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abhishekranjan2088
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Abhishek Ranjan

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Abhishek Ranjan

इक सफर तय करते हुये थक गया हूँ, मैं बहुत चलते हुये थक गया हूँ..
बेवजह भटकते हुये दफ्तरों के जंगल में, जिंदगी गुजर बसर करते हुये थक गया हूँ..
कितना आसान है वक्त का गुजर जाना, जिंदा रहने की चाह में मरते हुये थक गया हूँ..
मत पूछ क्या गुजरी है उन दरख्तो(पेड़ो) पर, जिनकी छाँव में कुलहाड़ी रखते थक गया हूँ..
कहने को तो यहाँ हर कोई अपना है 'अभिषेक' ,बस खुद सबका बनते हुये थक गया हूँ✒️✒️

©Abhishek Ranjan #थकन
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Abhishek Ranjan

बड़े मतलबी रिश्ते बनाते है कुछ लोग, फिर शिद्दत से उसे निभाते है कुछ लोग..
बैठ जाते है उसी दरख्त(पेड़) के नीचे, जिसे काटते हुये थक जाते है कुछ लोग..
मत गुजरना कभी उन्स(प्यार) के दश्त(जंगल) से, गुजरते हुये रस्ता भटक जाते है कुछ लोग..
मुझे उस न आने वाले से मतलब था, आने वालो का क्या बिन बुलाये भी आते है कुछ लोग..
न रख इतनी आरजू इस हयात(दुनिया) में 'अभिषेक', मारकर भीतर के राम को रावण जलाते है कुछ लोग✒️✒️

©Abhishek Ranjan #खुदगर्ज
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Abhishek Ranjan

मेरा मुस्तकबिल बनाने वाले, फिर लौट आ मुझे छोड़ कर जाने वाले..
थक गया हूँ बुतपरिस्ती करके मैं, अब खुदा कहाँ रह गये हैं मनाने वाले..
जख्म देते है और मरहमों की हड़ताल कर देते है, बड़े बेमुरव्वत है ये जमाने वाले..
जो करो ऐतबार तो जरा देख-भाल करना,अश्म की दुनिया में कम मिलते है अहद निभाने वाले..
तू जो अर्श पर है तो हयात तेरे साथ चलेगी, जो गिरा जमीं पर तो न मिलेंगे उठाने वाले..
आज जनाजे पर है और तन्हा है 'अभिषेक', जाने कहाँ गये साथ दहर से जाने वाले..

©Abhishek Ranjan #JusticeForNikitaTomar
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Abhishek Ranjan

वो अपने हालातो से लड़ते हुये थक गया, इक सितारा जगमगाते हुये थक गया..
बिखर गया बूँदो में अब कहाँ धार थी उसमें, जैसे समुन्दर साहिल(किनारे) तक जाते हुये थक गया..
एक ऐसी उलझनों मे उलझी हूई दास्ता थी मेरी, कोई किस्सागोई मेरी कहानी सुनाते हुये थक गया..
बहा लेता कोई मेरे हिस्से का अश्क भी, मैं आँसू बहाते हुये थक गया..
मैं उसके मिलने का जश्न मनाता या उसके बिछड़ने का गम, वो शख्स जो मेरी तरफ आते हुये थक गया..
अब मैं हूँ मेरी तन्हाई है और किरदार मेरा 'अभिषेक', बस बहुत हुआ अपनी नुमाइश लगाते हुये थक गया✒️✒️

©Abhishek Ranjan
  #Hopeless

12 Love

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Abhishek Ranjan

अपनी परेशानियों को मिटा के चल, तू रो रहा है? फिर भी मुस्कुरा के चल..
जमाना कुछ न कुछ ढूँढ ही लेगा तुझमें, अपनी खामियों को छुपा के चल..
ये बागबान अमानत है आने वाली पीढ़ियो की, पैरो को अपने फूलों से बचा के चल..
अभी और ठोकरे लगनी है अश्मों(पत्थर) से तुझे, सफर लम्बा है जो चल सके सिर झुका के चल..
न जाने कितने वस्ल(मिलन) और हिज्र(जुदाई) के किस्से सुनने है 'अभिषेक', कुछ किस्सो को साथ रख कुछ भुला के चल✒️✒️

©Abhishek Ranjan #Darknight
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Abhishek Ranjan

मेरे कदमों में उसने इक नया जहाँ रखा है, मैने उसे वहाँ रखा है उसने मुझे जहाँ रखा है..
बुजुर्गो से सुना था कि 'वो' एक है, यहाँ बाशिंदो ने तो अपना अपना खुदा रखा है..
तोड़ दिया दम फिर किसी नें बस इतनी भूख से, शरीफो ने जितना पेट भरने के बाद मरकब(थाली) में बचा रखा है..
होनी थी मेरे हक में दलीले उस अदालत में, जिसके मुंसिफ(जज) ने फाँसी का फंदा पहले से सजा रखा है..
थककर उस दरख्त(पेड़) की छाँव खोजता रहा 'अभिषेक', जिस शजर(पेड़) को काट अपना घर बना रखा है✒️✒️

©Abhishek Ranjan #socialism

#walkingalone
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Abhishek Ranjan

मैं अपनी वहशत को छुपाऊ तो छुपाऊ कैसे, तुझे सीने से लगा लूँ पर लगाऊ  कैसे..
समुन्दर में रहकर भी मैं प्यासा मारा गया, आज सहरा(रेगिस्तान) में अपनी प्यास बुझाऊ कैसे..
न जाने कैसी अजियत(दुख) है जो चैन से रहने न देती, अपनी जिंदगी को खुशफहम बनाऊ कैसे..
मेरे होने पर भी जिस शख्स को मेरा एतबार न रहा, अब भला उस शख्स को छोड़के जाऊ कैसे..
हर शख्स के हत्फ(मौत) का दिन मुकर्रर है यानि, फिर किसी से अहद-ए-वफा का रिश्ता निभाऊ कैसे..
मैं इतना रखीस(सस्ता) था की बाजार के बाहर रखा गया 'अभिषेक', भला किसी खरीददार की नजर में आऊ कैसे✒️ #LostTracks
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Abhishek Ranjan

मैंने जरूरत का हर समान रखा था, अपने होठो पे तेरा नाम रखा था..
क्या कुछ नही था उन झुर्रियो वाले पैरो में, काशी काबा कलीशा चारो धाम रखा था..
तपती रेत पर छोड़ गया वो शख्स भरी दोपहरी, जिस संग(पत्थर) के लिये मैने इक शाम रखा था..
मैं भी करता क्या दिखावा बुतपरिश्ती(पूजा) का, हर किसी ने बगल में छूरी मुँह पे राम रखा था..
मुझे पता था कि टूटकर बिखरना है इक दिन, इसलिये अपने सिरहाने भरी बोतल जाम रखा था..
उसने मुझे जीत लिया तराईन का मैदान समझ 'अभिषेक', मैनें बस यू ही उसका नाम मोहम्मद बिन साम रखा था✒️✒️ #HappyDaughtersDay2020
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Abhishek Ranjan

न जाने किस तरह गुजारी है जिंदगी,इक शख्स को हार कर हारी है जिंदगी..
मैं उसके वस्ल(पास) में रहा नक़्त(शाम) तक, और फिर फिराक-ए-शब(जुदायी की रात) में हारी है जिंदगी..
खोजता रहा ताउम्र नासेह(उपदेश देने वाला) अपना, हर किसी की बात मान हारी है जिंदगी..
न जाने किस शय की तलाश में जलाकर खुद को,राखो को कुरेदता अकिंचन हारी है जिंदगी..
मेरे इक जीत पर इतरा जाते है चाहने वाले मेरे, मैने हर दिन मुसलसल(लगातार) हारी है जिंदगी..
फिर किसी किस्से में मेरा जिक्र होगा 'अभिषेक', फिर मेरे किरदार ने हारी है जिंदगी✒️✒️ #defeated

11 Love

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Abhishek Ranjan

क्या मिला मुझे इश्क के बाजार में, मुफ्त का बिक गया किसी संग(पत्थर) के बाजार मे..
मैं उसकी हयात(दुनिया) से इसलिये लौट आया, वो जा बैठा था अदु(दुशमन) के बाजार मे..
वो अपनी हर रात का हिसाब रखता रहा, मैं अपने हर ख्वाब लुटाता रहा उसके बाजार में..
मेरी कीमत जरा ऊँची थी खरीददारी को, वो सस्ता था सो उठ गया बाजार में..
मुमकिन है कि मैं बेवफा कहलाऊँ अभिषेक, दिल न लगता मेरा ऐसे वफादारो के बाजार में✒️✒️ #CalmingNature
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