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poojapal1757
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pooja pal

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pooja pal

ये वो दुनिया नही है जैसा हम बचपन मे सोचते थे वैसी तो बिल्कुल भी नही है वो युग कब का बीत चुका है शायद अब हम गुज़रे जमाने के लोग हो चले है
2009 में इंटरनेट के आगमन से एक अलग ही प्रलय आई या फिर ये कह सकते है कि 2014 में सस्ते इंटरनेट के बाद!
परिवार संस्कृति सब कुछ डूब गया...
इंटरनेट से पहले एक अलग दुनिया थी। मेरी  जानी पहचानी सी दुनिया!
वो दुनिया जिसमे रविवार के दिन लड़के निकल जाते थे बल्ला और गेंद लेकर मैदानों में।
सुबह सुबह मंदिरों में घंटियाँ बजने लगती थी
अनुराधा पौडवाल,लखबीर सिंह लक्खा और नरेंद्र चंचल के स्वर हवाओ में गूंजने लगते थे।
एक अजीब सी शांति हुआ करती थी उस शोर में।
छोटे बच्चे उन दिनों घरों की छत्तों पर मम्मी की कपड़े धोने वाली थपकी को बल्ला बनाकर खेला करते थे। उस समय घरों की छत्ते और गलियां हमेशा गुलजार रहा करती थी
सड़को पर धूम फ़िल्म की धुन को हार्न के रूप में बजाती मोटरसाइकिलें इक अजीब सा जोश भर देती थी।
हम उस जमाने के है जब एक समोसा एक रुपये में आ जाता था। एक रुपये में तो झोली भर कर चीजे दे दिया करते थे 
उन दिनों हम लोग कभी बोर नही हुआ करते थे यहाँ तक गर्मीयों की छुट्टियों में भी नही।
दोपहर में बैठ जाते थे सोलह पर्ची ढप खेलने या फिर चार पर्ची खेलने राजा मंत्री चोर सिपाही।
खेलते,कूदते, खाते कब वक़्त बीत जाता पता ही नही चलता था। हमेशा रस से भरे रहते थे।
और उस समय के गाने क्या गाने हुआ करते थे 
उन दिनों यूट्यूब तो था ही नही।
तो हम लोग गानों को अपनी ही कल्पनाओ में ढाल लेते थे 
और जब रात में कभी लाइट जाती थी तो
उस समय फ़ोन तो था ही नही। गलियों में शोर करना, खेलना और अंधेरे में खेलने का एक अलग ही मज़ा था
वो एक अलग ही दौर था
कुल मिलाकर  सुर,स्वाद,प्रेम,भाव,रस से भरी एक अलग ही दुनिया थी जो इंटरनेट के आने के बाद खत्म हो गई है....

©pooja pal #evening
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pooja pal

तबाही का मंजर सामने नजर आ रहा
इंसान इंसान से घबरा रहा
फिक्र होने लगी है अब अपनो की
ये वक़्त ही रिश्तों की असली 
अहमियत समझा रहा....🙏

©pooja pal 🙏🙏🙏

#covidindia

🙏🙏🙏 #covidindia

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pooja pal

ये कोनसी दुनिया तू बसा रहा जो
सभी को अपने पास बुला रहा
भर आईं है आँखें मेरी 
सुनने और देखने भर से
इतना निर्दयी तू कैसे बन रहा
हवाओँ में भी अब
ज़हर घुल रहा
जाने कोन सी गलती की
प्रकृति दे रहा सजा....

©pooja pal 😊😊🙏🙏

#EarthDay2021

😊😊🙏🙏 #EarthDay2021

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pooja pal

मेरे दिल के धागे जुड़े
उस डोर से जो तुझ 
तक जाती है
रोक लूं चाहे ख़ुद को कितना भी
जाने क्यों वो तेरा ही पता बताती है...

©pooja pal 😊😊😊
#WatchingSunset

😊😊😊 #WatchingSunset

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pooja pal

हर रात की अपनी एक कहानी होती है
जो हर किसी से छुपानी होती है
सुला देती है किसी को चैन से तो 
किसी को अपनी रात काटनी होती है
हर रात लाती है साथ अपने किसी की यादें
जो पुरानी बातों को दोहरा जाती है....

©pooja pal #disturbed
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pooja pal

चमका रहा आसमां को वो चाँद
जो ढलती शाम में चमक रहा
सुकूँ से देख रही हूँ उसे
उसे देखकर मुझे मिल रहा आराम...

©pooja pal 😊😊😊

#Star

😊😊😊 #Star

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pooja pal

उसके मोहल्ले का सूरज तो 
आज भी चमकता होगा
जो कहता था 
मेरी ज़िंदगी की रोशनी हो तुम....
उसका शहर तो आज भी दौड़ता होगा
जो कहता था
मेरी जिंदगी का सफर हो तुम....
वो आज भी गुट जमा कर बैठता होगा
जो कहता था
मेरे हर एक लम्हे में बसे हो तुम....
वो अब नए रिश्तों में भी जुड़ा होगा
जो कहता था
नही छोड़ सकता मेरी जान हो तुम....

©pooja pal 😊😊😊

#touchthesky

😊😊😊 #touchthesky

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pooja pal

मिला था जब तब अनजाना था
मिलकर उसने अपना बनाया था
तब पाकर उसे, हमने खोया जमाना था
उसकी बातों में खोई सी रहती थी
हर लम्हे में उसे ही सोचा करती थी
रुलाकर मुझे खुद रुठ जाया करता है
उसे हँसाकर मुझे मनाना पड़ता था
चैन भी उसे मेरी बाहों में आता था तो,
इतनी पास आकर आखिर उसे क्यों जाना था..

©pooja pal ☹️☹️☹️

#Smile

☹️☹️☹️ #Smile

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pooja pal

गर्मी के दिनों में छतों पर शाम बिताना
अपनी ज़िंदगी के कुछ पन्ने पलट कर देखना
थोड़ा रोना,थोड़ा हँसना और थोड़ा मुस्कुराना...

छतों पर टहलते टहलते खुद से बतियाना
अपनी बातों को खुद से कहना
अपनी पीड़ाओं को खुद से साझा करना
कुछ ऐसे ही गर्मी के दिनों में छतों पर शाम बिताना...

बैठे बैठे कल्पनाओं में खो जाना
नई दुनिया बसाकर उसे जी लेना
उन पलों को जी लेना जो कभी 
हमारी ज़िंदगी का हिस्सा भी नही
ऐसे सोचते सोचते गर्मी के दिनों में छतों पर शाम बिताना...

हां मैं जीती हूँ कुछ ऐसे ही अपनी ज़िंदगी को
गर्मी के दिनों में छतों पर शाम बिताकर....

©pooja pal गर्मी के दिनों में छतों पर शाम बिताना
अपनी ज़िंदगी के कुछ पन्ने पलट कर देखना
थोड़ा रोना,थोड़ा हँसना और थोड़ा मुस्कुराना...

छतों पर टहलते टहलते खुद से बतियाना
अपनी बातों को खुद से कहना
अपनी पीड़ाओं को खुद से साझा करना
कुछ ऐसे ही गर्मी के दिनों में छतों पर शाम बिताना...

गर्मी के दिनों में छतों पर शाम बिताना अपनी ज़िंदगी के कुछ पन्ने पलट कर देखना थोड़ा रोना,थोड़ा हँसना और थोड़ा मुस्कुराना... छतों पर टहलते टहलते खुद से बतियाना अपनी बातों को खुद से कहना अपनी पीड़ाओं को खुद से साझा करना कुछ ऐसे ही गर्मी के दिनों में छतों पर शाम बिताना... #hangout

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pooja pal

सुबह की चमक में छुप गए सारे दर्द
जिंन्दगी की इस जद्दोजहत में निकल पड़े फिर से चुकाने कर्ज़....!

©pooja pal #alone
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