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Bhupendra Dongriyal

हिन्दी रचनाकार

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Bhupendra Dongriyal

"सीप और मोती"

कंठ में मोती सजाना इष्टकारी है,
सीप को मोती बनाना कष्टकारी है ।

सीप को पूछो कोई क्या जश्न देखा है,
मोतियों के दाम बिकना ही लाचारी है ।

ताकता मुँह फाड़कर कोई आसमां की ओर,
सोच ले अगली दफ़ा उसकी ही बारी है।

कष्ट सहता सीप रिसता घाव से पानी,
कहते रहे सब स्वांति की एक बूंद न्यारी है ।

सीप ज़ुल्म सहकर रात-दिन जब बन गए मोती,
लोग कहते वाह मोती ये कितनी प्यारी है।

भूपेन्द्र डोंगरियाल
30/10/18

©Bhupendra Dongriyal #OneSeason
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Bhupendra Dongriyal

जनरेशन गैप

कुछ देर पहले ही वह दुकान में आया था। जैसे ही उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ी उसने अजीब सा मुँह बनाकर मुझे गुड मॉर्निंग कहा और फिर दुकानदार के कान में कुछ कहकर वह बाहर खड़ा हो गया। मैंने दुकानदार से पूछा, "क्या बात है,यह लड़का तुमसे कुछ खास सीक्रेट कह रहा था क्या"?
        दुकानदार ने हँसते हुए कहा, "यह लड़का आपका स्टूडेंट है क्या? शायद इसीलिए इतनी अदब करता हो आपकी"।
        मैंने कहा, "नहीं-नहीं,ये तो मेरा स्टूडेंट नहीं है लेकिन इसके पिताजी को किसी जमाने में मैं मुफ़्त में ट्यूशन पढ़ाता था"। 
           दुकानदार ने हँसते हुए कहा, "गुरुजी आप भी अच्छा मज़ाक कर लेते हैं। इस लड़के के पिता तो आपसे उम्र में बहुत बड़े हैं तो आप उनको कैसे ट्यूशन पढ़ाते थे"?
       मैंने कहा, "ये भी एक सीक्रेट है,दरअसल इसके पिताजी पहले डीग्रेड के कर्मचारी थे और डी ग्रेड से सी ग्रेड में प्रमोशन चाहते थे"।
         दुकानदार ने कहा, "आपको तो इस डीग्रेड,सीग्रेड का अच्छा ज्ञान है। तभी आप सही समझे कि यह लड़का मुझसे सीग्रेड लेने ही आया था। मैंने कई बार समझाया तो कहने लगा आपका काम माल बेचना है। पीने वाले तो कहीं से भी पी लेंगे"। 
        मैंने सिर खुजलाते हुए कहा, "लाला जी उसने जो कहा वो भी सही कहा। मैंने जो कहा वह भी सही कहा और आपने जो समझा वह भी सही समझा। बस सीक्रेट से शुरू हुई हमारी बात सीग्रेट की ओर बढ़ते-बढ़ते सीगरेट तक पहुँच गयी। बस आप यह समझिए कि आजकल के रिश्तों के जनरेशन गैप की तरह यह भी एक तरह शब्दों का जनरेशन गैप ही है"। मेरी बात सुनकर दुकानदार मेरे चेहरे की ओर देखकर जोर-जोर से हँसने लगा। 

भूपेन्द्र डोंगरियाल
20/05/21

©Bhupendra Dongriyal जनरेशन गैप

#WorldEmojiDay2021

जनरेशन गैप #WorldEmojiDay2021

5 Love

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Bhupendra Dongriyal

                     "एक छटांग प्यार"

       दस की दू किलो,दस की दू किलो । लौकी नहीं मक्खन है भाई,ले लो दस की दू किलो। मोतीराम पटरी पर फैली सब्ज़ी की दुकान से ग्राहकों को आवाज़ दे रहा है।
        "कहो मोती भैय्या,आज बड़े खुश लग रहे हो। लगता है कोई बड़ी खुशी की बात है"। सब्जी मंडी पर सब्जी बेचने वाले धनसुख ने अपने पड़ोसी मोती पर तंज मारा । 
        मोती कल ही अपने गाँव से वापस लौटा है । मोती ने धनसुख की ओर हिकारत भरी नजरों से देखते हुए ज़वाब दिया- 
      "हाँ सही कहते हो भाई धनसुख,पूरे एक माह में वापस ठिये पर बैठा हूँ । तो ख़ुशी तो होगी ही"। तुम बताओ,एक महीने में कितने टका छाप लिए हो? 
         "अरे का बताऊँ मोती भैय्या,मैं भी तो कल्हे लौटा हूँ गाँव से "।
          "अच्छा-अच्छा मैं समझा तुम यहीं रहे होंगे अबकी छठ में" मोती ने ज़वाब दिया ।
           "का कोई ख़ास बात बा,तू तो कह रहा था इस बार गाँव न जाईल यहीं रहूँगा,तुमरा भी कोई विश्वास नाहिं "। मोती ने बात आगे बढ़ाई ।
          धनसुख बोला,"अरे मोती भैय्या का बताहिं,बाबू जी ने बुलाया था । एक ठो रिश्ता आया था,उसी के ख़ातिर गाँव चला गया था"।
      "अरे भइया ई तो बड़ी ख़ुशी की बात है। तो का रिश्ता पक्का हो गया"। मोती बोला ।
       "नाहिं मोती भैय्या,ऐसे ही गले में रस्सी थोड़े ही डालनी है। धनसुख बोला ।
         "का लड़की पसन्द नहीं आई,या लेन-देन के चक्कर में बात नहीं बनीं"। मोती बोला ।
         "नहीं मोती भैय्या,लेन-देन की कोई बात नहीं । हम तो दुकानदार लोग हैं । धन-दौलत तो कमा लेंगे,पर प्यार ! उसे पैसों से थोड़े ही कमाया जा सकता है । का करना ऐसे रिश्ते का जहां एक छटांग प्यार न हो"। धनसुख ने रुआँसे हृदय से अपनी बात कही ।
         मोती ने धनसुख की बात के समर्थन में कहा -"हाँ सही कह रहे हो धनसुख भाई । यह संसार एक आढ़त बाजार है,आढ़त बाजार में अलग-अलग रिश्तों के आढ़ती हैं । जितने रिश्ते उतनी दुकान और रिश्तों के उतने ही दाम हैं"। 
         "अरे तुम तो एक छटांग प्यार की बात कह रहे हो । मैं तो कहूँ  सच्चा प्यार तो रत्ती,तोला,मासा में भी तौलने पर नहीं मिलता । और जिसको मिल गया वही इस कलजुग में सबसे बड़ा अमीर है"। मोती ने अपनी बात पूरी की।
            धनसुख ने फ़िर अपने धंधे की ओर ध्यान देते हुए आवाज़ लगाई । "गोभी लो,पालक लो आज नगद कल उधार,आजकल मुफ्त में नहीं मिलता एक छटांग प्यार" ।
          धनसुख की बात सुनकर मोती और पटरी पर खड़े  कई अन्य ग्राहकों के साथ-साथ मेरी भी हँसी रुक न पाई ।

           भूपेन्द्र डोंगरियाल
             03/11/2018

©Bhupendra Dongriyal #WorldEmojiDay2021


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