय और इंसान का अब कोई भरोसा नहीं
पल में सब बिखर जाता है , कितना भी गुमान 
करलो खुद पर एक दिन ये भी मिट जाना है ।।

भाग रहे है अपनो को छोड़ , माया के पीछे 
एक   दिन  ये  भी  साथ   छोड़  जानी   है 
रह जाओगे अकेले तब अपने ही साथ देते हैं।।

कुछ पल ही सही , अपनो को भी अपना समय दो
जीवन   की   डोर   कब   किसकी    टूट   जाए ,
कब अपने अपनो से छूट जाए , कुछ कह नही सकते।।

थोड़ा ही सही कुछ हाल अपनो के भी जान लिया करो
जब अपने छूट जायेंगे , तब पछताओगे क्यों समय ना 
दिया , अपनो को यही सोचकर कुछ को ही सताओगे ।।

©Arti Upadhyay #kuch_pal_apno_ke_naam
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Arti Upadhyay

............ए - कलम  ...............
कुछ   मेरे   बारे   में  भी  लिख 
में हूं एक स्त्री तू तो मुझ से भेद भाव मत कर
दुनियां   ने   किए  है भेद भाव  स्त्री  पुरुष में
तू तो मेरे  आंतरिक  मन  की  दुविधा  समझ
या तू भी मेरे अस्तित्व को गैरो की  तरह जानकर
अनजान बनेगी , ए कलम कुछ मेरे बारे में भी लिख।।

लिख दे आज कुछ ऐसा मेरे बारे में सुकून ना सही
सुकून का एहसास तो कर , कुछ तो लिख जो
पढ़कर   मेरे   अस्तित्व  को   समझा तो  जाए 
नहीं चाहिए गैरो के हक , बस मेरे ही मुझे मिल
जाए , बस    उनके  बारे   में   जिक्र  तो  कर 
में  भी   मुस्कराऊ   कुछ  ऐसा  भी  तो  लिख , 
ए  - कलम   कुछ   मेरे  बारे  में  भी   लिख ।।

समाज की बेड़ियों से कुछ तो आजाद कर 
मेरे चंचल मन को एक उड़ान तो भरने दे
माना में स्त्री हूं मेरे अधिकार नहीं है सब की
तरह में भी खिल खिलाऊ , तू अपनी ही कलम
से कुछ ऐसा लिख , तेरे अल्फाजों में ही में
अपना सम्पूर्ण जीवन जी जाऊं , हो रही हूं 
में अपने हर ख्वाब से दूर उस ख्वाब 
के बारे में तो लिख , ए कलम कुछ मेरे बारे में भी तो लिख।।

©Arti Upadhyay #ए_कलम_कुछ_मेरे_बारे_में_भी_लिख
#artiup✍️
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Arti Upadhyay

दुविधाओ से कब तक घिरे रहोगे 
एक कदम नई मंजिल की ओर बढ़ाओ
दुविधाओ से जीत मिल ही जायेगी ।।

 🙏शुभ प्रभात 🙏

©Arti Upadhyay #Good_morning
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Arti Upadhyay

समस्याओं का कभी अंत नही होता 
बस ये हमको तय करना है 
हम समस्याओं को अपने ऊपर हावी
रहने देते हैं या उनका धैर्य से सामना करते है।। 

🙏शुभ प्रभात 🙏

©Arti Upadhyay #Good_morning
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Arti Upadhyay

उसकी नादानियां तो देखो हमसे दूर होना चाहते हैं
 बताओ कोई उन्हें शरीर सांसो से ही चलता है।।

©Arti Upadhyay #Travelstories
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Arti Upadhyay

ये रात जैसे ,
मेरे दबे हुए गहरे जख्मों को,
फिर  से   जगाने  आई    है ।
मेरे जीवन  के  अंधकार को ,
फिर   से    बढ़ाने  आई   है ।
ये रात तन्हाइयों का एहसास,
कराकर मुझे तन्हा करने आई है ।
ये रात नहीं काली घटाओं की
परछाई   हैं  ।।

©Arti Upadhyay मेरे दबे हुए गहरे जख्मों को,
फिर  से   जगाने  आई    है ।
मेरे जीवन  के  अंधकार को ,
फिर   से    बढ़ाने  आई   है ।
ये रात तन्हाइयों का एहसास,
कराकर मुझे तन्हा करने आई है ।
ये रात नहीं काली घटाओं की
परछाई   हैं  ।।

मेरे दबे हुए गहरे जख्मों को, फिर से जगाने आई है । मेरे जीवन के अंधकार को , फिर से बढ़ाने आई है । ये रात तन्हाइयों का एहसास, कराकर मुझे तन्हा करने आई है । ये रात नहीं काली घटाओं की परछाई हैं ।। #AkelaMann

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